मंगलवार, 3 मई 2016

मुसाफ़िर हूँ यारों की आठवीं सालगिरह एक नए पते पर.. 8th Blog Anniversary !

मुसाफ़िर हूँ यारों का आठवीं सालगिरह पिछले हफ्ते पूरी हुई। नवें साल की शुरुआत में नया बस ये कि अब ये ब्लॉग अपने ख़ुद के डोमेन यानि www.travelwithmanish.blogspot.com से हटकर www.travelwithmanish.com पर चला आया है। हालांकि अभी आप इसके पुराने पते को क्लिक करेंगे तो भी आपको वो नए पते पर ख़ुद ही ले आएगा।


यात्रा जगत में ये बात धड़ल्ले से कही जाती है कि अगर आपके पास खुद का डोमेन हो तो लोग मानते हैं कि आप ब्लॉगिंग को गंभीरता से लेते हैं। ये बात कुछ लोगों के लिए सही हो सकती है पर कितने ही हिंदी या अंग्रेजी में लिखने वाले ब्लॉगर जो वर्डप्रेस या ब्लॉगस्पाट पर हैं, डोमेन वालों से भी बेहतर लिखते हैं।फिर भी अपेक्षाकृत छोटा पता दिखने में एक लंबे पते से बेहतर तो लगता है।

ख़ैर मैंने तो शुरु से इस विधा को गंभीरता से लिया है और तभी तो आठ सालों से यहाँ से हिलने का नाम नहीं लिया। हिंदी में जब मैंने यात्रा आधारित ब्लॉगिंग शुरु की थी तब इस विषय को केंद्र में रखकर ब्लॉग बनाना हिंदी में एक नयी नवेली अवधारणा थी।  मुसाफ़िर हूँ यारों की लोकप्रियता बढ़ी तो इसी नाम से या फिर इससे मिलते जुलते कई कुछ और ब्लॉग रचे गए और उनमें से कुछ ने अपना अलग मुकाम हासिल किया है। विगत तीन चार साल में हिंदी ट्रैवेल ब्लॉगिंग में महिलाओं की सहभागिता बढ़ी है और उन्होंने पूरे मन और मेहनत से इस विधा को अपनाया  है। नए ब्लॉगरों को तो मैं यही सलाह देना चाहूँगा कि यहाँ आप तभी सफल होंगे जब आप लेखन की अपनी विशिष्ट शैली विकसित करें जो आपकी पहचान बन जाए।

हिंदी में यात्रा ब्लागिंग में चुनौतियाँ वही हैं जो चार साल पहले ऐसी ही एक पोस्ट में मैंने कहने की कोशिश की थी। आज फिर वहीं दोहरा रहा हूँ क्यूँकि आज भी वो उतनी ही  सामयिक हैं..

"..सवाल है कि यात्रा लेखन हिंदी में क्यूँ किया जाए? सीधे सीधे आकलन किया जाए तो एक ब्लॉगर के लिए अंग्रेजी में यात्रा लेखन करना ज्यादा फ़ायदेमंद है। अगर आप अंग्रेजी में स्तरीय यात्रा लेखन करते हैं तो ना केवल देश बल्कि विदेशों के पाठक भी आप के ब्लॉग तक पहुँचते हैं। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात ये है कि अंग्रेजी आभिजात्य वर्ग की भाषा है। इस भाषा को जानने वाले पाठकों की क्रय शक्ति हिंदी के आम पाठकों की तुलना में ज्यादा है। लाज़िमी है कि यात्रा से जुड़ी सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियाँ ऐसे ब्लॉगों के साथ व्यावसायिक रूप से जुड़ने में ज्यादा रुचि दिखाएँगी।

हिंदी ब्लागों में एडसेंस का समावेश पिछले साल से ही हुआ है। पर उससे होने वाली आमदनी आपके नेट पर किए गए खर्चे को पूरा कर दे तो गनीमत है। इसीलिए अगर आपका यात्रा ब्लॉग लिखने का उद्देश्य विशुद्ध रूप से व्यावसायिक है तो हिंदी लेखन से वो उद्देश्य निकट भविष्य में पूरा होने से रहा। पर क्या हम सब यहाँ पैसों ले लिए अपना समय ख़पा रहे हैं? नहीं, कम से कम मेरा तो ये प्राथमिक उद्देश्य कभी नहीं रहा। आज भी इस देश में हिंदी पढ़ने और बोलने वालों की तादाद अंग्रेजी की तुलना में कहीं अधिक है। जैसे जैसे समाज के आम वर्ग तक इंटरनेट की पहुँच बढ़ रही है हिंदी में सामग्री ढूँढने वालों की संख्या भी बढ़ेगी। क्या हमारा दायित्व ये नहीं कि ऐसे लोगों को हिंदी में स्तरीय जानकारी उपलब्ध कराएँ जैसी कि अंग्रेजी में आसानी से सुलभ है।.."

फिलहाल तो मैं आपको मेघालय की यात्रा करा ही रहा हूँ। अपनी यूरोप यात्रा के सिलसिले को शुरु करना तो अभी बाकी है और जब तक उस सफ़र के बारे में लिख पाऊँगा कुछ और राहें तय हो चुकी होंगी। 


जिन लोगों को तसवीरों से मोहब्बत लिखे शब्दों से ज्यादा रही है उनको ये बता दूँ कि आप मेरी पसंदीदा चित्रों से इंस्टाग्राम (जो कि मोबाइल से तुरत फुरत फोटो साझा करने का माध्यम है) से यहाँ मिल सकते हैं



वक़्त के साथ स्मार्ट फोन्स ना केवल हमारी जरूरत बन गए हैं बल्कि नेट देखने के लिए भी खासे इस्तेमाल किए जाते रहे हैं। हिंदी में आजकल ऐसे एप आ रहे हैं जो ख़बरों के साथ सिनेमा, यात्रा, खान पान के बारे में लिखे जा रहे अच्छे लेखों को इकठ्ठा कर आप तक पहुँचाते हैं। मुसाफ़िर हूँ यारों न्यूज हंट से जुड़ने वाला पहला हिंदी यात्रा ब्लॉग था। नवें साल में आप मुसाफ़िर हूँ यारों को ऐसी कई और एप्लिकेशन से जुड़ता देख सकते हैं।

चलते चलते इस ब्लॉग का वर्षों साथ निभाने वाले पाठकों का हार्दिक आभार ! जो लोग इसे ई मेल, नेटवर्क ब्लॉग, फेसबुक पेज व ट्विटर के ज़रिये पढ़ते रहे हैं उनसे मेरा यही अनुरोध है कि अपने विचारों को यहाँ, जवाबी ई मेल या फेसबुक पेज पर रखें ताकि आप की भावनाओं से मैं अवगत हो सकूँ। ये आपकी मोहब्बत का नतीजा है कि मैं उसी उत्साह से आपके सामने अपनी यात्राओं के अनुभवों को आपसे बाँटता रहा हूँ। आशा है ये प्रेम आप यूँ ही बनाए रखेंगे।

22 टिप्‍पणियां:

  1. वर्डप्रैस पर ही ले आईए साथ साथ।

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    1. कैसे हैं आप ? बहुत दिनों बाद आपसे मुखातिब होने का अवसर मिला है। वर्डप्रेस पर ले जाने से हम अपनी साइट का डिजाइन बेहतर कर सकते हैं, पर इसके आलावा और क्या फाएदे हैं जगदीश जी ?

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    2. बेहतर SEO, इससे आपके विजिटर्स आठ दस गुना तक भी बढ़ सकते हैं।

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  2. बढ़ते रहो - हिन्दी जिन्दाबाद। हार्दिक शुभकामनायें।

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    1. धन्यवाद आपका इस सफ़र में साथ बने रहने के लिए !

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  3. हिंदी लेखन के बारे में आपके विचार जानकर ख़ुशी हुई। हिंदी भारत में जन जन की भाषा है

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    1. हिंदी में लिखना वैसे ही आनंद देता है सो अपनी भाषा में लोगों तक अपनी बात रखना मन को संतोष देता है और रहेगा। शुक्रिया इस सफ़र में साथ निभाने का

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  4. ब्लॉग के सालगिरह की बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएं ...सही कह रहे हैं, लेखन पैसों के लिए तो नहीं किया जाता और आजकल नेट पर हिंदी पढने वालों की संख्या बढ़ रही है तो उन्हें अच्छी जानकारी उपलब्ध कराना भी कर्तव्य समझना चाहिए और लिखने में आनन्द तो आता ही है .

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    1. बिल्कुल ! लेखन से जीविका चलाना भले कठिन है पर सम्मान और पाठकों का प्यार जरूर मिलता है जैसा आपने भी किताब लिखने के बाद महसूस किया होगा :)

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  5. ढेरों शुभकामनाएँ! यूँ ही मुसाफिर लिखता रहे। मनीष हम तो आपकी पहली पोस्ट से हीपढ़ रहे हैं।

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    1. हाँ प्रेमलता जी आप तो तब से साथ है जबसे मैंने एक शाम मेरे नाम पर अपनी ब्लॉगिंग की नींव रखी थी।

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  6. Congrats! You finally switched to your own domain, which is great! :-)

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    1. Ha ha Renuka remember we chatted on this topic while leaving for Ettawah from Agra. Finally your consultancy was put to use :)

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  7. Bahut bahut badhai ho Manish aapko. Aakhir pata badal he liya. :)
    Ab zyada achha aur sundar hoga.
    Isi tarah likhte rahiye, aur hum maze lekar padhte rahein. :)

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    1. कल जब ये निर्णय ले रहा था तो आपके द्वारा इस संदर्भ में हमारे ग्रुप में हुए विचार विमर्श को दोबारा पढ़ा जिसमें आपने इसके फायदे और नुकसान गिनाए थे। अपने इ मेल सब्सक्राइबर्स खोना नहीं चाहता था इसलिए वर्डप्रेस वाला आप्शन अभी नहीं इस्तेमाल किया।

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  8. बहुत बहुत बधाई मनीष जी. हिन्दी के पाठक भी स्तरीय सामग्री से वंचित क्यों रहें...हिन्दी के पाठक अब तेजी से बढ़ रहे हैं. पैसा मिले न मिले ...दिल को सुकून तो मिलेगा smile emoticon यूं ही आगे बढ़ते रहें.

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  9. बधाईयों के साथ साथ ढेर सारी शुभकामनाएं। यूँ ही अविरत चलता रहे ये कारवाँ , यूँ ही जुड़ती रहे राहें और रहगुज़र।

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  10. सबसे पहले तो आपको बधाई, ब्लॉग की सालगिरह की भी, और अपना डोमेन लेने की भी.

    जगदीश जी की सलाह उपयोगी है. मैं आठ साल पहले ब्लॉगर छोड़कर वर्डप्रेस पर चला गया था. वर्डप्रेस में आपको लगभग असीम ऑप्शन्स मिलेंगे अपने बेलॉग को और प्रसारित करने और अधिक उपयोगी व सुंदर बनाने के लिए.

    हिंदी को एडसेंस सपोर्ट मिलने का एक नुकसान मैं साल भर से देख रहा हूं, वो ये है कि बहुत से कचरा ब्लॉग बन गए हैं जिन्हें अयोग्य लोग संचालित कर रहे हैं. तकनीकी कारणों से कई बार कचरा सर्च में टॉप पर दिखने लगता है और क्वालिटी वाली सामग्री रैंक में पिछड़ने लगती है. फिलहाल तो इसका कोई समाधान नहीं है. जब गूगल हिंदी का कचरा पहचानने में सक्षम हो जाएगा तो कुछ बात बनेगी.

    आपको हमेशा पढ़ता रहा हूं. कई बार किसी जगह घूमने का प्लान बनाया तो सबसे पहले आपके ब्लॉग पर टिप्स टटोले.

    ब्लॉग और विशाल बने और निखरे ... शुभकामनाएं.

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    1. निशांत आप की सलाह का भविष्य में ध्यान रखूँगा। मेरे बहुत सारे मित्र वही कर रहे हैं जैसा आप कह रहे हैं। पर सुना है गूगल अपनी होस्टिंग और डोमेन सर्विस ला रहा है जो फिलहाल भारत में उपलब्ध नहीं है। क्या वो वर्डप्रेस पर होस्ट किए हुए ब्लॉग जैसा सशक्त नहीं होगा ?

      हिंदी जेन के प्रति की गई आपकी मेहनत इस बाबत हमारे समान दृष्टिकोण को दिखलाती है। भविष्य में वर्डप्रेस पर कभी जाने का अंतिम विचार बना तो आपसे विस्तार में बात करूँगा।

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    2. नमस्ते मनीष जी,

      यह सच है कि वर्डप्रेस पर ले जाने से आपके ब्लॉग में निखार आएगा लेकिन स्विच करने के बाद सामने आ सकनेवाले एक बड़े खतरे से मैं आपको आगाह कर देना चाहता हूं. संभवतः यह जानने के बाद आप स्विच न करना चाहें.

      आपका ब्लॉग इमेज रिच है. होस्टिंग स्विच करने के बाद कभी-कभी सारी इमेजेस ठीक तरह से ट्रांसफर नहीं हो पातीं. सोचिए तब क्या होगा यदि आपकी बहुत सी इमेजेस नए ब्लॉग में इंपोर्ट न हो पांए और उनकी जगह प्लेसहोल्डर्स दिखने लगें. यदि इमेजेस ट्रांसफर भी हो गईं तो भी आपको उनकी रीसाइज़िंग या प्लेसिंग दोबारा करनी पड़ सकती है और सैंकड़ों पोस्ट में यह काम करना बहुत कठिन है. मैंने इन हालात का सामना कई बार किया है. कोई भी यह गारंटी नहीं दे सकता कि किसी तरह का इमेज इशू खड़ा नहीं होगा.

      अभी आपका डोमेन गोडैडी का है लेकिन आपकी होस्टिंग गूगल की ही है. जब गूगल अपनी कंप्लीट होस्टिंग सर्विस लेकर आएगा तो उसमें हर प्लेटफॉर्म को जगह मिलेगी. गूगल की ओपीनियन में सर्वोत्तम CMS (content management system) वर्डप्रेस ही है. गूगल के सर्च लीजेंड मैट कट्स (Matt Cutts) ने यह बात कई बार कही है.

      इसीलिए... यहीं टिके रहिए जब तक गूगल की होस्टिंग खुद ही ब्लॉगर से वर्डप्रेस के माइग्रेशन को सपोर्ट न करने लगे. अभी तो यह काम वेबमास्टरों को ही करना पड़ता है.

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