कुछ साल पहले की बात है। हिंदी में यात्रा लेखन पर शोध कर रही एक उत्तर पूर्व की छात्रा ने मुझसे सिक्किम यात्रा वृत्तांत से जुड़े सवाल पूछे थे। साथ ही ये प्रश्न भी किया था कि सिक्किम के आलावा उत्तर पूर्व के किसी राज्य में क्या आप नहीं गए? मैंने उससे कहा सोच तो बहुत सालों से रहा हूँ पर लगता है मेघालय व असम जाना शीघ्र ही हो जाए। पर वो 'शीघ्र' उस बातचीत के तकरीबन दो साल बाद आया जब दुर्गा पूजा की छुट्टियों में मेरा शिलांग, चेरापूँजी, मावल्यान्नॉंग और गुवहाटी जाने का कार्यक्रम बना।
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The abode of Clouds मेघों का आलय (घर) मेघालय |
पर पूजा की छुट्टियों के समय मेघालय की ओर रुख करने की सबसे बड़ी समस्या रहने की होती है। चेरापूँजी में ज्यादा ढंग के होटल नहीं है और जो हैं वो महीनों पहले पूरी तरह आरक्षित हो जाते हैं। इसलिए अपने मेघालय प्रवास का केंद्र मुझे मजबूरन शिलांग बनाना पड़ा।
कोलकाता से शिलांग पहुँचने के दो रास्ते हैं। कोलकाता से गुवहाटी की उड़ान लीजिए और फिर वहाँ से सड़क मार्ग से सौ किमी की दूरी तीन घंटे में सड़क मार्ग से तय कीजिए। दूसरा तरीका ये है कि कोलकाता से शिलांग की सीधी उड़ान भरिए। पर इसके लिए आपको आरक्षण काफी पहले से कराना होगा क्यूँकि इस मार्ग पर सिर्फ एयर इंडिया का विमान ही उड़ान भरता है। हमारे समूह में कुछ लोग गुवहाटी होकर आ रहे थे जबकि मुझे कोलकाता से शिलांग की सीधी उड़ान भरनी थी।
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At Kolkata Airport नेताजी सुभाष चंद्र बोस एयरपोर्ट कोलकाता |
करीब पौने एक बजे हमने कोलकाता से उड़ान भरी। गंगा डेल्टा को पार किया। पर मेघालय की सीमा तक पहुँचने में तकरीबन घंटे भर का समय लग गया। डेढ़ घंटे की उड़ान के आख़िरी आधा घंटे में नज़रें एक बार खिड़की से क्या चिपकी, फिर तो चिपकी ही रह गयीं। मेघालय एक ऐसा राज्य है जहाँ बारिश बहुतायत में होती है। राज्य का सत्तर प्रतिशत इलाका जंगलों से भरा पूरा है। पठार की समतल भूमि पर धान की खेती भी खूब होती है। सो जिधर भी देखिए वहाँ हरियाली ही हरियाली नज़र आती है।
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Aerial View, Meghalaya मेघालय के आकाशीय नज़ारे |
इस हरी भरी रंगत में कोई खलल डालता है तो वो है यहाँ की लाल मिट्टी और
बारिश के दिनों में उसे बहा कर ले जाने वाली यहाँ की पतली दुबली नदियाँ।
शिलांग पर उतरने के पहले हमारे छोटे से विमान ने यहाँ की खूबसूरत उमियम झील का भी एक चक्कर लगाया।
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Umiom Lake उमियम झील |
जैसे जैसे शिलाँग पास आने लगा नीचे के दृश्यों को देखकर ये अनुमान लगाना मुश्किल नहीं रह गया कि आखिर इस शहर को स्कॉटलैंड आफ दि ईस्ट क्यूँ कहते हैं?
शिलांग तो हम पहुँच गए पर हमारे समूह में दो लोग गुवहाटी से आ रहे थे । उनसे हमें शिलांग के बड़ापानी एयरपोर्ट पर मिलना था। हमारी उड़ान उस दिन की आख़िरी उड़ान थी। थोड़े ही देर में हमारी उड़ान से आए यात्री एक एक कर के चले गए। अब सारा एयरपोर्ट इसी चिंता में था कि कब इनकी गुवहाटी वाली गाड़ी आए और कब ये यहाँ से रुखसत हों ताकि एयरपोर्ट के स्टॉफ बोरिया बिस्तर बाँध कर घर को चलें। डेढ़ घंटे तक उन्हें झिलाने के बाद जब हमारी गाड़ी आई तो हमारे साथ उन्होंने भी चैन की साँस ली :)
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छोटे छोटे खिलौनौं सरीखी दिखती सेना की एक कॉलोनी |
हवाई अड्डे से बाहर निकले ही थे कि बरसाती मेघों ने आकाश पर कब्जा जमा लिया
और थोड़ी ही देर में अच्छी खासी बारिश शुरु हो गई। ख़ैर बारिश से तो निकल
गए पर एयरपोर्ट से लगभग पच्चीस किमी दूर शिलांग शहर में अपने होटल तक
पहुँचने में हमारे पसीने छूट गए।
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Badapani Airport, Shillong बड़ापानी हवाई अड्डा, शिलांग |
शिलांग शहर में घुसते ही गाड़ियों की लंबी कतारों ने हमारा स्वागत किया।
चौड़ी चौड़ी सड़कों पर भी गाड़ियाँ तीन अलग अलग पंक्तियों में कतार बाँधे
रेंगती हुई चल रही थीं। मुंबई के बाद फिएट कार को टैक्सी के रूप में शिलांग
में देखकर सुखद आश्चर्य हुआ। पुलिस बाजार तक की अंतिम पन्द्रह मिनट की दूरी को तय करने में उस जाम
में हमें दो घंटे लग गए।
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Outside of Badapani Airport शिलांग हवाई अड्डे का बाहरी दृश्य ! |
बाद में अगले दिन जाम की ख़बर अखबारों में भी छपी। कारण ये दिया गया कि सारा शहर ही पूजा की छुट्टियों के पहले खरीदारी करने को निकल पड़ा था। अब बताइए जिस राज्य की तीन चौथाई आबादी ईसाई हो वहाँ अगर पूजा की छुट्टियों में ये हाल है तो जाने क्रिसमस में क्या होता होगा?
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Grey, Green & Red : The tricolour of Meghalaya स्याह, हरा व लाल ये हैं तीन प्राकृतिक रंग मेघालय के ! |
ख़ैर होटल में अपना सामान रखकर हम शहर के केंद्र पुलिस बाजार की रौनक का आनंद लेने चल पड़े। सड़क पर खासी चहल पहल थी। पूजा बाजार में लोग उमड़े पड़ रहे थे। थोड़ी बहुत खरीददारी करने के बाद भोजन की खोज में निकले। हमारे जैसे शाकाहारियों के लिए तो नहीं पर यहाँ के सामिष खासी व्यंजन का स्वाद अगर चखना हो तो यहाँ के रेड राइस रेस्ट्राँ को आप आज़मा सकते हैं।
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मेरा नार्थ ईस्ट से अब तक परिचय नहीं है। जल्दी ही आपके साथ एक नया सफ़र शुरू हो रहा है। ऑनलाइन बुकिंग करने के अभी तक हमारे अनुभव बढ़िया रहे हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छा पर शिलांग का हमारा अनुभव सही नहीं रहा।
हटाएंसुन्दर है मेघालय ।
जवाब देंहटाएंहाँ खूब हरा भरा..
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (13-03-2016) को "लोग मासूम कलियाँ मसलने लगे" (चर्चा अंक-2280) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार !
हटाएंbeautifully written, thanks for refreshing the memories
जवाब देंहटाएंhttp://www.semwalonwheels.com/2014/07/shillong-scotland-of-east-india-part-i.html
Looking forward for next post
Read your post too Mahesh. Thx for sharing the related link.
हटाएंसुन्दर वर्णन है, आगे पढ़ने की उत्सुकता है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया! महीने भर चलेगी उत्तर पूर्व की ये श्रंखला :)
हटाएंBhut shandar sir ji nxt post ka intzar rhega
जवाब देंहटाएंअब आपकी सिफारिश पर ये श्रंखला शुरु की है तो आशा है सारी कड़ियों में आपका साथ बना रहेगा। :)
हटाएंHa sir ji bilkul apke post pdke hum bhi ghum aate h nayi nayi jagah pr
हटाएंमैं भी सितम्बर में गया था NEPA( North East Police Academy) में, क्या गजब की खूबसूरती,चेरापूंजी जाने के रास्ते में हो या उमियम झील के किनारे, आँखें थक जाएँ पर मन नहीं। सर, मुझे पता है कि आप हमें वो चीजें भी दिखाएंगे जो हम नहीं देख सके। पर पारदर्शी झील जो शिलौंग से 80-90 km है और सेवन सिस्टर्स फॉल की स्पष्ट तस्वीर जरूर डालिएगा अपने वाल पर, ताकि सारी यादें ताजा हो जाएँ और एलिफेंटा फाल्स की भी। बांग्लादेश बॉर्डर हो या इकोपार्क या पुलिस बाजार, बस एक ही चीज कहूँगा" शानदार, जबरदस्त, जिंदाबाद"।
जवाब देंहटाएंपारदर्शी झील तक तो मैं नहीं जा पाया अलबत्ता लैटलम कैनयन , एशिया के सबसे सुथरे गाँव और एक ऐसे अनजाने जलप्रपात की सैर आपको जरूर कराऊँगा जिसे लाँघते हुए मेरे पुराने कैमरे ने जल समाधि ले ली थी।
हटाएंउमियम लेक, चेरापूँजी का रास्ता तो मनोरम था ही पर सात बहनों के झरने के बजाए मुझे नोहकलिकाई का झरना ज्यादा आकर्षित कर गया।
सार्थक व प्रशंसनीय रचना...
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।
धन्यवाद !
हटाएंमेघालय यात्रा की शुरुआत अच्छी रही .... हमलोगों के लिए तो बहुत दूर है ये जगह ....
जवाब देंहटाएंwww.safarhaisuhana.com
जब दार्जलिंग जा सकते हैं तो फिर वहाँ से गुवहाटी कितना दूर है। गुवहाटी घूमिए और वहाँ से सड़क मार्ग से कुछ घंटों में शिलांग पहुँच जाइए।
हटाएंमनोहर लगी मेघालय की यात्रा ........
जवाब देंहटाएंजानकर प्रसन्नता हुई !
हटाएंहोली की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआपको व आपके परिवार को भी शुभकामनाएँ गिरधारी :)
हटाएंWell written and beautifully clicked. Shillong one of the best place to see nature beauty. Thanks for your amazing blog and you write in national language is commendable job :) Keep it up!
जवाब देंहटाएंThx Avneet for your encouraging words !
हटाएं:)
हटाएंsir kya aap bat sakte hai ki jodhpur se yha tk kis taraha jaya ja sakta hai by train.?
जवाब देंहटाएंजोधपुर से गुवहाटी के लिए एक्सप्रेस ट्रेन हैं। गुवहाटी से शिलांग बस या कार से तीन साढ़े तीन घंटे में पहुँचा जा सकता है।
हटाएंMeghalaya such a nice place I hope me b kabi ja pau
जवाब देंहटाएंDil mein mazboot irade hon to khwab poore jarur hote hain. Best season to visit Meghalaya is just after monsoon.
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