कौसानी और फिर बिनसर जाने के पहले मैं नैनीताल में दो दिन रुका था। नैनीताल में भी ज्यादा समय हमने शहर से दूर स्थित तालों को देखने में बिताया। फिर भी जो वक़्त हमें सुबह और शाम को वापस लौटने पर मिलता था उसका सदुपयोग हमने शहर ए नैनीताल देखने के लिए जरूर किया। हमारा गेस्ट हाउस नैनीताल के नामी होटल मन्नू महारानी के पास मल्लीताल इलाके में था। वैसे जो लोग नैनीताल ना गए हों उन्हें बता दूँ कि मल्लीताल और तल्लीताल नैनी झील के उत्तरी और दक्षिणी सिरे पर स्थित नैनीताल के दो प्रमुख इलाके हैं। नैनीताल की पहली सुबह तो हम सैर को नहीं निकल पाए क्यूंकि दिल्ली से नैनीताल के सफ़र की थकान ने हमें सात बजे के पहले उठने ही नहीं दिया।
पर दूसरे दिन सुबह की सैर के लिए हम हाइकोर्ट जाने वाली सड़क पर निकल पड़े। वैसे अंग्रेजों ने ये शानदार इमारत 1900 में बनाई थी। दूर से देखने से आप इसके यूरोपीय स्थापत्य को आसानी से पहचान सकते हैं। हाइकोर्ट के सामने स्थित बाग इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है। हाइकोर्ट के पीछे नैना का पर्वत शिखर है जो कि नैनीताल का सबसे ऊँचा शिखर है।
हाईकोर्ट का एक चक्कर काटने के बाद इच्छा हुई कि किसी रिहाइशी इलाके में घुसा जाए। सो मुख्य रास्ते से ऊँचाई की ओर जाती एक पतली सड़क पर कट लिये। इस इलाके में या तो बड़े बड़े सरकारी दफ़्तर थे या फिर पेड़ों की झुरमुटों के बीच बसे बड़े बड़े मकान।
सुबह के समय आस पास सड़क पर कोई परिंदा भी पर नहीं मार रहा था। जब ये हाल सड़कों पर था तो घरों के अंदर क्या गतिविधि दिखती सो मैंने आराम से इन बँगलों के नज़दीक जाकर तसवीरें उतारीं। अक्सर पहाड़ों पर देखा है कि ऐसे बँगलों के मालिक रहते कहीं और हैं और छुट्टियाँ मनाने कभी कभी इन आरामगाहों में दस्तक देते हैं।
दिन में सतताल से लौट कर जब नैनीताल की माल रोड पर पहुँचे तो पाँच बजने वाले थे। हमारा इरादा यहाँ के बहुचर्चित रोपवे पर सवारी करने का था। पर वहाँ जाकर पता चला कि वो सेवा तो रोज़ चार बजे ही खत्म हो जाती है। शाम घिरने में अभी देर थी। हमारी स्थिति समझ कार वाले हमें नैनीताल के पर्यटक स्थलों का तूफानी दौरा कराने को तैयार हो गए। डेढ़ घंटे में राजभवन, टिफिन टॉप, लेक व्यू, स्नो व्यू, राजभवन , ज़ू और ना जाने क्या क्या..। पर्वत शिखर तो कौसानी और बिनसर से दिखने ही वाले थे और इतने कम समय में राजभवन या चिड़ियाघर को बस छू लेने की इच्छा भी नहीं थी। सो तय हुआ कि रोशनी ख़त्म होने तक नैनी शिखर की चढ़ाई की जाए।
ऊपर चढ़ते वक़्त हमें एक बौद्ध मठ दिखाई पड़ा था। चढ़ाई की थकान उतारने के लिए कुछ समय हमने वहाँ के शांत वातावरण में बिताया। मठ के आँगन में दो बौद्ध बच्चे खेल रहे थे। सामने एक तख्ती लगी थी जिस पर लिखा था Gomang Gaden Kunkyop Ling Buddhist Monastery। प्रार्थना का समय नहीं हुआ था इस लिए मठ का मुख्य द्वार बंद था। वहाँ से निकल कर जब हम सुस्त कदमों से माल रोड पहुँचे तो शाम के छः बजने वाले थे।
नैनीताल की दुकानों में विभिन्न शक्ल और सूरत लिए मोमबत्तियाँ आपको जरूर दिखाई देंगी। खरीद भले ही लें पर आपका हृदय इन खूबसूरत मोमबत्तियों के इस्तेमाल की इज़ाज़त आपको शायद ही दे। महाराजा का एक जोड़ा जो मैंने नैनीताल से खरीदा था, आज भी मेरी किताबों की अलमारी की शोभा बढ़ा रहा है।
मल्लीताल के पास एक विशाल मैदान है। उसकी एक तरफ़ जामा मस्जिद है तो दूसरी ओर नयना देवी का मंदिर। शाम होते रोशनी से सजाया गया मंदिर जगमगाने लगा। मंदिर की चमक दमक और पानी पर पड़ती उसकी छाया एक अद्भुत दृश्य उपस्थित कर रही थी। साथ में त्रिपाद (Tripod) तो था नहीं तो मैंने माल रोड के किनारे बनी रेलिंग पर कैमरा रख कर ये तसवीरें ली।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सती माता पार्वती के नयन इसी जगह गिरे थे और इसी वज़ह से शहर, झील और मंदिर का नामाकरण हुआ है। ये मंदिर हिंदुओं के चौसठ शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।माल रोड पर कुछ दूर और आगे बढ़े तो झील के दूसरी ओर पाषाण देवी का एक और मंदिर नज़र आया।
तो ये थी मेरी कुमाऊँ यात्रा की आख़िरी कड़ी। मैंने कोशिश की इन प्रविष्टियों में इस इलाके की खूबसूरती को आप तक पहुँचा सकूँ। पर ये भी कहना चाहूँगा कि नैनीताल का एक हिस्सा वो भी है जो अत्याधिक शहरीकरण से अपनी सुंदरता को अक्षुण्ण नहीं रख पा रहा है। आशा है नैनीतालवासी और राज्य सरकार इस बात का ध्यान रखेंगे कि शहर की हालत मसूरी जैसी ना हो जाए।
अगली बार लौटूँगा मंदिरों के एक शहर की कहानी के साथ जो कि भारत से हजारों मील दूर है। साथ रहेंगे ना आप?
तालों में नैनीताल बाकी सब तलैया : इस श्रंखला की सारी कड़ियाँ
- खुरपा ताल
- नौकुचियाताल
- भीमताल और सतताल
- शहर-ए-नैनीताल
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तस्वीरें बहुत खूबसूरत आई हैं।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
हटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत खूब... बढ़िया लेखन
शुक्रिया !
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 13/07/2014 को "तुम्हारी याद" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1673 पर.
धन्यवाद !
हटाएंबहुत बढ़िया जगह भी और लेख भी
जवाब देंहटाएंNice pics& Presentation.
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंWhen did you go to Nainital ..
जवाब देंहटाएंReally awesome presentation
Last October !
हटाएंNice picture. .. feeling like second home. .. proud to be part of beautiful place nainital
जवाब देंहटाएंNatural beauty of a place has endless dimensions. I have tried to capture some of them.
हटाएंमैंने आज ये तीसरी पोस्ट पढ़ी है जो नैनीताल के विषय में लिखी गयी है लेकिन मैं ये कह सकता हूँ आपने जिस तरह से फोटो दिए हैं वो बिलकुल अलग तरह के और विशिष्ट हैं !
जवाब देंहटाएंआपको नैनीताल पर लिखे गए मेरे लेख व चित्र पसंद आए जान कर प्रसन्नता हुई ।
हटाएंAp bahot accha likgte hai.nainital ki ye tasbire bahot sundar hai.
जवाब देंहटाएंमेरा यात्रा लेखन पसंद करने के लिए धन्यवाद !
हटाएंAap ke lekhan padhane ke baad esa lag raha mai nainital me hu . Super writing.
जवाब देंहटाएंसच, अच्छा लगा जानकर :)
हटाएंManish ji kaya aap Gangtok ke bare me much likha hai. Aap ka lekh bahut a cha lags.
जवाब देंहटाएंहाँ धनंजय जी लिखा है और काफी विस्तार से लिखा है। गंगतोक से जुड़ी पोस्ट की लिंक ये रही
हटाएंhttp://travelwithmanish.blogspot.in/search/label/Gangtok
bahut sundar ... acha laga padh kar
जवाब देंहटाएंVery Good Dost
जवाब देंहटाएंAap ne yeisa likha aur photo sajaya mano mai.. nainital ki badiyo me hu ... aap ne nainital jane balo ko v rasta dikhlaya hai.. thaks....
जवाब देंहटाएंअच्छा वर्णन
जवाब देंहटाएंनैनीताल तो हया मैं भी हूँ। और देखी भी है उन सारी जगहों को जिनका आपने जिक्र किया। पर जैसी प्रस्तुति आपने की सचमुच. काबिले-तारिफ है। ऐसा लग रहा है कि नैनीताल तो अभी देख रहा हूँ। उस समय तो सिर्फ सरसरी निगाहें डाली थी।
जवाब देंहटाएंAchchha laga sachchhai padhaKarl&photo dekhakar.
जवाब देंहटाएंAap ne nenitaal ko nazro ke samne rakh diya.
जवाब देंहटाएंVery vivid description of morning of Nainital.
जवाब देंहटाएंMe shimla ke bare me kuch jaan sakta hu
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर प्रस्तुति-------उत्कृष्ट लेखन ।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों के साथ उत्कृष्ट फोटोज, नैनीताल के बारे में काफी विवरण उपलब्ध करा दे रहे है। यही कामना है कि ईश्वर आपको और भी भ्रमण के अवसर उपलब्ध करायें और आप हमें जानकारियाँ।
जवाब देंहटाएंतस्वीरें खुबसूरत हैं। NainitalOnline
धन्यवाद्।