हर देश की अपनी एक पहचान होती है जो विश्व के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों के लिए उस देश का प्रतीक बन जाती है। ज्यादातर ये पहचान चिन्ह इमारतों की शक़्ल में होते हैं। भारत का ताजमहल, चीन की दीवार, मिश्र का पिरामिड, फ्राँस का एफिल टॉवर, इंग्लैंड का बिग बेन ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं। अक्सर ऐसे प्रतीक इतिहास के पन्नों पर अपना महत्त्वपूर्ण दखल रखते हैं। पर मगर मैं अगर कहूँ कि एक देश ऐसा भी है जिसका प्रतीक विज्ञान से प्रेरित है तो थोड़ी हैरत तो होगी आपको।
अगर आप बेल्जियम की राजधानी ब्रसल्स में जाएँ तो प्रतीक के तौर पर आपको दुकानों, बसों, इमारतों पर आणविक संरचना बनी दिखाई देगी। बेल्जियम वासियों ने इसका नाम दिया है एटोमियम । स्कूल में आपने धातु क्रिस्टल की संरचना पढ़ते हुए BCC (Body Centered Cubic) व FCC (Face Centered Cubic) के बारे में पढ़ा होगा। अब याद ना भी हो तो मैं याद दिला देता हूँ। दरअसल ये एक घन यानि क्यूब के विभिन्न बिंदुओं पर अणु की पारस्परिक स्थितियों का चित्रण था। ये भी तब बताया गया था कि लोहे के अणु BCC सरीखी संरचना लिए होते हैं। एक घन यानि क्यूब के सारे कोनों पर और एक ठीक घन के मध्य में।
पचास के दशक में यूरोप के वैज्ञानिक नित नई खोजों में लीन थे। बेल्जियम भी इससे अछूता नहीं था और जीवन में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के ख़्याल से यहाँ EXPO 58 के तहत 1958 में एटोमियम का निर्माण हुआ। लोहे के क्रिस्टल की संरचना को 16500 करोड़ गुणा बना कर ये इमारत बनाई गयी। एक BCC के रूप में इसमें अठारह मीटर व्यास के नौ अलग अलग गोले बनाए गए। इन गोलों को तीन मीटर व्यास के पाइप से आपस में जोड़ा गया। इस तरह जो ढाँचा बना उसकी की ऊँचाई 102 मीटर थी। आज इस संरचना का प्रयोग एक म्यूजियम के तौर पर होता है। इसके सबसे ऊपरी गोले में एक भोजनालय बना है जहाँ से आप ब्रसल्स शहर का नज़ारा देख सकते हैं।