चेरापूंजी में नोहकालिकाई के आलावा जिस झरने का लोग सबसे ज्यादा जिक्र करते हैं वो है सेवेन सिस्टर्स फॉल यानि सात बहनों का झरना। अब सातो बहनें सगी ठहरीं। सो जब अपनी प्रचंडता से बहती हैं तो एक दूसरे में आत्मसात होकर लगभग एक धारा बना देती हैं। पर जब ऐसा होता है तो धुंध और पानी की फुहारों के बीच वो छवि क़ैद करनी मुश्किल हो जाती है।
सच तो ये है कि इनका मन भी बारिश की बूंदों के साथ ही हिलोरें मारता है। बारिश खत्म हुई तो ऐसी रूठती हैं कि एक साथ बहना भी बंद कर देती हैं। यानि सितम्बर तक अगर आप यहाँ पधारे तब ही आप सात बहनों की अठखेलियों को मुग्ध हो कर निहार सकते हैं। अक्टूबर के बाद से तो इस झरने को पहचानना भी मुश्किल हो जाता है।
सच तो ये है कि इनका मन भी बारिश की बूंदों के साथ ही हिलोरें मारता है। बारिश खत्म हुई तो ऐसी रूठती हैं कि एक साथ बहना भी बंद कर देती हैं। यानि सितम्बर तक अगर आप यहाँ पधारे तब ही आप सात बहनों की अठखेलियों को मुग्ध हो कर निहार सकते हैं। अक्टूबर के बाद से तो इस झरने को पहचानना भी मुश्किल हो जाता है।
Seven sisters fall सेवेन सिस्टर्स फॉल |
अब मुझे या मेरे साथ जाने वालों को पहले से इस बात का पता नहीं था। अक्टूबर के पहले हफ्ते में जब हमारा समूह चेरापूंजी पहुँचा तो इस झरने की विरल धारा देख कर दिल में मायूसी छा गई। कहाँ उफनता हुआ पानी और कहाँ बस सादी सी बहते जल की चार पाँच लकीरें। पानी की धारा का पीछा करते हुए जब गहरी खाई की ओर कैमरा घुमाया तो पानी पर सूर्य किरणों की वज़ह से बनते इंद्रधनुष को देख मायूस मन थोड़ा प्रसन्नचित्त जरूर हुआ। सोचिए बारिश के भरपूर मौसम में जब सूर्य देव यहाँ प्रकट होते होंगे तो सारी घाटी इस इंद्रधनुषी छटा से नहा जाती होगी।
Rainbow formation at the base of the fall प्रपात के पाँव के पास बनती इंद्रधनुषी छटा |
वैसे पतली ही सही बाएँ से दाएँ जाती इन लकीरों को आप गिने तो सातों बहनों का स्वरूप आपको दिख जाएगा। क्यूँकि ये प्रपात मास्मई गाँव के पास है इसलिए ये मास्मई के जलप्रपात के नाम से जाने जाते हैं। मास्मई की गुफाओं से बेहद पास इन धाराओं को मुख्य सड़क से ही देखा जा सकता है।
Another view of the fall |