झारखंड की राजधानी राँची को जलप्रपातों की नगरी कहा जाता है। ऐसे तो शहर से सौ किमी की दूरी के अंदर कई झरने हैं पर लोकप्रियता के हिसाब से दशम, हुँडरु और जोन्हा के जलप्रपातों का नाम सबसे पहले आता है। चूंकि ये सारे जलप्रपात बरसाती नदियों के बहाव के मार्ग पर बने हैं इसलिए इनको देखने का आनंद वर्षा ॠतु के ठीक बाद आता है।
ऊँचाई की दृष्टि से हुंडरु का जलप्रपात सबसे ऊँचा है जहाँ पानी करीब सौ मीटर की ऊँचाई से गिरता है जबकि जोन्हा और दशम में लगभग इसकी आधी ऊँचाई से। पर पानी के मौसम में अगर आप मुझसे पूछें कि इनमें सबसे सुंदर जलप्रपात कौन सा है तो मैं दस धाराओं के मिल कर बने दशम जलप्रपात का ही नाम लूँगा। तो आइए आज आपको लिए चलते हैं दशम फॉल जो राँची से करीब चालीस किमी की दूरी पर स्थित है।
दशम के जलप्रपात पर इससे पहले मैं बचपन में गया था। इसलिए जब पिछले साल अक्टूबर में यहाँ फिर जाने का कार्यक्रम बना तो गूगल बाबा का मैप बहुत काम आया। राँची से जमशेदपुर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 33 पर (NH 33) तीस किमी चल लेने के बाद दाहिने एक मोड़ आता है जहाँ से दशम के झरने का रास्ता अलग होता है। इस रास्ते पर हम तीन चार किमी आगे बढ़े होंगे कि एक दोराहे पर आ गए। मज़े की बात ये थी कि दोनों रास्तों पर तीर मारकर दशम फॉल जाने का चिन्ह बनाया हुआ था। हमने दोनों रास्तों में जो ज्यादा सुंदर नज़र आया उस पर बढ़ गए। अब हम गूगल मैप के हिसाब से दशम से दूर जा रहे थे।
हमारा ड्राइवर बता रहा था कि कांची नदी पार कर के भी एक रास्ता दशम को जाता है पर गूगल देव ऐसे किसी रास्ते की जानकारी अपने मानचित्र पर नहीं दिखा रहे थे। डार्इवर के आत्मविश्वास को देख हम कांची नदी (Kanchi) के आने का इंतजार कर रहे थे। कांची नदी आई और गई पर दशम के दर्शन के बजाए हम घने जंगलों के बीच आ गए थे। थोड़ी दूर तक जब दशम की कोई थाह नहीं लगी तो सोचा कि अब लौटा जाए दूसरे रास्ते की ओर पर फिर दो किमी और आगे तक देखने की इच्छा हुई। अचानक बाँयी तरफ पर्यटन विभाग का बनाया गया विशाल दशम प्रवेश द्वार दिखाई दिया तो हमारी जान में जान आई।
कुछ ही देर में हम दशम के जलप्रपात के पास थे। दूर से पानी के गिरने की आवाज़ उस एकांत से जंगल में गूँज रही थी। पर बचपन की यादों से जलप्रपात के रास्ते का मैं कोई साम्य नहीं बैठा पा रहा था। थोड़ी देर में ही माज़रा समझ आ गया। हम जलप्रपात के नीचे पहुँचने के बजाए काँची नदी को पार कर उस स्थान पर पहुँच गए थे जहाँ से ये पानी दशम के झरने की शक़्ल लेता है।
अक्टूबर का आखिरी हफ्ता था पर धूप जबरदस्त थी। कुछ लड़के पानी में डुबकियाँ लगा रहे थे। भूरी पीली चट्टानों के बीच अपना रास्ता बनाती कांची के पीछे ढलानों की तरफ हरियाली पसरी थी। इस हरीतिमा को भंग वो रंग बिरंगे कपड़े कर रहे थे जिन्हें ग्रामीणों ने पठारी ढलानों पर सुखाने के लिए रख छोड़ा था।
नदी के दूसरी तरफ़ जाने के लिए सीधा कोई रास्ता ना था। दूरी तरफ पर्यटन विभाग द्वारा बनाई सीढ़ियों के ज़रिए झरने को सामने और बिल्कुल पास से देखा जा सकता था। उसके लिए हमें वापस उसी राह को पकड़ना था जिसे हम छोड़ आए थे। दरअसल दशम जाने का मुख्य मार्ग भी वही था।
पन्द्रह बीस मिनट की यात्रा हमें वापस दशम के नीचे तक ले जाने वाले स्थान तक ले गई। यहाँ पर नीचे उतरने के पहले कुछ दुकानें भी दिखी जहाँ चाय और नाश्ते के साथ चावल चिकेन तक का भी इंतजाम था। बहरहाल हमने सीढ़ियों से नीचे उतरना शुरु किया। थोड़ी थोड़ी दूर पर पर्यटन विभाग ने बैठने के लिए चबूतरे भी बना रखे थे। दशम फॉल की असली सुंदरता इसी तरफ़ से महसूस की जा सकती है खासकर तब जब बरसात के तुरंत बाद इसकी दसों धाराएँ पूरे वेग के साथ प्रवाहित होती हों।
पर राँची का खूबसूरत झरना होते हुए भी दशम के माथे पर एक बहुत बड़ा दाग भी है। ये दाग है
मौत का। राँची का ये जलप्रपात हर साल पाँच दस जिंदगियों को अपने बहते पानी में लील लेता है। दूर से देखने से इस जलप्रपात का जल कोई भय नहीं पैदा करता। पर बरसों
पानी के अपरदन से यहाँ ठोस दिखने वाली चट्टानों के निचले हिस्से खोखले हो
गए हैं। शांत जल को देखकर खतरे वाली जगह में भी लोग नहाने की भूल कर बैठते
हैं। जल में घुसते ही अंदर बनते भँवर व्यक्ति को गहरी चट्टानों के बीच खींच
लेते हैं। इसलिए झरने के नीचे जाने की भूल यहाँ आप कभी मत कीजिएगा।
हमारा कुछ समय यहाँ चट्टानों के ऊपर चहल कदमी में बीता। फिर चुपचाप एक बड़ी सी चट्टान पर पाँव पसारे झरने के जल को गिरते देखते रहे और मन ही मन प्रकृति की इस लीला पर आनंदित होते रहे।
नदी के पाट के किनारे चलती पहाड़ियाँ हरे भरे पेड़ों से अटी पड़ी थीं। अचानक मेरी नज़र उनके बीच बने मकान पर पड़ी। पूछा तो पता चला की सरकारी गेस्ट हाउस है और तभी मुझे लगा कि जंगलों के बीच और झरने से सटे बने इस छोटे से मकान को मैंने पहले कहाँ देखा है?
वापस घर आया तो याद पड़ा कि एक बार दिल्ली से विमान से राँची आते हुए जब झारखंड की बरसाती छटा को कैमरे में क़ैद कर कुछ आकाशीय तसवीरें लगाई थीं तो एक टिप्पणी ये भी मिली थी कि ये तो दशम है। मैं उस वक्त उस पर विश्वास नहीं कर पाया था। पर इस गेस्ट हाउस को देखने के बाद मैंने उन चित्रों को दोबारा खँगालना शुरु किया और पाया कि वो गेस्ट हाउस और जलप्रपात के ऊपरी हिससे को जाती सड़क तो उसमें भी दिख रही है तब यकीन आया कि हाँ ये तो दशम ही है। तो देखिए किस तरह उफनती बरसाती नदी का पानी इस तरह नीचे गिर रहा है मानों इसकी दसों धाराएँ एक हो गई हों।
तो ये थी दशम की यात्रा। अगस्त से अक्टूबर के बीच अगर राँची आना हो तो ये जलप्रपात जरूर देख के जाइए। मुझे यकीं है कि आप इस जगह की मीठी स्मृतियों को ले के लौटेंगे। वैसे सप्ताहांत में यहां काफी चहल पहल रहती है और उस समय आना यहाँ सुरक्षा की दृष्टि से भी श्रेयस्कर है।
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दशम पहली बार सुना,दस धाराएं साथ में मिलकर वास्तव में बढ़िया दृश्य प्रस्तुत करती होंगी
जवाब देंहटाएंहाँ बिल्कुल !
हटाएंआज ही गूगल मैप्स पर झरनों का डाटाबेस बनाने की सूझी और आज ही आपकी पोस्ट दिख गई
जवाब देंहटाएंतीनों झरने जोड़ लिए हैं
शुक्रिया मनीष जी :)
आप की उर्जा देख कर खुशी होती है। राँची में वैसे इन तीन झरनों के आलावा सीता , हिरणी और पंचघाघ नाम के भी झरने हैं पर उनमें पानी कम ही रहता है।
हटाएंAj maine bhi dasham ka bare me achey jana ab toh Jana pakka hi
हटाएंSweta
हटाएंबिल्कुल जाएँ श्वेता पर फिसलन वाली जगहों से दूर रहें।
हटाएंiske kaafi k areeb hote huye bhi kabhi iske darshan nahi ho paaye... ..
जवाब देंहटाएंअरे अगली बार इधर आइए तो जरूर देखिए..बारिश में देखेंगे तो एक नई ग़ज़ल जरूर बन जाएगी :)
हटाएंछःसात महीने का था जब यहाँ गया था जैसा मम्मी बताती है. :p :)
जवाब देंहटाएंऔर मैं पहली बार जब दस बारह साल का जब पटना में रहा करता था। तीस सालों के बाद गया यहाँ :)
हटाएंमैं वो झरने ढूँढ रहा हूँ जो गर्मी में भी गरजते हों :)
जवाब देंहटाएंढूँढिए और मिलें तो हमें भी रूबरू कराइए :)
हटाएंटाइगर फ़ाल चकराता ऐसा ही है :)
हटाएंManish bhai aap ki post mere dil ko bahut lubha ti hai
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कासिम !
हटाएंबहुत अच्छा है ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंप्रसिद्ध है खतरे के लिए !
जवाब देंहटाएंसुंदर भी है अभिषेक !
हटाएंWould surely love to visit...beautiful..
जवाब देंहटाएंBest time to visit is between Aug to Oct ie immediately after rainy season .
हटाएंअति सुन्दर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साथ बने रहने के लिए !
हटाएंअति सुन्दर
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
अति सुन्दर
good bhut acha laga apki post me mnish ji......
जवाब देंहटाएंsirf ek shabd mast
जवाब देंहटाएंVery beautiful indeed!
जवाब देंहटाएंआपके लेख के कुछ अंश फेसबुक पेज- झारखंड में शेयर कर रहा हूँ ।
जवाब देंहटाएंhttps://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1696323227247020&id=1418341968378482
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