मई में गर्मी और उमस जब हद से ज्यादा होने लगती है तो मन पहाड़ों की ओर जाने का करने लगता है। पर आज की तारीख़ में आप बिना पहले से योजना बनाकर कहीं निकल भी नहीं सकते, खासकर वो लोग जिनसे पहाड़ कोसों दूर हैं। अगर स्टेट बैंक के होम लोन के विज्ञापन की तरह (सच पूछिए तो मैं तो इस विज्ञापन को देख कर बुरी तरह पक गया हूँ) आपके बच्चों ने भी गर्मी की छुट्टियों में घुमाने की जिद बाँध ली है तब तो आपको कुछ ना कुछ तो तैयारी करनी ही होगी। सबसे पहला सवाल आता है जगह के चुनाव का? अपने अनुभवों के आधार पर अगर मुझे भारत के इन प्रमुख हिल स्टेशनो का मूल्यांकन करना पड़े तो मेरी राय कुछ यूँ होगी..
नैनीताल **
उत्तराखंड बनने के बाद नैनीताल का भी रूप बदला है पर यहाँ हालात मसूरी से बेहतर हैं। यहाँ की मुख्य झील नैनी झील की भीड़ भाड़ को छोड़ दें तो सातताल, नौकुचिया ताल और कुछ हद तक भीमताल की प्राकृतिक सुंदरता मन को बेहद सुकून देती है।
दार्जीलिंग **
खूबसूरत चाय बागान, मदमस्त चाल से चलती टॉय ट्रेन , टाइगर हिल के सूर्योदय और कंचनजंघा दर्शन की वज़ह से ये कभी पूर्वी भारत का सबसे लोकप्रिय पर्वतीय स्थल हुआ करता था। पर आज स्थिति बिल्कुल उलट है। पटरियों के नीचे भू स्खलन की वज़ह से ट्रेन का रास्ता पहले से छोटा हो गया है। बदलते प्रशासन और राजनीतिक अस्थिरता का असर शहर के रखरखाव पर पड़ा है। आज दार्जीलिंग से लौटने वाले हर पर्यटक वहाँ की गंदगी की शिकायत करता है।
गंगतोक ****
एक बार सिलीगुड़ी से पश्चिम बंगाल की सीमा पार कीजिए। फर्क साफ नज़र आएगा। गंगतोक एक साफ सुथरा और अनुशासन प्रिय शहर है। सुबह उठते ही कंचनजंघा की चोटियाँ आपका स्वागत करती दिखेंगी। बर्फ का आनंद उठाना हो तो नाथू ला की ओर निकल लीजिए। यही समय यहाँ के फूलों रोडोडेन्ड्रोन्स (Rhodendrons) के खिलने का है। बौद्ध मठों के साथ रोप वे का आकर्षण तो अलग है ही।
मसूरी *
कभी पहाड़ों की रानी कही जाने वाली मसूरी
अब अधाधुंध शहरीकरण से वो आकर्षण खो चुकी है जिसकी वज़ह से वो इस नाम से
सुशोभित हुई थी। आज का मुख्य मसूरी शहर दुकानों और होटलों से पटा पड़ा है।
अगर गढ़वाल के पर्वतीय इलाकों का आपको आनंद लेना है तो आपको मसूरी से थोड़ा
आगे निकलना होगा। मसूरी से टिहरी के रास्ते चीड़ और देवदार के जंगलों के
आलावा मौसम साफ रहने पर गढ़वाल हिमालय की बर्फीली चोटियाँ भी दिखाई दे सकती
हैं।
मनाली ***
हमारे पूर्व प्रधाममंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का सबसे प्रिय शहर रह चुका है ये। मसूरी की तरह ही गर्मी के मौसम में यहाँ नव विवाहित जोड़ों, दिल्ली पंजाब से आए लोगों की भारी भीड़ आपको सदा साथ देने के लिए तैयार मिलेगी। फिर भी रोहतांग, सलांग घाटी और व्यास नदी के किनारे बिताए गए पल आपकी यादों मे् बहुत दिनों तक बने रहने का माद्दा रखते हैं।
शिमला **
शिमला का सबसे बड़ा आकर्षण यहाँ के मॉल रोड का इलाका है। नैसर्गिक सुंदरता के मामले में मनाली इससे ज्यादा मनोरम है। फिर भी जो लोग पहाड़ों की ऊँचाई के साथ एक आधुनिक शहर में रहना पसंद करते हों उनके लिए ये हिल स्टेशन निश्चय ही पसंदीदा होगा।मुन्नार *****
मई के महिने में अगर केरल जाना पड़ा तो मुन्नार के आलावा और कोई जगह उपयुक्त नहीं होगी। चाय बागानों की इतनी खूबसूरत छटा मैंने और कहीं नहीं देखी। मुन्नार से थेक्कड़ी मार्ग की हरी भरी खूबसूरत वादियाँ को देखना अपने आप में एक अलौकिक अनुभव है।
माउंट आबू **
पश्चिमी भारत खासकर गुजरात और राजस्थान के लोगों के लिए ये सबसे निकट का पर्वतीय स्थल है। सप्ताहांत मनाने के लिए ये स्थान उपयुक्त है। नक्की लेक में बोटिंग करें ना करें पर गुरुशिखर पर सुबह सुबह बादलों के झुंड के साथ सैर और देलवाड़ा मंदिर की दीवारों का जादुई शिल्प देखना ना भूलिएगा।
पचमढ़ी ***
मध्यप्रदेश की सतपुड़ा की पहाड़ियों की गोद में बसे इस पर्वतीय स्थल के बारे में मैं पहले भी विस्तार से लिख चुका हूँ। पचमढ़ी का मुख्य आकर्षण यहाँ के झरने और गुफाएँ हैं और साथ हैं सतपुड़ा के घने जंगल। पर इन तक पहुँचने के लिए पैदल चलने के लिए तैयार रहें। ज्यादा ऊँचाई पर ना होने के कारण आपको गर्मी के महिने यहाँ का मौसम उतनी राहत नहीं देगा।
कौसानी और बिनसर ***
यहाँ पाए जाने वाले चीड़ के जंगलों की खूबसूरती के क्या कहने! कुमाऊँ हिमालय के दर्शन के लिए ये दोनों ही जगहें बेहतरीन हैं बशर्ते मौसम का मिज़ाज अनुकूल हो ।अक्सर पर्यतक नैनीताल के साथ अल्मोड़ा और रानीखेत को अपनी सम्मिलित यात्रा का हिस्सा बना लेते हैं। अल्मोड़ा की बजाए बिनसर के हरे भरे जंगलों में रहना आपको ज्यादा भाएगा। अगर खुश्किस्मत रहे तो हिमालय की चोटियों का नजारा अद्भुत होगा ही। कौसानी त्रिशूल पर्वत को देखने की सबसे अच्छी जगह है। कवि सुमित्रानंदन पंत की इस जन्मस्थली में महात्मा गाँधी का अनाशक्ति आश्रम भी है।
वैसे अगर आप थोड़ा कष्ट सहकर प्रकृति को और करीब से महसूस करना चाहते हों तो लेह लद्दाख (कश्मीर) , लाहौल स्पीती (हिमाचल), गुरुडांगमार व यूमथांग (उत्तरी सिक्किम) या फिर तवांग (अरुणाचल प्रदेश) का रुख कर सकते हैं। वैसे उत्तर और पूर्वी भारत के लोगों के बीच काठमांडू और पोखरा भी एक विकल्प है।
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Rai Dene ke liya Dhanyabad.
जवाब देंहटाएंहमें तो पचमढ़ी में निरुद्देश्य घूमने का मन कर रहा है।
जवाब देंहटाएंजिन्हें जंगल की नीरवता पसंद हो और जिनके लिए घूमने का मतलब सिर्फ चौपहिया वाहन से सैर करना ना हो उनके लिए पचमढ़ी आदर्श जगह है।
हटाएंकौसानी के लिए अकटूबर का मौसम सबसे बढ़िया है खासकर दशहरा के आसपास ।
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं आप। यूँ तो गर्मियों में लोग जाते ही हैं पर अक्टूबर में वहाँ आसमान गर्मियों से ज्यादा साफ रहता है इस वज़ह से हिमालय पर्वत श्रंखला साफ साफ देख पाने की संभावना ज्यादा रहती है।
हटाएंगर्मी से बचने के लिए यदि कोई नैनीताल या मसूरी जाता है तो उसको बहुत हॉट झटका लग सकता है दिन में जब तापमान 32-33 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है! ;) शिमला का तापमान भी आजकल कम नहीं होता, 30 से ऊपर ही मंडराता है। इस सबका कारण है बढ़ता टूरिज़्म और उतनी ही तेज़ी से बढ़ता गैर-ज़िम्मेदार लोगों द्वारा प्रदूषण। :(
जवाब देंहटाएंएक समय था जब मैदानों में तापमान चालीस तक मँडराता था पर अब हालात ये हैं कि तापमान पैंतालिस भी पार हो जाता है तो फिर पहाड़ों में भी तो वही होगा। अपेक्षाकृत कम गर्मी तो रहती ही है।
हटाएंअपेक्षाकृत कम होती है लेकिन वह भी कोई सांतवना नहीं देती। अभी परसो ही धनौल्टी-मसूरी से आए, क्या जल रहा था दिन में, लग ही नहीं रहा था कि हिल-स्टेशन पर हैं! :)
हटाएंबड़ा ही अच्छा सुझाव दिया है आपनें.. हम भी इन गर्मियों में कहीं जानें का सोच ही रहे थे, अब शायद हम बेहतर जगह का चुनाव कर पाएँगे...
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद मनीष सर.....
शिमला से पहले कसौली पड़ता है .वहां भी जाया जा सकता है .जानकारी अच्छी मिली !
जवाब देंहटाएंजी बिल्कुल, इनके आलावा भी कई पर्वतीय स्थल और हैं खासकर उत्तराखंड और हिमाचल में।
हटाएंपंचवटी... मेरे ख्याल से मानसून में ज्यादा बढिया रहेगा.
जवाब देंहटाएंपंचवटी या पचमढ़ी?
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