दिल्ली से नैनीताल जाने के कई रास्ते हैं। दिल्ली गाज़ियाबाद मुरादाबाद तक तो सारे रास्ते एक से रहते हैं पर उसके बाद या तो आप रामपुर - रुद्रपुर - हलद्वानी - काठगोदाम होते हुए नैनीताल पहुँचिए या रामपुर से पहले ही बाजपुर की ओर जानेवाले दो विकल्पों में से एक को चुनते हुए कालाडूंगी से नैनीताल पहुँच जाइए। हमें जब दिल्ली से नैनीताल जाना था रुद्रपुर में दो समुदाय के बीच कुछ तनाव चल रहा था। सो एक लंबे रास्ते से होते हुए हम काशीपुर से बाजपुर पहुँचे थे।
पर इस रास्ते की सबसे बड़ी खूबी ये है कि जब आप कालाडूंगी से नैनीताल की
ऊँचाई तक बढ़ते हैं तो सीधी चढ़ाई होने की वज़ह से घुमावदार रास्तों से तो आप
बचते ही हैं , साथ ही पूरे रास्ते भर नयनाभिराम दृश्य आपका मन मोहते रहते
हैं। इसी रास्ते पर बढ़ते हुए जब हम नैनीताल से दस किमी पहले समुद्र तल से
1635 मीटर ऊँचाई पर स्थित खुरपा ताल पहुँचे तो इसके आस पास के दृश्यों को देखकर
मेरा रोम रोम खिल उठा। आज के इस फोटो फीचर में मैं आपको दिखाऊँगा कि क्यूँ लगा मुझे छोटा सा खुरपा ताल इतना सुंदर ?
An isolated house surrounded with abundant greenery |
बताइए तो एक शहरी जीव को अचानक उठाकर इस घर में रख दिया जाए तो क्या उसका जी नहीं हरिया उठेगा? :)
Pine Forests in all their glory |
चीड़ के इन वृक्षों के बीच आप चाहे जितना वक़्त बिताएँ आपका मन नहीं भरेगा।:) हम जब खुरपा ताल के पास पहुँचे तो हल्की बारिश हो चुकी थी और झील के किनारे बने मकानों के पीछे की धुंध धीरे धीरे छँट रही थी।
First glimpse of Khurpa Taal |
सीढ़ीनुमा खेतों, चीड़ वृक्षों, सेना के लिए बनाए घरों और कुछ रिसार्ट्स के बीच स्थित ताल को देखते ही आपकी ऊँगलियाँ कैमरे के शटर पर बार बार दबती हैं। एक रूपसी की तरह ही इसे हर कोणों से क़ैद करनी की चाहत से आप आपने आपको अलग नहीं कर पाते।
Changing colours of water at Khurpa Taal |
खुरपा ताल की एक विशेषता ये भी है कि जैसे जैसे रोशनी की मात्रा कम ज्यादा होती है इसके पानी की रंगत भी बदली सी दिखती है। वैसे खुरपा ताल देखने में तो खुरपी के आकार का नहीं लगता। पर ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में खुरपा ताल के इलाके में लोहे के औज़ार बनाए जाते थे। संभवतः इसी वज़ह से इसका नाम खुरपा ताल पड़ा। बारिश की सहूलियत की वज़ह से उन्नीसवीं शताब्दी में ये स्थान खेती बाड़ी के लिए जाना जाने लगा।
Shades of green in right quantum of light ! |
ये तसवीर यहाँ खींची मेरी सबसे प्रिय तसवीर है। दरअसल हरे और धानी की मिश्रित आभा मेरी आँखों को बेहद सुकून देती है। ये मिश्रण हल्की रोशनी में बड़ी खूबसूरती से उभर कर आता है। ऊपर से तो इन सीढ़ीनुमा खेतों को देखकर लग रहा था जैसे ये खेत सुनसान हों पर जब कैमरे को ज़ूम किया तो किसानों को खेत में काम करता पाया।
Closer view of terraced fields at Khurpa Taal |
Army Welfare Apartments near Khurpa Taal |
कुछ ही देर में एक बार फिर कुहरा बढ़ना शुरु हुआ। पीछे के गाँव और खेत लुप्त हो गए तो सहसा इस वृक्ष पर नज़र पड़ी जो कबसे पोज दिए सामने ही खड़ा था :)।
Click me. I am standing in this pose for so long ! |
खुरपा ताल के पास थोड़ा और वक़्त बिता कर हम नैनीताल की ओर चल पड़े। अगली कड़ी में देखिएगा शहर-ए- नैनीताल की कुछ खूबसूरत झलकियाँ ! अगर आपको मेरे साथ सफ़र करना पसंद है तो फेसबुक पर मुसाफ़िर हूँ यारों के ब्लॉग पेज पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना ना भूलें। मेरे यात्रा वृत्तांतों से जुड़े स्थानों से संबंधित जानकारी या सवाल आप वहाँ रख सकते हैं।
we are happy That you have Good view for journey thanks
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वृतांत. नैनीताल मेरा पसंदीदा हिल स्टेशन है . कुमाऊ की यात्रा ने इसकी झीलों का बहुत अहम् स्थान है . वैसे कुछ संसोधन करना चाहूंगा . पहला - दिल्ली से आप नैनीताल जाते है तो राम पुर रुद्रपुर , हल्द्वानी , काठगोदाम नैनीताल आता है इस रास्ते में भोवाली नहीं आता . दुसरा संसोधन- आप जिस रास्ते से नैनीताल गए वो रास्ता दूर नहीं बल्कि कुछ पास ही है . मुरादाबाद ,टांडा ,बाजपुर, कालाढूंगी वाला रास्ता सबसे नजदीक वाला रुट है . खुर्पाताल बहुत सुन्दर जगह है पर यहाँ पर्यटको के लिए सुविधाओं का घोर आभाव है .
जवाब देंहटाएंमृत्युंजय हम टांडा नहीं बल्कि काशीपुर हो कर बाजपुर पहुँचे थे जो कि टांडा वाले मार्ग से करीब तीस किमी लंबा है। भोवाली वाला संशोधन कर दिया है।
हटाएंअपनी यात्रा के दौरान खुरपा ताल नैनीताल की ऊपर वाली पहाड़ी सी देखा है........ | ऊपर से ताल का पानी बिल्कुल नीला नजर आता है...... | बढ़िया लेख ....
जवाब देंहटाएंसफ़र है सुहाना..
http://ritesh.onetourist.in/2014/05/mehtab-bagh-7.html
खूबसूरती का पर्याय!सही कहा आप ने मनीष जी।अति सुन्दर!धन्यवाद॥
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ..अगले महीने नैनीताल और रानीखेत जा रही हूँ ! इस ताल को भी देखना हो जाएगा ! और कोई अच्चा डेस्टिनेशन हो नैनी ताल और रानीखेत के करीब तो बताइयेगा !
जवाब देंहटाएंरानीखेत से ज्यादा अच्छा कौसानी है। बिनसर के बारे में तो बता ही चुका हूँ। लोग जागेश्वर की भी तारीफ़ करते हैं। ये सब आस पास ही हैं।
हटाएंकाशी पुर से होकर बाजपुर जाना वाकई दूर है ! क्या रास्ते का आईडिया नहीं था या भटक गए थे ? मनीष जी बाजपुर से आगे नयागांव और कालाढूंगी है . नयागांव में एक बहुत सुन्दर जलप्रपात है जिसे कार्बेट फाल कहते है. कालाढूंगी जिम कोर्बेट का गाँव है . जिम कार्बेट की पुस्तकों में कालाढूंगी , नयागांव और बोर नदी का कई बार जिक्र है . जंगल लोर किताब तो कालाढूंगी की पृष्ठभूमी में ही लिखी गई है .
जवाब देंहटाएंHum abhi khi nhi gye hai shadi k bad jayenge Insa Allah
जवाब देंहटाएंSre se nanital ka sbse accha root kon sa h,
जवाब देंहटाएंNice
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