इतिहास की किताबों में भारत के दो महान सम्राटों का जिक्र हमेशा से होता रहा है। एक तो मगध के चक्रवर्ती राजा व पाटलिपुत्र नरेश अशोक का तो दूसरे मुगलिया सल्तनत के अज़ीम बादशाह अकबर का। नतीजन इनसे जुड़ी इमारतों को देखने का चाव मुझे शुरु से रहा है । आगरा मैं तीन बार जा चुका हूँ। अपनी दूसरी यात्रा में मुझे अकबर की बनाई खास इमारतों में से एक फतेहपुर सीकरी को देखने का सौभाग्य मिल चुका था पर समय आभाव की वजह से उस वक़्त मैं अकबर के मकबरे को देख नहीं पाया था। इसीलिए पिछले महीने जब उत्तर प्रदेश पर्यटन द्वारा आयोजित यात्रा लेखकों के सम्मेलन के पहले भरी दोपहरी में हमारी बस सिंकदरा के सामने रुकी तो मुझे बेहद खुशी हुई।
Sikandara..the tomb of Akbar |
पेड़ों की झुरमुट के बीच से दिखता सिंकदरा का दक्षिणी द्वार पहली ही नज़र में हमें मंत्रमुग्ध कर गया। हुमायूँ का मकबरा तो उनकी बेगम ने बनवाया था पर अकबर ने अपने मकबरे की नींव ख़ुद ही रखी थी। मकबरे के इस मुख्य द्वार को देखते ही सबसे पहले नज़र जाती है द्वार के चारों कोनों पर खड़ी संगमरमर की बनी मीनारों पर। इससे पहले मुख्य द्वार के साथ मीनारों के बनने का प्रचलन कम से कम मुगल स्थापत्य में नहीं था। 1605 ई में जब ये इमारत बननी शुरु हुई उसके पहले ही हैदराबाद में कुली कुतुब शाह द्वारा चार मीनार का निर्माण हो चुका था। इतिहासकार ऐसा अनुमान लगाते हैं कि शायद चारमीनार की प्रेरणा पर अकबर ने इस द्वार का ये स्वरूप रखा होगा।
South Gate, Sikandara |
संगमरमर की ये मीनारें तिमंजिली है जिन्हें अलग करने का काम हर मंजिल पर स्थित बॉलकोनी करती है। अगर आप इस द्वार की तुलना ताजमहल के बाहरी द्वार से करें तो लाल बलुआ पत्थरों पर रंग बिरंगे पत्थरों से की गई कलमकारी सिकंदरा के प्रमुख द्वार को अपेक्षाकृत ज़्यादा सुंदर बना देती है।
Beautiful inlay work with coloured stone |
हुमायूँ के मकबरे की तरह सिंकदरा भी एक चार बाग मक़बरे की तरह बनाया गया है। यानि मकबरे से चारों दिशाओं में जाते रास्ते, उनके बीच बहता पानी और उन रास्तों के बीच चौकोर आकार के बाग और ठीक उनके बीच बना मक़बरा। जैसा कि मैंने हुमायूँ के मक़बरे के बारे में लिखते हुए आपको बताया था कि चार बाग की परिकल्पना कुरान में जन्नत के रूप में की गई है। दक्षिणी द्वार की भव्यता के बाद जब आपकी नज़र मकबरे की मुख्य इमारत पर पड़ती है तो वो कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पाती। सामने से देखने से तो आप समझ ही नहीं पाएँगे कि जिस इमारत को आप देख रहे हैं वो पाँच मंजिला है।
Akbar's tomb is also a Baghmakbara i.e. charbagh integrated with main monument |
इस इमारत के स्थापत्य का अगर सही जायजा लेना हो तो इसे आपको मुख्य द्वार की दूसरी मंजिल से देखना होगा। अकबर के देहान्त होने तक ये इमारत पूरी नहीं बनी थी। पाँचवी मंजिल को जहाँगीर ने पूरी तरह संगमरमर से बनवाया । इतिहासकारों के लिए ये एक अनुत्तरित प्रश्न ही है कि क्या अकबर ने अपने मूल डिज़ाइन में गुंबद रखा ही ना था या फिर जहाँगीर ने उसे बनवाया ही नहीं? अगर संगमरमर से बने पाँचवे तल्ले के मध्य से गुंबद उठा होता तो इस इमारत की शक़्ल कुछ और होती। अब तो सिर्फ ये अंदाज़ ही लगाया जा सकता है कि शायद सादगी पसंद बादशाह अकबर को ऐसा मंज़ूर ना हो ।
Five storied main building housing Akbar's grave |
मकबरे में छोटे दरवाजे से घुसते ही वो जगह आ जाती है जिसे दीवारों पर नक्काशी और कलमकारी से सबसे ज्यादा सुसज्जित किया गया है। छत में अलग अलग उभार देकर उनके मध्य में सुर्ख रंगों से किया गया चित्रांकन मन को मोह लेता है।
Beautiful carving on the ceiling |
सजावट में शिल्पियों ने यहाँ भी फूल पत्तियों या ज्यामितीय आकृतियों का सहारा लिया है।
नक्काशी के आलावा पत्थरों में किये गए जाली के काम की खूबसूरती भी देखते ही बनती है।
Fine Jali work |
पर इतना खूबसूरत दिखने वाला ये हिस्सा अपने बनने के 75 साल बाद जाट शासकों के हमले का शिकार हुआ। औरंगजेब द्वारा जाट प्रमुख गोकुल की हत्या और मंदिरों की तोड़फोड़ के बदले के स्वरूप 1686 ई में राजाराम के नेतृत्व में जाटों ने इस मक़बरे में आग लगा दी जिससे कि यहाँ बनाई गई बहुतेरी कलाकृतियाँ नष्ट हो गयीं। जाटों का गुस्सा इतना था कि अकबर की कब्र में भी तोड़फोड़ की गई। अपने परपोते की करतूतों का ख़ामियाजा महान अकबर को इस तरह भुगतना होगा ये तब। किसने सोचा होगा?
The fury of Jats who attacked Sikandara in 1686 |
मक़बरे का अलंकरण इस कक्ष तक ही समाप्त हो जाता है। तहखाने की ओर जाते संकरे से रास्ते की दीवारें सादी ही रखी गई हैं।
Akbar's grave |
करीब एक घंटे का समय बिताने के बाद हम मकबरे से बाहर निकले। आशा है आप भी जब आगरा आएँगे तो ताजमहल व फतेहपुर सीकरी के साथ सिंकदरा का भी रुख करेंगे।
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Nice post !
जवाब देंहटाएंShukriya !
हटाएंसिकन्दरा मैने देखा, यहाँ का शान्त माहौल अच्छा लगा ..... जीवन का लम्बा हिस्सा चारमीनार के आस-पास बीता
जवाब देंहटाएंचारमीनार तो बेहद चहल पहल वाला इलाका है। कहीं चूड़ियों के बाजार तो कहीं मोतियों के हार.. सिकंदरा का भव्य दरवाजा और अंदर की सादगी एक खूबसूरत मिश्रण लगा मुझे।
हटाएंसही कहा आपने !
हटाएंबढ़िया ऐतिहासिक जानकारी मिली इस लेख के माध्यम से
जवाब देंहटाएंजानकर खुशी हुई कि ये लेख आपको पसंद आया।
हटाएंLovely captures! Nice post!!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
हटाएंNice post! I had also been there three years ago!
जवाब देंहटाएंhttp://crazytravelerblog.blogspot.in/
Nice pics and info
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