दुधवा से जुड़े पक्षी महोत्सव के बारे में लिखते हुए मैंने आपसे वादा किया था कि जल्द ही इन घने जंगलों की अप्रतिम सुंदरता को आपके समक्ष प्रस्तुत करूँगा। तो आइए देखिए कि प्रकृति क्या क्या लीलाएँ दिखलाती हैं इन हरे भरे अरण्यों के बीच आज के इस फोटो फीचर में। चित्रों को क्लिक कर उनके बड़े स्वरूप में देखेंगे तो ज्यादा आनंद आएगा।
ये हैं जंगल दुधवा के.. |
नीचे ज़मीन पर पालथी मारे कोहरा और ऊपर आसमान में बढ़ती लाली |
यहाँ मिनट मिनट पर सुबह अपना रूप बदल लेती है... |
जंगल में जब पहली बार सूर्य किरणें पत्तियों के किवाड़ों को सरका कर धरती तक पहुँचती हैं तो वो मंज़र देखने लायक होता है। |
छन छन कर उतरती इस धूप को अपनी आँखों में समेटना एक ऐसा अहसास जगाता है जिसे शब्दों में बाँधना मुश्किल है। |
सूर्य का आना वृक्षों को अवसर देता है अपने पूरे यौवन को दर्शाने का.. |
ऍसे हरे भरे रास्ते मन को हरिया देते हैं। |
जो पत्तियाँ अँधेरे में गहरे हरे रंग की उदासी ओढे रहती हैं वो अचानक ही किरणों का आलिंगन कर धानी रंग में खिल उठती हैं। |
और ये हैं जंगल का प्राकृतिक मील का पत्थर। हाँ हुजूर, बस मील के फासले में दीमकों की ये बांबी रास्ते के कभी बाएँ तो कभी दाएँ पहाड़ सी खड़ी हो जाती थी। |
अब इन बरगद जी को देखिए दस पेड़ों की जगह अकेली सँभाल रखी है। |
मचान से सरसों के खेतों की रखवाली करती एक छोटी सी लड़की जो किशनपुर वन्य अभ्यारण्य के रास्ते में मिली और जिसकी चमकती आँखें जब हमारे कैमरे से दो चार हुईं तो फ़िज़ा में मुस्कुराहटें फैल गयीं। |
पलिया कलाँ से किशनपुर जाते हुए सरसों के इन खेतों पर आँखें टिकी तो टिकी रह गई |
झादी ताल, किशनपुर में उतरती सांझ |
पत्तियों के बिना इन पेड़ों का एकाकीपन सांध्य वेला में कुछ ज्यादा ही उदास करता है। |
सूखी घास के इन कंडों पर जब ढलता सूरज निगाह डालता है तो ये और सुनहरे लगने लगते हैं। |
जाने के पहले सूरज कैसे आ जाता है जंगल की गोद में |
लीजिए अब सूरज के विदा होने का वक़्त आ गया.. |
पसरता अँधेरा धधकती अग्नि |
शब्द भी चुन-चुन कर प्रयोग किया गया है। दुधवा के जंगल में मचान का एक रोचक किस्सा Manmohan Singh Bawa ने अपने पुस्तक में किया है,,जब शिकारी मचान से हड़बड़ा कर बाघ पर गिर जाता है और डर के मारे बाघ उसे छोड़कर भाग जाता है। अगले बार जब वही बाघ शिकारी के निशाने पर आ जाता है तो शिकारी पिछले घटना को याद कर बाघ को छोड़ देता है। पुस्तक--- जंगल-जगंल पर्वत-पर्वत ।
जवाब देंहटाएंइस रोचक जानकारी को साझा करने के लिए आभार !
हटाएंबहुत ही प्यारे फ़ोटो आये प्रकृति के...अति सुंदर !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, सुबह और शाम में इन जंगलों की सुंदरता देखते ही बनती है।
हटाएंBeautiful pictures
जवाब देंहटाएंThanks ;)
हटाएंबहुत सुंदर चित्र। उतनी ही काव्यात्मक उनकी व्याख्या।
जवाब देंहटाएंपसंदगी ज़ाहिर करने के लिए आभार !
हटाएंप्रातःकालीन वृक्षो का सूर्योदय स्वागत और सान्ध्य की स्थूल नीरवता का अप्रतिम सामंजस्य।
जवाब देंहटाएंवाह आपकी काव्यात्मक टिप्पणी मन प्रसन्न कर गयी।
हटाएंTo observe different photos of forest is very soothing. Continue your details.
जवाब देंहटाएंजी बिल्कुल !
हटाएंऐसी तस्वीरें लेने वालों के दो सिंग नही होते न??? अद्भुत
जवाब देंहटाएंआपका आशय समझ नहीं पाया
हटाएंजी मुझे लगता था कि इतनी खूबसूरत तस्वीरें लेने वाले लोग अजीबो गरीब टाइप होते होंगे। आप तो जाने पहचाने निकले �� ।हमारे इधर अद्भुत करने वालों के दो सिंग नही होते बोलने का चलन है । आप ये समझ लीजिए कि आपकी खिदमत में कहा गया है
हटाएंअद्भुत से तो समझ ही गया था कि चित्र आपको पसंद आए। पर ये मुहावरा मेरे लिए नया था तो सोचा आपसे पूछ कर थोड़ा अपना भाषा ज्ञान बढ़ा लूँ। आख़िर लेखकों की सोहबत का कुछ तो फ़ायदा मिलना ही चाहिए। :)
हटाएंक्यो शर्मिंदा कर रहे है ।मैं कुछ लोगो से सीख रही हूँ उनमें आप भी एक है ।
हटाएंआप अच्छा लिखती हैं इसलिए कहा। बाकी सुधार की गुंजाइश तो हम सब में रहती है और एक दूसरे से सीखना तो हमेशा लगा रहता है।
हटाएंक़लम का जादूगर कैमरे से भी बाजीगरी क्या ख़ूब करता है...शानदार
जवाब देंहटाएंइस बार तो हमारी संगत बड़ी शानदार थी जहां कुछ अच्छा दिख रहा था गाड़ी रुकवा दी जाती थी। इसी वजह से बड़ा मजा आया फोटोग्राफी करने में। मेरे पास इस यात्रा में दो point and shoot और एक मोबाइल कैमरा था। मोबाइल और हाई ज़ूम कैमरे ने अच्छे परिणाम दिए।
हटाएंजी. सोहबत और संगत का बड़ा फ़र्क होता है. ये दूसरा पॉइंट एंड शूट कौन सा था..सोनी वाला तो मैंने देखा है. मैं एक अच्छे पॉइंट एंड शूट कैमरे की तलाश में हूँ.
हटाएंदूसरा Panasonic का पुराना कैमरा था जिसमें 12 X तक जूम था। पक्षियों की फोटो उसी से खींची।
हटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंसर, चित्र शानदार हैं । वृतांत भी पोस्ट करें
हटाएंइस यात्रा का विस्तार से वृतांत यहां लिखा है http://www.travelwithmanish.com/2018/03/up-bird-festival-2018.html
हटाएंAmazing photographs that evoke a feeling of ominous peace inside. Kudos to you :)
जवाब देंहटाएंThanks a lot.
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