उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के समुद्र तट हमेशा से मेरे प्रिय रहे हैं। पिछले कुछ सालों में इस ब्लॉग पर मैं आपको दीघा, चाँदीपुर व पुरी के समुद्र तटों के चक्कर लगा चुका हूँ। चाँदीपुर और दीघा के समुद्र तट छिछले हैं। लहरें ज्यादा उठती नहीं है और आप बिना किसी डर भय के समुद्र तट में गोते लगा सकते हैं। चांदीपुर में तो आप समुद्र के अंदर सैकड़ों मीटर तक चहलकदमी करते हुए अंदर जा सकते हैं। समुद्र की तेज उठती लहरों का आनंद लेना हो तो फिर पुरी का लोकप्रिय समुद्र तट तो है ही़ पर इन सब के आलावा भी उड़ीसा के दक्षिणी सिरे पर एक और खूबसूरत समुद्र तट है जहाँ लहरों का तेज तो है पर पुरी के उलट पर्यटकों का रेलमपेल नहीं । ये समुद्रतट है गोपालपुर का जो उड़ीसा के बरहमपुर (Berhampur) शहर से मात्र सोलह किमी की दूरी पर है।
Fisherman getting ready for foray into sea at Gopalpur, Odisha |
जनवरी के महीने की आख़िर में मैंने गोपालपुर जाने का कार्यक्रम बनाया।
राँची से गोपालपुर जाने के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं है। पहले शाम की ट्रेन
से चलकर भुवनेश्वर पहुँचिए और फिर वहाँ से दक्षिण जाने वाली किसी भी गाड़ी
गाड़ी में टिकट कटा लीजिए। हावड़ा से चेन्नई जाने वाली रेलवे लाइन पर ही
बरहमपुर स्टेशन पड़ता है। आज इसका नाम बदलकर ब्रह्मपुर ( Brahmapur ) यानि
ब्रह्मा के घर में तब्दील कर दिया गया है।
Map of Gopalpur locatedon east coast of Odisha, India |
उड़ीसा के गंजाम जिले में पड़ने वाला ये शहर यहाँ बनने वाली सिल्क की साड़ियों के लिए विख्यात है। जनसंख्या की दृष्टि से ये उड़ीसा का चौथा सबसे बड़ा शहर है। राँची से चलकर भुवनेश्वर तो हम अगली सुबह पाँच बजे ही पहुँच गए थे। भुवनेश्वर से ब्रह्मपुर की 170 किमी की दूरी को तय करने में करीब तीन घंटे का वक्त लग गया। भुवनेश्वर से ब्रह्मपुर का रास्ता भारत के पूर्वी घाट के किनारे किनारे चलता है। घाट की छोटी छोटी पहाड़ियों के साथ लगे खेतों के किनारे किनारे इन ताड़ के वृक्षों की बहुतायत है।
A typical landscape along the railway tracks on way to Brahmapur |
ट्रेन कुछ देर तक चिलिका झील के भी ठीक बगल से गुजरती है। झील की अथाह जल राशि को पाँच मिनट तक बगल से गुजरते देखना इस यात्रा की यादगार झांकियों में से है। दिन के साढ़े बारह बजे हम ब्रह्मपुर पहुँचे। स्टेशन के बाहर से टैक्सी ली और चल पड़े गोपालपुर की ओर। गोपालपुर में रहने के लिए बजट होटलों में सबसे लोकप्रिय उड़ीसा पर्यटन का पंथ निवास है। यहाँ आप ढाई सौ की डॉरमेट्री से लेकर ढाई हजार के कॉटेज में रह सकते हैं। पर अगर आपने पहले से आरक्षण नहीं करवाया हो तो यहाँ कमरों का मिलना टेढ़ी खीर है। महीने भर पहले भी हमें सामान्य एसी और नॉन एसी कमरा नहीं मिल पाया। अतः कॉटेज में ही रहना पड़ा।
Front view of Panth Niwas at Gopalpur |
Cottages at Panth Niwas, OTDC |
दिन का भोजन कर के हम करीब चार बजे समुद्र की ओर निकले। पंथ निवास समुद्र के किनारे थोड़ी ऊँचाई पर बना है। थोड़ी दूर समतल ज़मीन पर चलने के बाद एकदम से बालू की ढलान आ जाती है और समुद्र की विशाल नीली जलराशि के प्रथम दर्शन होते हैं। अंग्रेजों के ज़माने में गोपालपुर बंदरगाह हुआ करता था। यहाँ से बर्मा के रंगून तक व्यापार होता था। अब वो जेट्टी टूट फूट चुकी हैं हालांकि यहाँ एक नए बंदरगाह के निर्माण की योजना है।
गोपालपुर का समुद्र तट पुरी की सी सुंदरता लिए है पर यहाँ की शांति और एकांत का अपना ही आनंद है। समुद्र तट के मुख्य भाग से पंथ निवास के आधे किमी की दूरी में बाहर से आने वाले आगुंतकों से ज्यादा स्थानीय मछुआरे ही दिखाई पड़ते हैं।
गोपालपुर में एक लाइटहाउस भी है। पर हम जब वहाँ गए तो वो मरम्मत के लिए बंद पड़ा था। इसके ऊपर से गोपालपुर शहर और यहाँ के समुद्र तट का पूरा विस्तार देखा जा सकता है। लाइटहाउस के आगे यहाँ उड़ीसा की नामी होटल श्रंखला मेयफेयर का रिसार्ट है जो ज़ाहिरन काफी मँहगा है।
Lighthouse of Gopalpur |
पार्क के ऊपरी हिस्से से गोपालपुर के समुद्र तट का ये नज़ारा दिखा।
Deep blue water at Gopalpur Beach, Odisha |
फिर तो लहरों के साथ घंटे भर जम कर गोते लगाए गए। यात्रा की थकान समुद्र में लगाई गई इन डुबकियों से जाती रही।
शाम को गोपालपुर शहर की टोह लेने जब हम बाहर निकले तो हमें निराशा हाथ लगी। समुद्र तट के बगल की सड़कों पर सन्नाटा पसरा था। इस सन्नाटे में आधे घंटे चहलकदमी करने के बाद हम वापस अपने दबड़े में लौट आए। पर गोपालपुर के समुद्री तट का असली सौंदर्य अगली सुबह सूर्योदय के सामने प्रकट हुआ। गोपाल के समुद्र तट की सुबह की झांकी के साथ लौटूँगा ५स यात्रा की अगली कड़ी में..
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धरती का कितना वैभव थाह चुके हैं - आपसे तो बस ईर्ष्या की जा सकती है !
जवाब देंहटाएंधरती की इस असीमित चौहद्दी को एक जनम में नाप पाना तो शायद किसी के लिए संभव नहीं पर कोशिश रहती है कि जब भी छुट्टियाँ आस पास हों तो कहीं ना कहीं निकला जाए।
हटाएंमनोरंजक...बस लिखते रहें
जवाब देंहटाएंशु्क्रिया त्यागी जी आप यूँ ही साथ साथ रहें.. :)
हटाएंbadhiya prastuti...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंI like to read musafir hun yaaro....bas aap likte rhiye or me padta rhunga....
जवाब देंहटाएंजानकर खुशी हई ..निश्चिंत रहें जब तक मन में घुमक्कड़ी का जज़्बा है तब तक ये कलम भी चलती रहेगी।
हटाएंबिल्कुल नई जानकारी हमारे लिए...... इस समुंद्र तट के बारे में जानकार अच्छा लगा...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
www.safarhainsuhana.blogspot.in
शुक्रिया..
हटाएंApka yatra britant accha laga
जवाब देंहटाएंजानकर प्रसन्नता हुई :)
हटाएंMast aapke sath hame bhi ghoomne ka mouka mil jata hai thanks...
जवाब देंहटाएंजानकर खुशी हई .:)
हटाएंरिटायर होने के बाद अभी अभी घूमना शुरू कर रही हूं क्या इसी प्रकार मार्गदर्शन देते रहेंगे आप का दिया हुआ ब्यौरा लगता है मेरी विचारधारा से मैच कर रहा है इसमें शॉपिंग और वेजीटेरियन फूड भी जोड़िए इतना मेरे लिए काफी होगा
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