राँची के पूजा पंडालों में भारतीय नवयुवक संघ द्वारा बकरी बाजार इलाके में बनाया गया पंडाल अपनी विशालता और भव्यता के लिए जाना जाता रहा है। राँची के अपर बाजार से सटा ये इलाका थोक व्यापारियों का गढ़ है। इसकी पतली गलियों से गुजरने का साहस आम दिनों में तब तक नहीं करते जब तक एकदम से जरूरत ना हो। राँची के शहर के रूप में बसने से पहले ही ये इलाके गाँव की शक़्ल में बस चुके थे। इन गाँवों का नाम यहाँ होने वाले काम के हिसाब से पड़ गया था। यानि रँगाई का काम तो रंगरेज़ गली, मीट की दुकानों के लिए कसाई गली, सोने के आभूषण की बिक्री के लिए सोनार गली। तब तो गाड़ियाँ सड़कों पर दौड़ती ही नहीं थीं सो ये गली कूचे पैदल और बहुत से बहुत साइकिल चलने के लिए बनाए गए। आज जिस जगह पूजा पंडाल बनाया जाता है वहाँ कभी बकरियों की खरीद फरोख़्त हुआ करती थी। बकरियाँ तो अब यहाँ रही नहीं पर इस इलाके का नाम बकरी बाजार पड़ा रह गया।
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मैसूर महल चित्र फ्लैश के साथ, Mysore Palace |
हर साल दशहरे के पहले सप्तमी अष्टमी और नवमी को हजारों की संख्या में भीड़ इन गलियों में उमड़ पड़ती है और हर बार यहाँ का पूजा पंडाल आने वालों को कुछ नया कुछ अप्रतिम देखने का सुख दे ही जाता है। पिछली बार यहाँ मिश्र के विशाल महल का प्रारूप बनाया गया था पर इस बार आयोजकों ने कर्नाटक के मशहूर मैसूर पैलेस को ही यहाँ ला कर खड़ा कर दिया।
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पूजा पंडाल की नक्काशीदार छत |
दशहरे के समय इस महल को मैसूर में रोशनी से सजा दिया जाता है। उस प्रभाव को उत्पन्न करने के लिए आयोजकों ने 25000 बल्ब का इस्तेमाल किया। ये सब इतनी खूबसूरती से किया कि जैसे ही कोई बकरी बाजार परिसर में प्रविष्ट हुआ वो ठगा का ठगा खड़ा रह गया। महल की स्वर्णिम आभा निसंदेह आँखों को तृप्त करने वाली थी।
पंडाल का बाहरी स्वरूप भले ही आपको दक्षिण भारत की याद दिलाए, अंदर का शिल्प विभिन्न लोक कलाओं को समेटे था।
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भीतरी दीवारों की साज सज्जा |
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पैंतीस फीट मूर्ति को भी अलग रूप में निखारा गया था। |
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मैसूर महल चित्र फ्लैश के बिना, Mysore Palace |
बकरी बाजार से सटी राँची झील के पास ही पंडाल है राजस्थान मित्र मंडल का जो हर साल कलात्मकता के नए आयाम प्रस्तुत करता रहा है। पिछले साल यहाँ चूड़ियों से बने पंडाल की आभा देखते ही बनती थी। पर इस साल माहौल कुछ फीका अवश्य रहा। यहाँ कलाकारों ने तार की जाली से इस बार सारे पंडाल को बनाया। दूर से देखने पर शायद ही कोई समझ पा रहा था कि पंडाल में जाली का प्रयोग हुआ है।
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राजस्थान मित्र मंडल का पंडाल |
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लोहे की जाली को बुन कर उकेरी गयी थी यहाँ आकृतियाँ |
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माँ दुर्गा की सौम्य प्रतिमा |
राँची के नामी गिरामी पंडालों के बीच पिछले कुछ सालों से ओसीसी क्लब का पंडाल भी काफी चर्चित हो रहा है। ओसीसी या बांग्ला स्कूल का पंडाल राजस्थान मित्र मंडल के पंडाल से करीब एक किमी की दूरी पर है। वहीं यहाँ फिरायालाल के डेली मार्केट के बगल से होकर भी आया जाता है। इस बार यहाँ पंडाल की थीम पानी का संरक्षण थी। पंडाल का बाहरी हिस्से को बाँध का रूप दिया गया था जिससे एक अविरल धारा नीचे की ओर गिर रही थी। पर पंडाल का असली आनंद इसके भीतर प्रवेश करने पर था जहाँ घुसते ऐसा लग रहा था मानो समुद्र के अंदर प्रवेश कर गए हों।
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ओसीसी क्लब, बांग्ला स्कूल का पूजा पंडाल |
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समुद्र के अंदर चलने का अहसास |
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पंडाल की दीवारों पर थे समु्दी जीव और पादप |
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माँ दुर्गा की रंग बिरंगी सलोनी प्रतिमा |
पंडाल का अंदरुनी हिस्सा नीले प्रकाश से नहाया हुआ था। रंग बिरंगे समुद्री जीव समुद्री खर पतवार के साथ दीवालों की शोभा बढ़ा रहे थे और इन सब के बीच बड़ी खूबसूरती से स्थापित किया गया था माँ दुर्गा की प्रतिमा को।
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इन मछलियों की तो बात ही क्या ! |
पंडाल परिक्रमा की अगली कड़ी में ले चलेंगे रांची के एक ऐसे पंडाल में जो अस्सी प्रतिशत जलने के बाद बारह घंटे में फिर से तैयार हो गया।
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राँची दुर्गा पूजा 2016 की पंडाल परिक्रमा
शानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
जवाब देंहटाएंWaah !
जवाब देंहटाएंBahut sundar
जवाब देंहटाएंShukriya :)
हटाएंGorgeous pandals .
जवाब देंहटाएंराँची में दुर्गापूजा बड़े धूमधाम से मनााई जाती है।
हटाएंसारे चित्र बेहतरीन है... समुद्र की झांकी तो कमाल की है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सभी पंडाल अच्छे लगे
जवाब देंहटाएंजानकर प्रसन्नता हुई।
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