गंगटोक से चुन्गथांग तक के सफ़र से आज आगे बढ़ते हुए आपको लिए चलते हैं हिमालय पर्वतमाला में स्थित सबसे ऊँची झीलों मे से एक गुरुडांगमार तक की रोमांचकारी यात्रा पर।
Gurudongmar Lake |
चुन्गथांग की
हसीन वादियों और चाय की चुस्कियों के साथ सफर की थकान जाती रही। शाम ढ़लने
लगी थी और मौसम का मिज़ाज भी कुछ बदलता सा दिख रहा था। यहाँ से हम शीघ्र
ही लाचेन के लिये निकल पड़े जो कि हमारा अगला रात्रि पड़ाव था। लाचेन तक के
रास्ते में रिहाइशी इलाके कम ही दिखे । रास्ता सुनसान था, बीच-बीच में एक
आध गाड़ियों की आवाजाही हमें ये विश्वास दिला जाती थी कि सही मार्ग पर ही जा
रहे हैं । लाचेन के करीब 10 किमी पहले मौसम बदल चुका था । लाचेन घाटी
(Lachen Valley) पूरी तरह गाढ़ी सफेद धुंध की गिरफ्त में थी और वाहन की
खिड़की से आती हल्की फुहारें मन को शीतल कर रहीं थीं।
6 बजने से कुछ समय पहले हम लगभग 9000 फीट ऊँचाई पर स्थित इस गांव में प्रवेश कर चुके थे !पर हम तो मन ही मन रोमांचित हो रहे थे उस अगली सुबह के इंतजार में जो शायद हमें उस नीले आकाश के और पास ले जा सके !
Early Morning in Lachen |
लाचेन (Lachen) की वो रात हमने एक छोटे से लॉज में गुजारी । रात्रि भोज के समय हमारे ट्रैवल एजेन्ट ने सूचना दी (या यूँ कहें कि बम फोड़ा )कि सुबह 5.30 बजे तक हमें निकल जाना है । अब उसे किस मुँह से बताते कि यहाँ तो 9 बजे कार्यालय पहुँचने में भी हमें कितनी मशक्कत करनी पड़ती है। सो 10 बजते ही सब रजाई में घुस लिये। अब इस नयी जगह और कंपकंपाने वाली ठंड में जैसे तैसे थोड़ी नींद पूरी की और सुबह 6 बजे तक हम सब इस सफर की कठिनतम यात्रा पर निकल पड़े।