पिछला एक महीना पूरे विश्व के लिए एक जबरस्त चुनौती के रूप में सामने आया। एक महामारी ने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया। स्थिति ये हो गयी है कि आज हममें से अधिकांश अपने अपने घरों में नज़रबंद हैं। घर से काम कर रहे हैं। कुछ लोगों का दायित्व ही ऐसा ही है कि संकट की घड़ी में भी बाहर निकल कर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। जब सुबह शाम टीवी, अखबार व सोशल मीडिया पर सिर्फ महामारी की चर्चा हो तो अच्छे भले व्यक्ति का मन अवसाद या मायूसी से भर उठेगा। सामाजिक दूरी अगर बनाए रखनी है तो इसका मतलब ये नहीं कि आप इस समय अकेले बैठे बैठे यूँ ही चिंतित और अनमने होकर घर का पूरा माहौल ही बोझिल हो उठे।
इस मूड से बाहर आने का सीधा सा उपाय ये है कि क्रियाशील रहें, पढ़े लिखें अपने शौक़ पूरे करें और अगर फिर भी समय बचे तो वो वक्त अपने आसपास की प्रकृति के साथ बिताएँ।
इस मूड से बाहर आने का सीधा सा उपाय ये है कि क्रियाशील रहें, पढ़े लिखें अपने शौक़ पूरे करें और अगर फिर भी समय बचे तो वो वक्त अपने आसपास की प्रकृति के साथ बिताएँ।
फूल सहजन के |
वैसे तो मैं अपने नित्य के जीवन में हमेशा कुछ समय अपनी आस पास की प्रकृति को देता आया हूँ क्यूँकि उसका साथ मुझे आंतरिक रूप से उर्जावान बनाता है। घर में रहने से आजकल ये मौका कुछ ज्यादा मिल रहा है। जब यात्राएँ संभव ना हो तो ये उर्जा और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है। आजकल मेरी हर सुबह प्रकृति के इन्हीं रूपों को अपने कैमरे में क़ैद करते हुए बीतती है तो मैंने सोचा कि क्यूँ ना आपको भी पिछले कुछ हफ्तों की इस प्रकृति यात्रा में शामिल करूँ पहले पेड़ पौधों के साथ और अगले हिस्से में पक्षियों के साथ। तो तैयार हैं ना इस यात्रा में मेरे साथ चलने के लिए।
पुटुस या रायमुनिया
पुटुस या रायमुनिया (Lantana Indica) |
पुटुस या रायमुनिया तो जब जब खिलते खिलते हैं मन खुश कर देते हैं। लैंटना भी वरबेना परिवार के ही सदस्य हैं। पूर्वी भारत में ये पुटुस के नाम से मशहूर हैं। शायद ही भारत में कोई जंगल बचा हो जहाँ इनकी झाड़ियों ने अपना साम्राज्य ना फैलाया हो पर बगीचे में अगर इनको ढंग से नियमित रूप से काँटा छाँटा जाता रहे तो इनकी खूबसूरती देखते ही बनती है।
सेमल
सेमल जैसे बहुत कम ऐसे वृक्ष होंगे जिनके तने की रंगत फूलों के रंग से इतनी पृथक हो। सांझ की बेला में तनों का स्याह होता शरीर चटकीले लाल फूलों के सानिध्य में एक ऐसे आकर्षण में आपको बाँध लेता है कि आप इस दृश्य को अपनी आँखों में सँजोए रखना चाहते हैं। इस बार मेरे मोहल्ले में सेमल के फूल थोड़ी देर से आए और अब तो उनके झड़ने की प्रक्रिया आरंभ भी हो गयी है। पिछले हफ्ते ऐसी ही एक ढलती शाम का ये रंगीन लम्हा आपके लिए
सेमल के फूल |
नीम
पिछले महीने नीम के पेड़ में अब पत्तियाँ ना के बराबर बची थीं फिर नए पत्ते आने लगे। इन नन्ही कोपलों को फूटते देखने का सुख कम नहीं।नीम की नव कोपलें |
नव पल्लवों के आने के हफ्ते भर में इन छोटी छोटी कलियों से से पूरा नीम का पेड़ आच्छादित हो गया।
नव कोपलों से हफ्ते भर में निकले ये नीम की कलियाँ |
अब देखिए कैसे कलियों से इसके खूबसूरत फूल निकल आए हैं। :) |
सहजन या मुनगा
जामुनी शकरखोरे का एक नाम फुलसुँघनी भी है। क्यूँ है वो सहजन के फूलों पर इनकी साष्टांग दंडवत वाली इस मुद्रा से सहज अंदाज़ा लगा लेंगे आप
सहजन के फूलों पर साष्टांग दंडवत करता जामुनी शकरखोरा |
शिरीष
हमारे मोहल्ले में एक पेड़ ऐसा है जो गर्मियों की शुरुआत से से खिलने लगता है। एक बार इसके नीचे से गुजर जाएँ तो बस इसकी भीनी भीनी खुशबू से आमोदित हो जाएँगे। इस वृक्ष का नाम है शिरीष। हिंदी में ये सिरस या सिरीस के नाम से भी जाना जाता है।
इसके पतले पतले रेशों से बने फूल रुई के फाहे जैसे होते हैं। फूल झड़ने पर जो फलियाँ बनती हैं वो लंबी चपटी और सख्त बीज के साथ होती हैं। जाड़े के मौसम में जब हवा चलती है तो इनकी खड़खड़ाहट ध्यान खींचती है। शायद इसीलिए अंग्रेजों ने इसे "सिजलिंग ट्री का नाम दे रखा है। जहाँ तक इसके वैज्ञानिक नाम का सवाल है तो वो इटली के वनस्पति विज्ञानी अल्बीज़ी के नाम पर अल्बीज़िया लेबेक रखा गया है।
शिरीष की फलियाँ |
शिरीष की फलियों के झरने के बाद निकले नव पल्लव व कलियाँ |
एक हफ्ते बाद ही शिरीष यूँ भर गया फूलों से |
कनेर
कनेर के फूल से भी ज्यादा मुझे इसकी पतली हरी पत्तियाँ अच्छी लगती हैं। वैसे भी ये औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं।
पीला कनेर |
स्नैपड्रैगन या डॉग फ्लावर
सोचिए तो इनका ऐसा विचित्र नाम क्यूँ पड़ा? ज्यादा मुश्किल नहीं है ये प्रश्न। बस इनका कोई भी गिरा हुआ एक फूल उठाइए और उसे आधार से दबाइए। दबाते ही इसकी दोनों पंखुड़ियाँ अपना मुँह खोल लेंगी और छोड़ते ही बंद कर लेंगी। पश्चिमी सभ्यताओं को इस फूल का चेहरा ड्रैगन समक्ष लगा तो इसके मुँह खोलने बंद करने के गुण की वजह से वहां इसका नाम स्नैपड्रैगन के रूप में प्रचलित हुआ।
चेहरा तो देखने वालों पर है किसी को 🐉 ड्रैगन लग सकता है किसी को 🐕 जैसा।
स्नैपड्रैगन या डॉग फ्लावर |
लिली
क़ैद में है "लिली"
कोरोना मुस्कुराए
कुछ कहा भी ना जाए
खिले रहा भी ना जाए
क़ैद में है लिली |
वैसे ये लिली सचमुच क़ैद में है। इसके मालिक इसे पिछले साल लगा कर चले गए और पिछले हफ्ते ये अपने आप फिर खिल गई।
पिटूनिया
गुलाबी पिटूनिया |
वर्बेना
वर्बेना (Verbena) या बरबेना |
बोगनवेलिया |
बोगनवेलिया के कागजी फूल देखिए सूर्य की पहली किरण पाकर कैसे प्रकाशित हो उठे हैं |
क्राउन डेज़ी
एक खिले दूजा इठलाए
मेरे तो दोनों मन भाए
मेरे तो दोनों मन भाए
क्राउन डेज़ी (Crown Daisy, Chrysanthemum Coronarium) को हिंदी में ज्यादातर गुलचीनी के नाम से जाना जाता है। ये पीला सफेद फूल देखने में तो खूबसूरत है ही पर इस पौधे की पत्तियों का अपने पौष्टिक गुणों के कारण दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों के विभिन्न व्यंजनों में इस्तेमाल होता है।
क्राउन डेज़ी |
सबबूल
सबबूल के फूलों के बीच छोटा बसंता :) |
इस बार वसंत थोड़ी देर से आया और थोड़ी देर ज्यादा ठहर पाया है इसीलिए बहुत सारे फूल जो अप्रैल की गर्म होती फ़िज़ाओं में सिकुड़ने लगते थे अब भी हँस मुस्कुरा रहे हैं। अब जब फूल यूँ खिल कर अपनी खूबसूरती बिखेरेंगे तो तितलियाँ भी कहाँ पीछे रहने वाली हैं।
कल तितलियों का एक नया मेहमान दिखाई पड़ा तो उत्सुकता हुई कि जरा जाने तो कि ये कौन सी तितली आई है? सौभाग्य से मोहल्ले में यूँ ही बिखरे पुटुस यानी रायमुनिया के फूलों ने हमारी इस नई मेहमान का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया और वो जा बैठी इस पुष्प पर। वैसे भी ये फूल आतुर रहते हैं कि तितलियाँ आएँ, उनकी सहायता से परागण हो और वो अपने रंग बदल सकें।
तस्वीर तो ले ली गयी। दूर से सफेद पंखों पर काले काले गोल चौकोर नमूने दिखे और मुँह के पास लाली भी नज़र आई। धूप अगर कम होती तो इसके सफेद काले परों के बीच एक हल्के नीले शेड का भी आभास होता जिसकी वज़ह से इनका नाम Blue Mormon पड़ा है।
ब्लू मॉरमॉन |
झारखंड में अमूमन ये तितली अपेक्षाकृत कम देखी जाती है। इसे सदाबहार जंगल ज्यादा रास आते हैं इसलिए श्रीलंका में बहुतायत पाई जाती है। भारत के दक्षिणी राज्यों में भी ये आम है और महाराष्ट्र ने तो इसे अपनी राजकीय तितली का ही दर्जा दे रखा है। गुजरात, मध्य प्रदेश और झारखंड के उत्तर इसे कम ही देखा गया है।
सूरज की झीनी झीनी रोशनी को अपने में समेटता शीशम का पेड़ |
आजकल रात का आसमान देखने लायक है। चाँद और शुक्र तो छुआ छुई खेल ही रहे हैं पर उनके पीछे दर्शक दीर्घा में सैकड़ों चमकते तारों की बारात भी है। ऐसे नज़ारों के लिए पहले पहाड़ों तक भटकना पड़ता था।
तो इस एकांतवास में एक बार छत की भी सैर कर आइए। मायूस मन भी तारों सा जगमगा उठेगा।
कितना हसीं है ये चाँद :) |
आशा है इस यात्रा ने आपके मन में भी एक धनात्मक उर्जा का संचार किया होगा। अगली बार आपकी पहचान कराएँगे उन पक्षियों से जो आपके बाग बगीचों में अक्सर आते हैं पर आप उन्हें पहचान नहीं पाते।
बहुत सुंदर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंवाह । हर दिन का लेखा-जोखा । सुन्दर चित्र और उनका परिचय ।
जवाब देंहटाएंजी इस बार फूलों और पेड़ पौधों की खूबसूरती का बयाँ था। अगली कड़ी में हमारे बाग बगीचों में रोज़ाना आने वाले पक्षियों के नाम सहित सबसे परिचय कराऊँगा।
हटाएंबहुत बढ़िया सर सकारात्मक सोच से ही इससे निकला जा सकता है
जवाब देंहटाएंशुक्रिया, प्रकृति हमारे मन में सकारात्मक सोच पैदा करने में एक अहम भूमिका निभाती है।
हटाएंअगर आपने इस पोस्ट को नहीं पढ़ा तो कुछ नहीं पढ़ा देखा सुकून और सुख देने वाली पोस्ट। इतनी मनमोहक कि मन कह उठे वाह वाह वाह
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट को इतना सराहने का हार्दिक आभार :)
हटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंबहुत ही सुन्दर पोस्ट। इतने फूलों,चिड़िया और तितली से मिला दिया। उनके नाम भी पता चले। आपके साथ यह यात्रा करके मजा आया। शीशम के पेड़ से झाँकता सूरज तो दिल लूट देता है। इसे मोबाइल का वालपेपर बनाने को दिल चाहता है।
जवाब देंहटाएंबस मैं यही संदेश देना चाहता था कि इन हालातों में घर पर बैठे बैठे भी आप बहुत कुछ देख सकते हैं, कुछ नया महसूस कर सकते हैं जैसा हम सभी बतौर यात्री करते हैं।
हटाएंऔर हाँ वॉलपेपर शौक़ से बनाइए मुझे खुशी होगी। :)
These chromatic pictures of flowers are really eye-catching
जवाब देंहटाएंThanks for your appreciation !
हटाएंमन को प्रसन्न करने वाली है आपकी ये पोस्ट। प्रकृति को सुंदर बनाने वाले इन फूलों, तितलियों और चिड़ियाओं का अद्भुद चित्रण करने के लिए शुक्रिया आपका।
जवाब देंहटाएंआपको ये पोस्ट इस माहौल में कुछ पल खुशी के दे गयी जानकर प्रसन्नता हुई। ईस ब्लॉग पर पधारने के लिए धन्यवाद ।
हटाएंवास्तव मे आप चित्रांकन मे सिद्धहस्त है। मनोरम दृश्यावलोकन।
जवाब देंहटाएंजरा अपनी दृष्टिपात यहॉ भी !
://gaonwasi.blogspot.com/2020/04/blog-post.html?utm_source=feedburner&utm_medium=feed&utm_campaign=Feed:+Gaonwaasi+(Gaonwaasi)&m=1
धन्यवाद सराहने के लिए।
हटाएंBahut badiya likha ser apne
जवाब देंहटाएंआपको पसंद आया जान कर खुशी हुई।
हटाएंउत्कृष्ट, ज्ञानवर्धक पोस्ट...
जवाब देंहटाएंलॉकडाउन के समय में खिलते फूलों और पक्षियों को देख मन में सुकून भर गया .धन्यवाद इतनी सुन्दर पोस्ट के लिए ।
जवाब देंहटाएं