रांची को जलप्रपातों का शहर कहा जाता है। हुंडरू, दशम, जोन्हा, पंचघाघ, हिरणी और सीता जैसे ढेर सारे छोटे बड़े झरने बरसात के बाद अगले वसंत तक अपनी रवानी में बहते हैं यहां। पर बरसात के मौसम के तुरंत बाद यानी सितंबर और अक्टूबर के महीने में इन्हें देखने का आनंद ही कुछ और है। यही वो समय होता है जब झरनों में पानी का वेग और जंगल की हरियाली दोनों ही अपने चरम पर होती है।
रांची के सबसे लोकप्रिय जलप्रपातों में सबसे पहले हुंडरू, दशम और जोन्हा का ही नाम आता है। इसकी एक वज़ह ये भी है कि इन जगहों पर आप पानी के बिल्कुल करीब पहुंच सकते हैं। मैं इन सभी झरनों तक कई बार जा चुका हूं पर जोन्हा के पास स्थित सीता जलप्रपात तक मैं आज तक नहीं गया था। सीता फॉल रांची से करीब 45 किमी की दूरी पर रांची पुरुलिया मार्ग पर स्थित है।
एक ज़माना था जब रांची से बाहर निकलते ही रास्ते के दोनों ओर की हरियाली मन मोह लेती थी पर बढ़ते शहरीकरण के कारण अब वो सुकून नामकुम और टाटीसिल्वे के ट्रैफिक को पार करने के बाद ही नसीब होता है।
रामायण और महाभारत की कहानियों से हमारे देश में सैकड़ों पर्यटन स्थलों को जोड़ा जाता है। सीता जलप्रपात भी इसी कोटि में आता है। कहा जाता है कि वनवास के समय भगवान राम सीता जी के साथ जब इस इलाके में आए तो उनकी रसोई के लिए इसी झतने का जल इस्तेमाल होता था। इस जलप्रपात को जाते रास्ते में लगभग एक किमी पहले सड़क के दाहिनी ओर एक बेहद छोटा सा मंदिर है। इस मंदिर में माँ सीता के पदचिन्हों को सुरक्षित रखा गया है।
कम सीढियाँ होने की वज़ह से आप यहाँ परिवार के वरीय सदस्यों के साथ भी आ सकते हैं। तीन चौथाई सीढियाँ पार कर ही पूरे जलप्रपात की झलक मिल जाती है। यहाँ बनाई सीढियाँ भी चौड़ी और उतरने में आरामदायक हैं। हाँ जोन्हा या हुँडरू की तरह यहाँ जलपान की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसा इसलिए भी है कि यहाँ लोगों की आवाजाही राँची के अन्य जलप्रपातों की तुलना में काफी कम है।
जलप्रपात से बदती जलधारा जो आगे जाकर राढू नदी में मिल जाती है।
सीता जलप्रपात राढू नदी की सहायक जलधारा पर स्थित है इसलिए यहाँ पानी का पूरा प्रवाह बरसात और उसके बाद के दो तीन महीनों में ही पूर्ण रूप से बना रहता है। इसलिए यहाँ अगस्त से नवंबर के बीच आना सबसे श्रेयस्कर है। बरसात के दिनों में जल प्रवाह के साथ चारों ओर फैली हरियाली भी मंत्रमुग्ध कर देगी। सीता जलप्रपात के पाँच किमी पहले ही जोन्हा का भी जलप्रपात है। इसलिए जब भी यहाँ आएँ पहले इस झरने के दर्शन कर के ही जोन्हा की ओर रुख करें क्योंकि जोन्हा उतरना चढ़ना थोड़ा थकान भरा है।
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Wow! So many beautiful waterfalls in Ranchi! Whenever I visit, Seeta Waterfall is definitely on my must-see list. Such a perfect time to witness the roaring water and lush greenery. Thanks for sharing!
जवाब देंहटाएंUmesh Kumar Mahilani Sita & Jonha are quite near to each other so you can see them both in one go. Just like Chhatisgarh after monsoon period is best to visit these falls in full glory.
हटाएंझरनों और हरे-भरे जंगलों का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत आकर्षित कर रहा है। झरने प्रकृति की दिव्य एवं मनोरम संरचनाएं है। प्रकृति को इतने करीब से आपने महसूस किया, सचमुच ये यादगार पल होगा। ऐसा लगता है बस ऐसे ही इन झरनों को देखता रहूं।बहुत शानदार फोटोग्राफी!
जवाब देंहटाएंमानसून के आसपास झारखंड की हरी भरी छटा ऐसी होती है कि आप प्रकृति के बीच जाने के लिए तत्पर हो जाते हैं।
हटाएंमैं भी आज तक नहीं जा पाई, हालांकि कई बार सोचा। बेहद खूबसूरत!
जवाब देंहटाएंमानसून के तुरंत बाद जाने लायक है।
हटाएंप्रकृति से साक्षात्कार करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार
जवाब देंहटाएं😊😊
हटाएंआपके आलेख को पढ़कर प्रकृति प्रेमी और पर्यटक उमड़ेंगे।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया 🙂 प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श जगह है यह।
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