दशहरे व दुर्गा पूजा का महोत्सव सारे राँची शहर को रंगीन बना देता है। इस साल सजाए गए राँची के खूबसूरत पूजा पंडालों की इस श्रंखला पिछली कड़ी में आपने बारह से लेकर सातवें क्रम तक के पंडाल देखें। आज आपको दिखाते हैं राँची के शीर्ष पंडालों की कुछ चुनिंदा झलकियाँ। ...
रंग बिरंगे परिधानों से सजी माँ दुर्गा टेराकोटा के मंदिर की शोभा बढ़ा रही थीं।
रात को पिरामिड की स्वर्णिम आभा के साथ नदी की नीली धारा अद्भुत प्रकाश संयोजन से और भी खूबसूरत दिख रही थी।
छत पर चूड़ियों से की गई कारीगरी इतनी सधी हुई थी कि लग रहा था मानों कढ़ाई का काम हो।
और ये है पंडाल की बाहरी दीवारों पर की गई सजावट।
वही धागे का बारीक काम पंडाल के अंदर की दीवारों और छतों को एक अनूठा रूप दे रहा था..
हरे और नीले रंग की रौशनी से नहाया ये महल हरियाली से परिपूरित था। पंडाल के अंदर शीशे की मीनाकारी इसकी दमक को और बढ़ा रही थी ।
पर आंतरिक सुंदरता से कहीं ज़्यादा इसका बाहरी रूप आकर्षित कर रहा था।
रातू रोड का पंडाल सिक्किम के नामची में स्थित सिद्धेश्वर धाम की याद दिला रहा था। नामची की तरह यहाँ भी मंदिर के शीर्ष पर भगवान शिव की विशाल प्रतिमा बनाई गई थी। मंदिर के बाहर की दीवारें ऐसी थीं कि पहली बार देख के ही कोई धोखा खा जाए कि ये पंडाल नहीं बल्कि सचमुच का मंदिर हो।
रातू रोड में रास्ते की विद्युत सज्जा भी अलग सी होती है। इस बार इस सज्जा की थीम थी नर्सरी राइम्स यानि कहीं जिंगल बेल तो कहीं ट्विंकल ट्विंकल का निरूपण
6. बांग्ला स्कूल यानि OCC Club
राँची झील से सटे बांग्ला स्कूल के अहाते का पंडाल इस बार भिन्न संस्कृतियों की मिश्रित झलक पेश कर रहा था। घुसते ही सामने मिश्र के पिरामिड दिख रहे थे और थी उसके साथ बहती काल्पनिक नदी। पर इस पिरामिड के पीछे का इलाका एक बौद्ध मंदिर की छाप छोड़ रहा था।
रंग बिरंगे परिधानों से सजी माँ दुर्गा टेराकोटा के मंदिर की शोभा बढ़ा रही थीं।
रात को पिरामिड की स्वर्णिम आभा के साथ नदी की नीली धारा अद्भुत प्रकाश संयोजन से और भी खूबसूरत दिख रही थी।
चित्र सौजन्य P S Khetwal |
5. राजस्थान मित्र मंडल
दूर से आपको पता चले ना चले पर राँची झील के तट पर बना राजस्थान मित्र मंडल का ये पंडाल पूरी तरह टूटी चूड़ियों के टुकड़े से बना था ।छत पर चूड़ियों से की गई कारीगरी इतनी सधी हुई थी कि लग रहा था मानों कढ़ाई का काम हो।
और ये है पंडाल की बाहरी दीवारों पर की गई सजावट।
4. सत्य अमर लोक
सत्य अमर लोक के बाहरी पंडाल का दृश्य इतना सुंदर था कि लगा कि हंस की सवारी कर सीधे स्वर्ग लोक तक ही विचरण करने वाले हैं। शंख व सीप का इस्तेमाल मूर्तियों को शानदार रूप देने में हुआ था.…
वही धागे का बारीक काम पंडाल के अंदर की दीवारों और छतों को एक अनूठा रूप दे रहा था..
3. बकरी बाज़ार
राँची का सबसे वृहद पंडाल हमेशा से बकरी बाजार में लगता रहा है। हर साल यहाँ नया क्या हो रहा है ये जानने की उत्सुकता राँची और उसके पास के कस्बों और गाँवों में रहने वाले को जरूर होती है। इस बार भी अपनी गौरवशाली परम्परा को बनाए रखते हुए यहाँ पंडाल को अस्सी फीट ऊँचे और डेढ़ सौ फीट चौड़े मिश्र के एक विशाल महल का स्वरूप प्रदान किया गया था ।
हरे और नीले रंग की रौशनी से नहाया ये महल हरियाली से परिपूरित था। पंडाल के अंदर शीशे की मीनाकारी इसकी दमक को और बढ़ा रही थी ।
पर आंतरिक सुंदरता से कहीं ज़्यादा इसका बाहरी रूप आकर्षित कर रहा था।
2. रातू रोड
रातू रोड का पंडाल सिक्किम के नामची में स्थित सिद्धेश्वर धाम की याद दिला रहा था। नामची की तरह यहाँ भी मंदिर के शीर्ष पर भगवान शिव की विशाल प्रतिमा बनाई गई थी। मंदिर के बाहर की दीवारें ऐसी थीं कि पहली बार देख के ही कोई धोखा खा जाए कि ये पंडाल नहीं बल्कि सचमुच का मंदिर हो।
रातू रोड में रास्ते की विद्युत सज्जा भी अलग सी होती है। इस बार इस सज्जा की थीम थी नर्सरी राइम्स यानि कहीं जिंगल बेल तो कहीं ट्विंकल ट्विंकल का निरूपण
और सड़क पर इन रंगीनियों को देख अपना बचपन याद आ गया..
अगर रातू रोड का ये पंडाल मेरी सूची में रनर्स अप पर था तो इस बार राँची का सर्वश्रेष्ठ पंडाल आखिर कौन सा था? दरअसल उस पंडाल के अंदर घुस कर ऐसा लगा कि वास्तव में हम किसी रंग रँगीले राजस्थानी गाँव में दीपावली मना रहे हैं। तो कोशिश करूँगा उन छवियों को आपसे बाँटने की दीपावली के ठीक पहले।
राँची की दुर्गा पूजा पंडाल परिक्रमा
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Very Nice Blog...Such a wonderful information.
जवाब देंहटाएंThanks for visiting !
हटाएंअभी तक रांची आने का मौका नहीं मिला..आपकी नज़र से रांची का अनुभव बेहतरीन रहा..आपके दोनों पोस्ट पसंद आये..सर्वश्रेष्ठ पंडाल का इंतजार है..धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंहाँ अगर यहाँ की रोनक देखनी हो तो दशहरे में जरूर आओ।
हटाएंThat is why our country is called "Incredible India".
जवाब देंहटाएंSo true..
हटाएंBahut shandar sir
जवाब देंहटाएंसभी पंडाल बहुत ही सुंदर हैं
जवाब देंहटाएंजानकर खुशी हुई मयंक व सुंदरी कि आप दोनों को राँची के पूजा पंडाल पसंद आए
जवाब देंहटाएंबहुत हीं सुखद अनुभव |
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
हटाएंपिरामिड वाला पंडाल सबसे अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंहम्म ! मुझे तो जो सबसे अच्छा लगा वो तो दशहरे में दीपावली का अहसास दे गया। :)
हटाएंमैं जमशेदपुर से आपके ब्लॉग का नियमित पाठक हूँ। क्या आपका जमशेदपुर भी आना जाना है?
जवाब देंहटाएंबहुत पहले जमशेदपुर जाना हुआ था। फिलहान तो वहाँ जाने का कोई कार्यक्रम नहीं है।
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