राँची को बाहर से आने वाले अक्सर झरनों के शहर के रूप में ही जानते रहे हैं। हुँडरू, दसम, जोन्हा, सीता और हिरणी के जलप्रपात राँची से अलग अलग दिशा में बिखरे हैं जहाँ महज एक से दो घंटे के बीच पहुँचा जा सकता है। एक ज़माना था जब राँची में दोपहर के बाद लगभग हर दिन बारिश हो जाया करती थी और तब इन झरनों में सालों भर यथेष्ट बहाव रहा करता था। आज की तारीख़ में बारिश के मौसम और उसके तीन चार महीनों बाद तक ही इन झरनों की रौनक बनी रहती है।
पतरातू घाटी |
इस बार मानसून का आनंद लेने के लिए हम लोगों ने पारसनाथ की पहाड़ियों को चुना। अगस्त के आख़िरी सप्ताहांत में शनिवार की सुबह जब हम घर से निकले तो हमारा इरादा राँची हजारीबाग रोड से पहले हजारीबाग पहुँचने का था पर घर से दो तीन किमी आगे निकलने के साथ योजना ये बनी कि क्यूँ ना इस खूबसूरत सुबह को पतरातू की हरी भरी वादियों में गुजारा जाए।
राँची से पतरातू जाने वाला रास्ता यहाँ के मानसिक रोगियों के अस्पताल, रिनपास, काँके की बगल से गुजरता है। |
पर इससे पहले की आप पतरातू की इस रमणीक घाटी के दृश्यों को देखें ये बता दूँ कि इस घाटी पर जब ये सड़क नहीं बनी थी तो लोग रामगढ़ हो कर पतरातू आते जाते थे। अस्सी के दशक में रूस की मदद से यहाँ एक ताप विद्युत संयंत्र लगाया गया था। इस संयंत्र और रामगढ़ शहर को पानी पहुँचाने के लिए यहाँ एक डैम का भी निर्माण हुआ था जहाँ पहले मैं आपको ले जा चुका हूँ। आज यहाँ जिंदल की भी एक स्टील मिल है।
रास्ते में उपलों के ढेर |
यहीं से शुरु होती हैं पतरातू की पिठौरिया घाटी |
मानसून के मौसम में यहाँ की हरी भरी वादियों के बीच खाली खाली सड़क के बीच से गुजरने का लुत्फ़ ही और है। |
पतरातू घाटी को चीरती आड़ी तिरछी सर्पीली सड़कें |
ये है पतरातू घाटी का सबसे चर्चित दृश्य। सड़कों के इन जाल के बीच ये हरे भरे पेड़ एक गुलदस्ते की तरह दिखते हैं। |
घाटी के हर मोड़ पर छोटे छोटे बगीचे बनाए गए हैं जो घाटी की सुंदरता को और निखारते हैं। |
पतरातू घाटी से उतरते ही सामने आ जाता है यहाँ का डैम जहाँ अब एक रिसार्ट भी बन रहा है। |
ये हैं झारखंड के मानसूनी रंग... |
पतरातू से आगे का रास्ता बड़काकाना और रामगढ़ होते हुए जाता है। |
रामगढ़ के आगे का एक रेलवे ब्रिज देखिए मानसून में कितना हरिया गया है। |
सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीं |
पतरातू घाटी में नव वर्ष और गर्मियों को छोड़ साल के किसी भी महीने में जाया जा सकता है पर मानसून में इसकी फ़िज़ा निराली होती है। इस इलाके को बतौर फिल्म सिटी और डैम को पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित करने की योजनाएँ हैं पर अभी ये इलाका भीड़ भाड़ से परे नैसर्गिक सुंदरता से भरा हुआ है। झारखंड की इस यात्रा में हमारा अगला पड़ाव था हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य। एक और फोटो फीचर के साथ शीघ्र ही लौटूँगा झारखंड की इस मानसूनी यात्रा में..
बेहतरीन मनमोहक तस्वीरें। अगले फ़ोटो फीचर का ििइंतज़ार रहेगा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद इन तस्वीरों को पसंद करने के लिए।
हटाएंसभी pics बहुत बढ़िया और एक नई जगह पतरातू के बारे में बताने के लिए धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंझारखंड की इन जगहों को अभी राष्ट्रीय तौर पर कम ही जाना जाता रहा है। पोस्ट पसंद करने के लिए आभार!
हटाएंसभी तस्वीरें एक से बढ़कर एक।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंSuperb pics Manish. And the coverage was also good. Soon to see some more places around ranchi on your blog.
जवाब देंहटाएंI have already covered Tilaiya Dam and Hazaribagh National Park in this series. Will soon cover my trekking from top of Parasnath hills to Madhuvan in my next post.
हटाएंसर्पीली सड़को ने तो मन मोह लिया है। अत्यन्त सुन्दर।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
हटाएंआपके यात्रा की शौक़ एवं यात्रा विश्लेषण का अंदाज अच्छा लगा। चाहूँगा कि आप इसी तरह दुनिया का भ्रमण करें एवं लोगों को भी अपने ब्लाग के माध्यम से भ्रमण का अनुभव कराते रहें। अाप अपने अनुभव को हमारी पत्रिका के ट्रैवल कॉलम में भी साझा कर सकते हैं। www.hetimes.co.in
जवाब देंहटाएंधन्यवाद! क्या आपकी पत्रिका में आलेख के लिए मानदेय का प्रावधान है। अगर ऐसा है तो ब्लॉग पर दिए ई मेल पर संपर्क करें।
हटाएंबहुत खूब .. बेहद प्रशंसनीय लेख
जवाब देंहटाएंह्रदय से आभार !!
very nice !
जवाब देंहटाएंAwsome
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर वर्णन किया है आपने सर 🙏
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