रांची की दुर्गा पूजा की पंडाल परिक्रमा के तीसरे चरण में चलिए बांग्ला स्कूल के इस राजस्थानी पुतलों के संसार में।
बांग्ला स्कूल का पंडाल राँची के अन्य बड़े पंडालों जितना प्रसिद्ध भले ना हो पर यहाँ कलाप्रेमी अक्सर कुछ अलग सा देखने के लिए जाते जरूर हैं। इस बार यहां पंडाल की दीवारें सिंदूरी रंग में सजी थीं। दीवारों के गोल नमूनों को बीचों बीच जलता बल्ब पंडाल को जगमग कर रहा था। पंडाल की एक दीवार पर शीशा लगा कर लोगों को सेल्फी खींचने की ज़हमत से बचा दिया गया था।
तीस से पैंतीस फीट की कठपुतलियों के बीच माँ दुर्गा से मिलती जुलती छोटी छोटी गुड़िया बनाई गयी हैं। पंडाल के मुख्य मूर्तिकार निर्मल शील के अनुसार इन्हें बनाने के लिए चटाइ, पाट लकड़ी, शीप, शंख, हुगला पत्ता, ताल पत्ता और बाँस का इस्तेमाल किया गया है।
बांग्ला स्कूल का पंडाल राँची के अन्य बड़े पंडालों जितना प्रसिद्ध भले ना हो पर यहाँ कलाप्रेमी अक्सर कुछ अलग सा देखने के लिए जाते जरूर हैं। इस बार यहां पंडाल की दीवारें सिंदूरी रंग में सजी थीं। दीवारों के गोल नमूनों को बीचों बीच जलता बल्ब पंडाल को जगमग कर रहा था। पंडाल की एक दीवार पर शीशा लगा कर लोगों को सेल्फी खींचने की ज़हमत से बचा दिया गया था।
तीस से पैंतीस फीट की कठपुतलियों के बीच माँ दुर्गा से मिलती जुलती छोटी छोटी गुड़िया बनाई गयी हैं। पंडाल के मुख्य मूर्तिकार निर्मल शील के अनुसार इन्हें बनाने के लिए चटाइ, पाट लकड़ी, शीप, शंख, हुगला पत्ता, ताल पत्ता और बाँस का इस्तेमाल किया गया है।
इस पंडाल की सबसे खूबसूरत छटा छलक रही थी माँ के दरबार में। सीपों की लटकती झालर के पीछे माँ दुर्गा राजस्थानी लिबास में लिपटकर सौंदर्य का प्रतिमान लग रही थीं।
राजस्थानी वेशभूषा में सजी सँवरी माँ दुर्गा |
अब और क्या बताना आप खुद ही देख लीजिए मेरे कैमरे की नज़र...
पंडाल का मुख्य द्वार |
पुतलों की विशाल प्रतिमाएँ |
तोरण द्वार |
सिंदूरी और पीले रंग को आधार बनाया गया इस पंडाल की साज सज्जा के लिए |
लीजिए मैं भी आ गया शीशे के सामने |
सिंदूरी आभा से जगमगाता पंडाल |
इस पुतले के आधार पर था माँ का मंडप |
दुर्गा जी की इस साल की सबसे सुंदर प्रतिमाओं में से एक |
माता की सुरक्षा में तीन देवियाँ |
माँ का मंडप में ढाक की मधुर |
विदा ओसीसी क्लब अगली बार फिर मिलेंगे |
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पंडाल का सिंदूरी रंग ख़ूब खिल रहा है!!
जवाब देंहटाएंपिछले हफ्ते हर पंडाल किसी ना किसी रंग में दहक रहा था ! :)
हटाएंइतने साल हो गये रांची के शानदार पंडालों का आपकी पोस्ट के माध्यम से आंखों देखा वृतांत पढ़ते और फोटो देखते हुए। अगली साल रांची जाकर ही देखना पड़ेगा
जवाब देंहटाएंजी जरूर आइए बंगाल के बाद झारखंड दुर्गा पूजा की धूमधाम देखने के लिए सबसे उचित स्थान है। :)
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