भारत एक बेहद सुंदर देश है। इसकी सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के इतने अलग अलग रूप हैं कि आप चाहें भी तो एक जन्म में उन्हें कभी नहीं देख पाएँगे। फिर भी मैंने कोशिश की है कि आज विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर भारत के उत्तर से लेकर दक्खिन और पूरब से लेकर पश्चिम तक की एक छोटी सी झाँकी आपको उन जगहों की दिखाऊँ जहाँ जाकर मुझे बेहद खुशी मिली।
पर्वत, समुद्र, जंगल, मैदान व नादियों से परिपूर्ण है ये देश। अगर आप यहाँ न भी गए हों तो स्थितियां सामान्य होने पर अवश्य जाइए और इस बात को महसूस कीजिए कि ऊपरवाले ने इस धरती को कितनी खूबसूरती नवाज़ी है
विश्व इसे एक युद्ध स्थल के रूप में जानता है। सोच कर बड़ा अजीब लगता है कि जिस जगह आ कर मन खुद ब खुद शांत हो जाता है उसे भी पड़ोसियों ने युद्ध का अखाड़ा बनाने में ज़रा भी परहेज नहीं किया।
मुन्नार, केरल
ऐसी जगह तो देश में सिर्फ इकलौती है जहाँ नमक का नमक और पानी का पानी हो जाता है।
कच्छ का रण , गुजरात
अब चलिए एक ऐसी जगह जहाँ रेत के ऊंचे नीचे पहाड़ों की निस्तब्धता आपको अपने में मगन कर देगी।
जैसलमेर , राजस्थान
इस झील का सबसे बड़ा आकर्षण इसके किनारे लगे वृक्षों की कतारें और उन पर पास की पहाड़ियों से नज़र रखते घने जंगल थे। बादलों ने सूरज की रोशनी पर ऐसा पहरा लगाया था कि गहरे हरे रंग के पत्तों और धानी पत्तों के पेड़ एक दूसरे से बिल्कुल पृथक नज़र आ रहे थे। रंगों का ये विभेद हमारे सामने जो दृश्य उपस्थित कर रहा था वो मेरी स्मृतियों से ना निकला है ना निकल सकेगा।नौकुचिया ताल , नैनीताल , उत्तराखंड
गुरुदोंगमर झील , सिक्किम
जंगलों के बेहद अंदर दूर से गरजती इस जलप्रपात की आवाज़ भले ही मन में एक डर पैदा करती हो पर पास जा कर इसकी फुहारों का स्पर्श इतना स्नेहिल होता है कि आप इसके पानी में डुबकी लगाए बिना वापस नहीं आ पाते।
लोध जलप्रपात , झारखण्ड
जंगल, पहाड़, समुद्र,ज्वालामुखी क्या नहीं है ज़मीन के इस छोटे से टुकड़े में। यहां आकर लगता है कि अगर इसे नहीं देखा तो भारत नहीं देखा।
रॉस द्वीप , अंडमान
पूर्वी भारत धान की खेती के लिए जाना जाता है। मानसून में जब धान की बुआई चालू होती है तो यहाँ के खेत खलिहानों को देख मन हरा भरा हो जाता है।
पश्चिमी घाट हों या पूर्वी घाटमानसून में इनकी छटा निराली हो जाती है। कब बादल आ जाएँ और आपके आँखों के सामने का दृश्य ओझल हो जाए इसका पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है। ऐसा ही एक लमहा जब पहाड़ के एक ओर निखरी धूप थी तो दूसरी ओर बादल
महाबलेश्वर , महाराष्ट्र
जो लोग ज्यादा जीवित रहते है वो बहुत देखते है और जो ज्यादा यात्राएं करते है वो बहुत कुछ देखते है..इब्न_बतुता. आपको विश्व पर्यटन दिवस की मेरी और से ढेरों बधाई
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही लिखा :)
हटाएंTanks
हटाएंनिःसंदेह भारत का नैसर्गिक सौन्दर्य अनुपम है। एक जन्म में नहीं घूमा जा सकता।
जवाब देंहटाएंजी बिल्कुल, वैसे आपने भी काफी भ्रमण किया हुआ है।
हटाएंबहुत जगह मन में ही रह गयी अब उम्र आड़े आती है।
हटाएंखूबसूरत फोटो.. सभी..आप लिखते भी अच्छा हैं , घूमने का भी शौक है आप को..
जवाब देंहटाएंकुल मिलाकर.. शानदार .. मजेदार पोस्ट..
संगीत व सैर सपाटा बचपन से मेरे शौक रहे हैं और यही मेरी लिखने और फिर फोटोग्राफी में रुचि की वज़ह बने। अब इस शौक में पक्षी व तितली प्रेम जुड़ गया है।😊
हटाएंबहुत कुछ यही घूम लिए... धन्यवाद जी आपका हमे ऐसे अद्भुत जगहों के दर्शन कराने के लिए
जवाब देंहटाएंइसमें एक तस्वीर आपके राज्य की है।
हटाएंरणोत्सव के दौरान हम भी सफेद रण में गए थे... टेंट हाउस में रुके थे.. बहुत यादगार रहा था वह प्रवास.. आप भी टेंट सिटी में रुके है क्या?
हटाएंजी मैं भी वहाँ रुका हूँ।
हटाएंबहुत खूब फोटोग्राफी और वाकई लेखन शैली भी बेहतरीन ������
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सराहने के लिए
हटाएंसुन्दर तस्वीरें.. मुसाफिर को विश्व पर्यटन दिवस पर बधाई
जवाब देंहटाएंशुक्रिया स्वाति
हटाएंसुन्दर तस्वीरें ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंबहुत सुन्दर चित्रमयी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया पसंद करने के लिए :)
हटाएंबेहतरीन तस्वीरें। आपने सच कहा कि भारत में इतना कुछ देखने को है कि एक जीवन में तो इसे पूरा नहीं देखा जा सकता है। सुन्दर तस्वीरें। एक ही पोस्ट में आपने भारत के कई स्थलों की यात्रा करवा दी। आभार।
जवाब देंहटाएंतस्वीरें पसंद आई जानकर खुशी हुई।
हटाएंइतने बेहतरीन लेख के लिए धन्यवाद। मैंने पूरी पोस्ट का आनंद लिया, जिस तरह से आप लेख को छवियों के साथ व्यक्त करते हैं वह बढ़िया है।
जवाब देंहटाएंमुझे तो आपका लेख पढ़ के ऐसा लग रहा कि आपने बहुत आनन्द लिया अपनी यात्रा का और आपकी तस्वीरो से आपकी ख़ुशी छलक रही है
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