झारखंड एक बड़ा ही खूबसूरत प्रदेश है पर झारखंड के किसी शहर जा कर आप इसकी सुंदरता का अनुभव करना चाहेंगे तो आपको निराशा हाथ लगेगी। झारखंड को महसूस करना है तो इसके शहरों से ज़रा बाहर निकलिए फिर तो इसके जंगल, पहाड़ी नदियाँ, हरे भरे खेत आपका इस क़दर मन मोहेंगे कि आप वापस घर लौटना ना चाहें। पिछले हफ्ते दो बार रेलमार्ग से ही झारखंड के गाँवों, खेत खलिहानों के बीच से गुजरा और जो नज़ारा आँखों के सामने दिखा वो मन को मंत्रमुग्ध कर गया। हालात ऐसे थे कि समझ नहीं आ रहा था कि चलती ट्रेन से दिख रहे इन सुंदर दृश्यों में किसे क़ैद करूँ और किसे छोड़ूँ।
आज जब सारा झारखंड करमा पर्व (Karma Festival) के उल्लास में डूबा है तो मैंने सोचा कि भाई बहन के अटूट रिश्ते को प्रगाढ़ करने वाले और प्रकृति के आदिम सम्मान के इस पर्व पर आपको झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में ले चला जाए जहाँ देर से सक्रिय हुए मानसून ने खेत खलिहानों की छटा ही बदल दी है।
धान के खेतों से मेरा प्रेम पुराना है। हरे रंग के कितने रूप हो सकते हैं अगर उसको समझना हो तो इनकी रोपनी से लेकर धान की बाली आने तक आए इनके रंग में परिवर्तन को बस एक बार निहार लीजिए। .सच पूछिए तो झारखंड की सीमाओं में तीन घंटे सफ़र करते हुए मैंने बस यही किया।
झारखंड मुख्यतः एक पठारी इलाका है। यहाँ की मिट्टी भूरे रंग वाली लेटेराइट मिट्टी है। हरे भरे धान के खेतों के साथ अभी अभी जुते खेतों को देखना मन को सुखद लगता है।
यहाँ देखिए हरे, धानी, हल्के व गहरे भूरे रंग का कैसा तालमेल है इस दृश्य में !
मैदानी इलाकों की तरह यहाँ की नदियों में साल भर पानी नज़र नहीं आता। पर बारिश के दिनों में चट्टानी पाट वाली इन नदियों का जल जब चट्टानों को चीरता आगे बढ़ता है तो उसकी आवाज़ और पानी का प्रवाह देखते ही बनता है और कई बार अचानक ढाल आने से ये प्रवाह जलप्रपात की शक़्ल इख्तियार कर लेता है।
धान के खेतों से घिरी हुई ये छोटी सी जलराशि....
राँची की बाहरी रिंग रोड के बगल का एक और हरा भरा दृश्य..
खेतों में काम कर रही किसी महिला ने अपनी गुलाबी साड़ी सुखाने के लिए रख छोड़ी है। पर इस हरियाली के बीच ये छोटा सा गुलाबी छींटा मुझे अपनी इस यात्रा के सबसे मनमोहक दृश्य के रूप में याद रहेगा। ये तो थी झारखंड के ग्रामीण इलाकों की मानसूनी झाँकी। वैसे ये याद दिला दूँ गर्मियों में झारखंड की वादियों में दहकते पलाश के दर्शन आपको पहले ही करा चुका हूँ। अगर आपने ना देखा हो तो यहाँ देखिए...
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चक्रधरपुर से राँची तक की यात्रा की है, आनन्द आ गया था।
जवाब देंहटाएंचक्रधरपुर से राँची सड़क मार्ग से एक बार मैं भी गया हूँ पर तब सफ़र में कैमरा साथ नहीं हुआ करता था।
हटाएंHey Manish!
जवाब देंहटाएंLovely pictures from Jharkhand! How come you landed up from Japan to Jharkhand? You seem to travel a lot....cool!
Japan's visit was completed few months ago Urvashi. I started writing about my 41 days visit to Japan much later so it's still going on this blog along with travelogues of other places which I visited after that. Jharkhand is my home & all these pictures were taken during my rail journey through the countryside of Jharkhand last week.
हटाएंचलो अच्छा है आपने स्पष्ट कर दिया. वर्ना मैं भी यही पूछने वाला था...
हटाएंoh kya hariyali hai
जवाब देंहटाएंइस हरियाली ने तो कैमरे का बटन बार बार दबाने पर मजबूर कर दिया अन्नपूर्णा जी !
हटाएंबहुत सुंदर वर्णन
जवाब देंहटाएंशु्क्रिया दी !
हटाएंप्रकृति के ये अनुपम दृश्य देखकर बहुत आनन्द आया।Very beautiful Manish ji.Thanks a lot.
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा जानकर सुनीता जी कि आपको ये दृश्य अच्छे लगे।
हटाएंआज की बुलेटिन एम. एफ. हुसैन, अनंत पई और ब्लॉग बुलेटिन में आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है। सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद हर्षवर्धन !
हटाएंकितना अच्छा लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
:) बहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंचित्रों को पसंद करने के लिए शुक्रिया प्रशांत..
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