शनिवार, 19 अक्टूबर 2013

उत्तरी कोलकाता के कुछ दुर्गा पूजा पंडालों की एक झलक (Some Puja Pandals of North Kolkata )

थाइलैंड की एक हफ्ते की यात्रा के बाद विजयदशमी के दिन स्वदेश लौटा और वो भी कोलकाता में। राँची जाने की ट्रेन रात में थी इसलिए उत्तरी कोलकाता के तीन चार पूजा पंडालों का चक्कर लगाने का मौका मिला। कलात्मक पंडालों के लिए मशहूर कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडालों की इस छोटी सी सैर की कुछ झलकें आप भी देखें।

काशी बोस लेन के पंडाल का आकार जल्द समझ नहीं आता। पंडाल के सामने का हिस्सा किसी फूल की उलटी पंखुड़ी जैसा दिखता है। पर घुसते सबसे ज्यादा आकर्षित करती है वो है कास के फूलों से भरे हरे भरे खेत जिनसे पंडाल की चारदीवारी बनाई गई है। इस पंडाल की विशेष बात काश के फूलों का इलेक्ट्रिक सॉकेट से बनाया जाना है।

काशी बोस लेन का पंडाल (Kashi Bose Lane Puja Pandal)

पंखुड़ी रूपी छत के बीच है पंडाल में घुसने का रास्ता !



दीवारों की रंग बिरंगी साज सज्जा


इस मौसम में होने वाले कास के फूलों को दर्शाने के लिए विद्युत सॉकेट का अनुपम प्रयोग

काशी बोस लेन पंडाल की मोहक प्रतिमा

और ये है माणिकतला का चालता बागान का इलाका जहाँ पंडाल को कमल का स्वरूप देने की कोशिश की गई है। पंडाल की बाहरी दीवारों को ध्यान से देखें तो कारीगरों की मेहनत स्पष्ट दिखाई देती है।

चालता बागान का पूजा पंडाल (Chalta Bagan Puja Pandal)


दीवारों को ध्यान से देखिए किस तरह इसमें तरह तरह के वर्गाकार प्लेटों पर रंग बिरंगी आकृतियाँ उकेरी गयी हैं। है ना श्रम साध्य काम !

 
 

दुर्गा माँ एक बिल्कुल ही भिन्न रूप में यहाँ की प्रतिमा में नज़र आती हैं।

श्री भूमि स्पोर्टिंग क्लब पूजा पंडाल

यहाँ कलात्मकता की जगह देवी माँ को पहना॓ए गए दस किलो के सोने के आभूषण ही ज्यादा भीड़ खींच रहे थे। कोलकाता की गर्मी और उमस और ट्राफिक जाम के भय से हम केन्द्रीय कोलकाता के चर्चित पंडालों की ओर रुख नहीं कर पाए।


वैसे अगले साल पूरे कोलकाता के पंडालों को देखने का इरादा है। देखिए मेरी ये इच्छा पूरी हो पाती है या नहीं।

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल {रविवार} 20/10/2013 है जिंदगी एक छलावा -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा अंक : 30 पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    ललित चाहार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद ललित इस प्रविष्टि को स्थान देने के लिए !

      हटाएं
  2. वाकई बहुत खूबसूरत झांकियां

    जवाब देंहटाएं