दीपावली से लेकर अभी तक नागपुर, पेंच और फिर ओड़ीसा के सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान का सफ़र कम अंतराल पर हुआ। सोचा था इसी बीच रण महोत्सव के बीच कच्छ की यादें ताज़ा करूँगा पर उसके लिए समय ही नहीं निकल पाया। पिछले महीनों को इन यात्राओं में आनंद बहुत आया और इन्हीं यात्राओं के बीच धीरे धीरे यात्रा से जुड़ी एक किताब भी खत्म की जिसका नाम है घुमक्कड़ी दिल से।
इसे लिखा है अलका कौशिक ने। अलका जी ने पत्रकारिता और अनुवाद की दुनिया में दो दशक बिताने के बाद यात्रा लेखन का दामन थामा। अपनी देश विदेश की यात्राओं के इन्हीं लमहों को उन्होंने एक पुस्तक का रूप दिया है । अलका जी से मेरी मुलाकात सात साल पहले लखनऊ में यात्रा लेखकों व पत्रकारों के सम्मेलन में हुई थी। वे एक सौम्य व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं और उनके व्यक्तित्व का यही गुण उनकी भाषा में भी झलकता है।
करीब एक सौ सत्तर सफ़ों की इस पुस्तक के दो हिस्से हैं। पहले हिस्से में विदेश की धरती से जुड़े उनके संस्मरण हैं। कुछ बेहद छोटे तो कुछ विस्तार लिए हुए। पुस्तक के इस भाग में सबसे ज्यादा आनंद तब आता है जब अलका बाली, भूटान, बर्मा, ताइवान, सिंगापुर जैसे देशों को छूते हुए कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकलती हैं। चाँदनी रात में घोड़ो पर सफ़र करते हुए वो लिखती हैं.
अब चट्टानी पत्थरों पर बीच बीच में चाँदनी के गुच्छे बिखरे दिखने लगे हैं। कुछ छोटे छोटे फूल भी खिले हैं, मगर चाँदी की उस घास को देख कर हैरत में हूँ। अगले एकाध किमी तक उनकी चाँद की लकीरों को देख कर अचरज भी खत्म होने लगा है , पोर्टर से पूछती हूँ उनके बारे में। "यह राक्षस घास है" और इतना कहते कहते उसने अपनी पर्स में रखी वैसी ही घास का टुकड़ा मुझे पकड़ा दिया है। "हम पहाड़ के लोग हमेशा इस घास को पास में रखते हैं, जेब में पर्स में, झोले में। ये हमें बुरी आत्माओं से बचाती है। भूत प्रेत नहीं लगते जिनके पास ये होती है..।
पहाड़ के सीधे सरल भोले भाले विश्वास को इतने करीब से देखना सुखद अहसास से भर देता है।
किताब के दूसरे हिस्से में चंबल, बस्तर, भीमबेटका, हैदराबाद, अमृतसर, कच्छ, जोधपुर, किन्नौर लद्दाख, सियाचीन, प्रयाग आदि स्थानों से जुड़े उनके संस्मरण हैं। भीमबेटका की भित्ति चित्र से सुसज्जित गुफाओं से लेकर हैदराबाद के यमनी मोहल्ले की उनकी सैर दिलचस्प है। लद्दाख, किन्नौर स्पिति और सियाचीन के उनके अनुभव रोमांच जगाते हैं। जोधपुर की उनकी यात्रा संगीत की स्वरलहरियों को बिल्कुल आपके करीब ले आती है तो नंदादेवी की यात्रा उत्तरखंड की संस्कृति का एक आईना बन कर आपके सामने आती है।
अलका जी की लेखनी का सशक्त पहलू उनकी बहती भाषा है जो जगह जगह आपके मन को पुलकित करती रहती है। मादरीद की रातों की बात हो या कैलाश मानसरोवर के दुर्गम मार्ग का रोमांचक विवरण, चंबल नदी की सुंदरता का बखान हो या बर्मी बाजार में लूडो की बिसात पर खिलती मुस्कुराहटों का जिक्र, ये भाषा सौंदर्य मन को मोहता है। एक बानगी देखिए..
पान की दुकान पर खूबसूरत मुस्कुराहटों की ओट में एक बर्मी युवती पान बनाने में मशगूल है। यों तो उसके कत्थई रंग में रंगे दांतो को देखकर लगता नहीं कि वह कुछ बेच पाती होगी! यहां भी बाजार पर औरतों का कब्जा है, ज्यादातर वे ही दुकानदार हैं और खरीदार भी। एक तरफ खिलखिलाहटों की चौसर बिछी दिखी तो मेरे कदम उधर ही उठ गए। यहां लूडो की बिसात सजी है 16 साल की युवती से लेकर 70 बरस की अम्मा तक गोटियां सरकाने में मशगूल हैं। पान की लाली ने हर एक के होंठ सजा रखे हैं। बाजार मंदा है और समय को आगे ठेलने के लिए लूडो से बेहतर क्या हो सकता है!
दूसरी ओर उनके देश विदेश के कुछ वृत्तांत इतने संक्षिप्त हैं कि उस स्थान से जुड़ाव होने से पहले ही मामला "The End " पर आ जाता है। मुझे लगता है कि ऐसे आलेखों को संकलन में शामिल करने से बचा जा सकता था। आशा है पुस्तक के अगले संस्करण इस बात को ध्यान में रखेंगे।
इस पुस्तक को भावना प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। पुस्तक को आप यहाँ से मँगा सकते हैं।
आपके विवरण से लग रहा है किताब बहुत अच्छी है....अलका जी के लेखनी तो जबरदस्त है ही...
जवाब देंहटाएंउनकी लेखन शैली का मैं शुरु से प्रशंसक रहा हूँ। मैंने पुस्तक के सशक्त और कमज़ोर पहलुओं से पाठकों का परिचय कराने की संक्षिप्त कोशिश की है ताकि पाठक पुस्तक पढ़कर अपनी राय ख़ुद कायम करें।
हटाएंकिताब जरूर बहुत अच्छी होगी, अमेजॉन से ऑर्डर किया है मैंने, अब इसके प्राप्ति का इंतजार रहेगा |
जवाब देंहटाएंवाह ! पढ़कर अपनी राय से अवगत कराइएगा।
हटाएंजी बिल्कुल।
हटाएंशानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंअल्का कौशिक जी की घुमक्कड़ी दिल से पर आपकी विवेचना पढ़कर लग रहा है कि पुस्तक पढ़ने लायक है. जल्द ही मंगवाता हूँ.
जवाब देंहटाएंउनका लिखने का अंदाज मुझे तो भाता है। आशा है आपको भी पसंद आएगा।
हटाएंलेखन में तरलता ही तो सौन्दर्य बांधती है।
जवाब देंहटाएंजी, बिल्कुल :)
हटाएंI have purchased the book just through Amazon, will provide my comments after read it
जवाब देंहटाएंWill love to know your opinion.
हटाएंआपने बहुत अच्छे से इस किताब का विवरण किया है आपके विवरण से लग रहा किताब बहुत अच्छी होगी
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