अक्टूबर आने के साथ ही राँची में उत्सव का माहौल शुरु हो जाता है। शहर में दुर्गा पूजा की धूम षष्ठी से ही शुरु हो गयी है। इस बार पहले से ही आ गई ठंड से लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। कल रात पाँच घंटे राँची की सड़कों पर घूमते हुए लगा कि सारा शहर सज धज के इस आनंद पर्व की मस्ती में सराबोर हो चुका है। यहाँ एक ओर तो भक्ति और उल्लास का संगम है तो दूसरी ओर पंडालों में कारीगरों की उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन भी..
वैसे तो हर पंडाल ने माता को खूबसूरती से सजाया है पर हरमू, दुर्गाबाड़ी और ओसीसी क्लब में माता की छवि पहले दिन देखे गए इन पंडालों में मन को सबसे ज्यादा मोहने वाली लगी।तो चलिए आपको दिखाएँ कि इस बार दुर्गा माँ किस रूप में राँची के पंडालों में अवतरित हुई हैं।
हरमू पंचमंदिर
यहाँ की छोटी सी प्रतिमा एक बार में ही मन को आक्रषित कर लेती है। |
दुर्गा बाड़ी
दुर्गा बाड़ी के भक्तिमय वातावरण को देख के लगता है कि बंगाल एकदम से नजदीक आ गया हो। यहाँ माँ दुर्गा की साज सज्जा भी वहीं के जैसी है |
इस बार राँची की सबसे कलात्मक पंडालों में से एक ओसीसी क्लब की मूर्ति सीप से बनाई गयी है। माँ दुर्गा यहाँ स्वप्न लोक में विचरण करते हुए एक सौम्य रूप में यहाँ आपसे मुखातिब होती हैं। |
यहाँ दुर्गा माता कृष्ण के रंग में रँगी दिख रही हैं। मीरा उनकी वंदना में लीन हैं। समाज में पैदा हो राही तामसिक प्रवृतियों को नाश करने की जरूरत को भी मूर्तिकार मे दर्शाने की कोशिश की है। |
रेलवे स्टेशन
यहाँ पंडाल के बाहर दशानन के साथ दुर्गा का ये रूप प्रदर्शित है। |
यहाँ धातुई रंग का इस्तेमाल हुआ है। मूर्तियों की भाव भंगिमा देखते ही बनती है। |
यहाँ दुर्गा जी को महिसासुर के संहार की जरूरत ही नहीं पड़ती। वो ख़ुद उनके चरणों में अपनी गलतियों का पश्चाताप करने बैठा है। |
बिहार क्लब
गुलाबी आभा से दीप्त हैं यहाँ माँ दुर्गा |
माँ दुर्गा महिसासुर को समझाने की मुद्रा में |
दुर्गा जी भारत माता के वीर जवानों का सत्कार करती हुईं |
सेल टाउनशिप
भगवान शिव ने ही महिसासुर को अथाह शक्ति दी थी और उन्होंने ही इस शक्ति के गलत प्रयोग को रोकने के लिए देवी दुर्गा की उत्पत्ति की। |
अरगोड़ा
दुर्गा जी का एक और मोहक रूप |
ये तो हुई माँ दुर्गा की पंडाल परिक्रमा। दुर्गा पूजा उत्सव को आगे बढ़ाते हुए शीघ्र ही आपके सामने होंगे कलात्मकता की दृष्टि से राँची के इस साल के श्रेष्ठ पाँच पंडाल। अगर आपको मेरे साथ सफ़र करना पसंद है तो Facebook Page Twitter handle Instagram पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना ना भूलें।
राँची दुर्गा पूजा पंडाल परिक्रमा 2018
रातू रोड और सत्य अमर लोक की प्रतिमाओं से बहुत बेहतर सन्देश दिया गया है!
जवाब देंहटाएंरातू रोड का पंडाल भी इस साल बेहद कलात्मक था।
हटाएंइधर हर जगह दुर्गा पूजा का माहौल रहता है,, रामलीला,, रावण-दहण का बहुत कम।
जवाब देंहटाएंरामलीला वाली संस्कृति दिल्ली और उत्तरप्रदेश में हमेशा से ज्यादा रही है।क्यूँ ना हो अयोध्या से पास हैं वो इलाके। राँची में बंगाल का प्रभाव सैकड़ों सालों से रहा है। इस लिए उनकी सांस्कृतिक विरासत को इस इलाके के लोगों ने अपना लिया है।
हटाएंआपकी पोस्ट के माध्यम से रांची की दुर्गापूजा के नज़ारों का इंतज़ार था. पिछले साल की पोस्ट अभी तक याद है. हालांकि वह शायद ज्यादा विस्तृत थी. मग़र यहां बैठे रांची की पंडाल होपिंग हो ही गई ��
जवाब देंहटाएंफिलहाल वो श्रंखला चल रही है। ये तो सिर्फ माँ की छवियों का संकलन था। अगली कड़ी यहाँ है। http://www.travelwithmanish.com/2018/10/2018-best-pandals-of-durga-puja-ranchi.html
हटाएंDear Sir/Madam,
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