अगर आपके समक्ष ये प्रश्न करूँ कि टिहरी (Tehri) किस लिए मशहूर है तो शायद दो बातें एक साथ आपके मन में उभरें। एक तो सुंदरलाल बहुगुणा का टिहरी बाँध (Tehri Dam) के खिलाफ़ संघर्ष तो दूसरी ओर कुछ साल पहले बाँध बन जाने के बाद पूरे टिहरी शहर का जलमग्न हो जाना।
टिहरी एक ऐसा शहर था जो अब इतिहास के पन्नों में दफ़न हो गया है। आज उसकी छाती पर भारत का सबसे विशाल बाँध खड़ा है। पर जिसने वो शहर नहीं देखा हो वो क्या उन बाशिंदों का दर्द समझ पाएगा जिन्हें वहाँ से विस्थापित होना पड़ा। एक नवआंगुतक तो टिहरी बाँध पर आकर देशी इंजीनियरिंग कार्यकुशलता की इस अद्भुत मिसाल देखकर दंग रह जाता है। 260.5 मीटर ऊँचे इस भव्य बाँध को पास से देखना अपने आप में एक अनुभव हैं। इससे पहले मैं आपको हीराकुड बाँध (Hirakud Dam) पर ले जा चुका हूँ पर तकनीकी दृष्टि से 2400 MW बिजली और तीन लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा बड़े इलाके को सिंचित करने वाली ये परियोजना अपेक्षाकृत वृहत और आधुनिक है। पर अगर ये परियोजना इतनी लाभदायक है तो फिर इसका विरोध क्यूँ?
दरअसल बड़े बाँधों के निर्माण में पर्यावरणविदों और इंजीनियरों में शुरु से ही वैचारिक मतभेद रहे हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि हिमालय प्लेट से जुड़े क्षेत्रों में इतने विशाल बाँध बनाना भूकंप को न्योता दे कर बुलाने के समान है। वही इंजीनियर ये कहते हैं कि उन्होंने बाँध का निर्माण इस तरह किया है कि रेक्टर स्केल पर 8.4 तक के जबरदस्त भूकंप के आने पर भी बाँध का बाल भी बाँका नहीं होगा। जापान के इंजीनियर भी अपने परमाणु संयंत्र के लिए यही कहा करते थे पर सुनामी के बाद हुई फ्यूकीशीमा की दुर्घटना ने वहाँ की जनता का विश्वास अपने संयंत्रों से ऐसा बैठा कि आज वहाँ के सारे परमाणु संयंत्र ही बंद हैं। भगवान करे कि मेरे साथी इंजीनियरों का दावा सच निकले और गंगोत्री और यमुनोत्री को अपनी गोद में समाए इस पवित्र इलाके में विकास की ये बगिया फलती फूलती रहे।
टिहरी एक ऐसा शहर था जो अब इतिहास के पन्नों में दफ़न हो गया है। आज उसकी छाती पर भारत का सबसे विशाल बाँध खड़ा है। पर जिसने वो शहर नहीं देखा हो वो क्या उन बाशिंदों का दर्द समझ पाएगा जिन्हें वहाँ से विस्थापित होना पड़ा। एक नवआंगुतक तो टिहरी बाँध पर आकर देशी इंजीनियरिंग कार्यकुशलता की इस अद्भुत मिसाल देखकर दंग रह जाता है। 260.5 मीटर ऊँचे इस भव्य बाँध को पास से देखना अपने आप में एक अनुभव हैं। इससे पहले मैं आपको हीराकुड बाँध (Hirakud Dam) पर ले जा चुका हूँ पर तकनीकी दृष्टि से 2400 MW बिजली और तीन लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा बड़े इलाके को सिंचित करने वाली ये परियोजना अपेक्षाकृत वृहत और आधुनिक है। पर अगर ये परियोजना इतनी लाभदायक है तो फिर इसका विरोध क्यूँ?
दरअसल बड़े बाँधों के निर्माण में पर्यावरणविदों और इंजीनियरों में शुरु से ही वैचारिक मतभेद रहे हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि हिमालय प्लेट से जुड़े क्षेत्रों में इतने विशाल बाँध बनाना भूकंप को न्योता दे कर बुलाने के समान है। वही इंजीनियर ये कहते हैं कि उन्होंने बाँध का निर्माण इस तरह किया है कि रेक्टर स्केल पर 8.4 तक के जबरदस्त भूकंप के आने पर भी बाँध का बाल भी बाँका नहीं होगा। जापान के इंजीनियर भी अपने परमाणु संयंत्र के लिए यही कहा करते थे पर सुनामी के बाद हुई फ्यूकीशीमा की दुर्घटना ने वहाँ की जनता का विश्वास अपने संयंत्रों से ऐसा बैठा कि आज वहाँ के सारे परमाणु संयंत्र ही बंद हैं। भगवान करे कि मेरे साथी इंजीनियरों का दावा सच निकले और गंगोत्री और यमुनोत्री को अपनी गोद में समाए इस पवित्र इलाके में विकास की ये बगिया फलती फूलती रहे।
कानाताल में अपने प्रवास के आखिरी दिन सुबह नौ बजे हम टिहरी की ओर निकल पड़े। वैसे टिहरी तक पहुँचने के दो रास्ते हैं। पहले ॠषिकेश (Rishikesh) से होते हुए नरेंद्रनगर (Narendranagar) जाइए और फिर उसी रास्ते में आगे बढ़ते हुए चंबा (Chamba)पहुँचिए। ॠषिकेश से चंबा की दूरी लगभग साठ किमी है। चंबा से एक रास्ता मसूरी जाता है और दूसरा टिहरी। टिहरी बाँध चंबा से सत्रह किमी की दूरी पर है। हवाई मार्ग से यात्रा करने के लिए आपको पहले दिल्ली से देहरादून जाना होगा।
कानाताल चंबा से मसूरी जाने वाले मार्ग पर है। इसलिए हमलोग चंबा होते हुए टिहरी पहुँचे। चंबा से टिहरी का रास्ता बड़ा ही मनोरम है। विशाल बाँध द्वारा एकदम से रोकी गई भागीरथी नदी शांत सहमी सी चुपचाप चलती है। नदी के साथ ही चलते हैं हरे भरे पर्वत जिनकी छाया ऐसे पड़ती है मानो नदी ने उन्हें अपने हृदय में सँजो रखा हो।
हिंदू धर्मावलंबी मानते हैं कि राजा भागीरथ ही पवित्र गंगा को पृथ्वी पर लाए थे और इसलिए इस नदी का नाम भागीरथी पड़ा पर आज इस बाँध के बनने से नदी का प्रवाह थम सा गया है जिससे लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँची है।
प्राचीन टिहरी शहर भागीरथी और भीलांगना नदियों के संगम पर बसा था। उस वक़्त इन नदियों को पार करने के लिए पुल हुआ करता था जो नदी की दूसरी ओर के पहाड़ पर बसे गाँवों तक पहुँचने का ज़रिया था। पुल के नहीं रहने से सरकार आजकल आवागमन के लिए जहाज चला रही है। इस आती नौका को देखकर क्या ऐसा नहीं लगता कि भागीरथी ने अपनी चुप्पी तोड़ दी हो और नौका के पीछे बनती लहरें उसकी खुशी का इज़हार कर रही हों।
टिहरी बाँध से ही एक रास्त्रा गंगोत्रीपुरम होते हुए नई टिहरी तक जाता है। बाँध से बारह किमी की दूरी पर स्थित नई टिहरी को समुद्रतल से 1600 मीटर की ऊँचाई पर बसाया गया है। हमलोग तो वहाँ नहीं जा सके पर कहते हैं कि वहाँ से टिहरी बाँध और पानी रोकने से बनी झील का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
इस बाँध में पानी को तेजी से निकालने के लिए Vertical Shaft Spillway हैं। जलस्तर बढ़ते ही पानी इस Vertical Tunnel से गिरता हुआ बाँध की तलहटी तक जा पहुँचता है। इस दृश्य को देखना अपने आप में बेहद रोमांचकारी हैं। अमेरिका के ग्लोरी होल (Glory Hole) के बारे में लिखते हुए मैंने इस संरचना के बारे में आपको विस्तार से बताया था। याद नहीं आया तो फिर से यहाँ पढ़ें और देखें।
बाँध के दूसरी ओर है हेयरपिन बैंड्स (Hairpin Bends) का सम्मोहक जाल। वैसे क्या आपको पता है कि दुनिया के सबसे खूबसूरत या यूँ कहे सबसे खतरनाक हेयरपिन बैंड्स कौन से हैं? हेयरपिन बेंड्स अक्सर वहाँ बनाए जाते हैं जहाँ कम चौड़ाई में तेजी से नीचे उतरना होता है। मुसाफ़िर हूँ यारों पर इस विषय पर एक लेख पहले भी लिख चुका हूँ। इन हेयरपिंड बेंड के नीचे बाँध का हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट है जो बाहर से नहीं दिखाई देता।
बाँध के दूसरी ओर भागीरथी की धारा काफी पतली हो जाती है। नीचे दिख रहा है बाँध की दूसरी तरफ़ का दृश्य..
टिहरी की गुनगुनी धूप का आनंद लेते हुआ हमारा समूह... टिहरी में हम ज्यादा समय नहीं बिता सके। टिहरी से आगे एक मार्ग उत्तरकाशी की ओर निकलता है।उस रास्ते पर आगे जाने से बाँध की पूरी ऊँचाई दिखती है जिसे हम नहीं देख पाए क्यूँकि हमें उसी दिन धनोल्टी होते हुए मसूरी जाना था। कैसी रही हमारी धनोल्टी यात्रा जानिएगा इस श्रृंखला की अगली कड़ी में। आप फेसबुक पर भी इस ब्लॉग के यात्रा पृष्ठ (Facebook Travel Page) पर इस मुसाफ़िर के साथ सफ़र का आनंद उठा सकते हैं।
इस श्रृंखला की सारी कड़ियाँ
- Conclay @ Kanatal : पहला दिन लंबी यात्रा और वो शाम की मस्ती!
- Un conference @ Kanatal : कैसा रहा हमारा विचार विमर्श ?
- आइए दिखाएँ आपको गढ़वाल हिमालय (Garhwal Himalayas) के ये शानदार पर्वतशिखर !
- कानाताल (Kanatal) की वो खूबसूरत सुबह !
- टिहरी बाँध (Tehri Dam) : इंजीनियरिंग कार्यकुशलता का अद्भुत नमूना !
- क्यूँ निराश किया हमें धनौल्टी (Dhanoulti) ने ?
- Chick Chocolate मसूरी : आख़िर क्या खास है इस रेस्ट्राँ में ?
Beautiful pictures.
जवाब देंहटाएंThx..
हटाएंबेहतर लेखनी, बधाई !!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
हटाएंवाकई में टिहरी बाँध इंजीनियरिंग कुशलता का नायब नमूना हैं.....| बाँध से गंगोत्री नदी की झील का द्रश्य भी बड़ा ही नयनाभिराम होता हैं....| बांध की आसपास प्राकृतिक सुंदरता बिखरी पड़ी हुई हैं....
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा रितेश !
हटाएंबहुत सुन्दर मनोरम तस्वीरों के साथ बढ़िया जानकारी प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंप्रविष्टि को पसंद करने का शुक्रिया !
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (महिला पर प्रभुत्व कायम) पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
हार्दिक आभार !
हटाएंTo Much Beautiful
जवाब देंहटाएंThx for appreciation !
हटाएंI didn't know you took so many photos! :)
जवाब देंहटाएंPoint & Shoot camera ki yahi to khasiyat hai Nisha u become trigger happy ! You were in another jeep Marie & Arun made us stop at two places to capture these lovely scenes. Btw thanks for ur memory card which made my day so beautiful :)
हटाएंप्रतिबिम्ब में एक और हिमालय और टिहरी दिखता है।
जवाब देंहटाएंजानकारी से भरा मनोरम वर्णन!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .... टिहरी डैम बनाते हुये देखा है ... पापा यहीं से सेवानिवृत हुये थे .... पुरानी यादें ताज़ा हो गईं ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्र. आमतौर से, बांधों के चित्र लेने पर वहां के कर्मी बहुत हाय तौबा मचाते हैं बिना ये जाने की गूगल अर्थ के ज़माने में उनकी टांय-टांय का कोई ख़ास मतलब नहीं रह गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब वाह!
जवाब देंहटाएंआप शायद इसे पसन्द करें-
ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!
great
जवाब देंहटाएंप्रतिभा जी, संगीता जी, प्रवीण, काजल जी प्रविष्टि पसंद करने के लिए शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंयह वास्तव में एक अच्छी पोस्ट है. विभिन्न चित्रों का प्रयोग अच्छा लगा. मैं यहाँ इस अद्भुत पोस्ट को खोजने के लिए खुश हूँ.
जवाब देंहटाएंmanish ji aap lag kab jaogey dobara aisey hi kisi tour per ... Myself parveen ... pgarg.divyan@gmail.com
जवाब देंहटाएंthanks
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