पिछली दो प्रविष्टियों में आपने पहले जापान की और फिर अपने छत्तीसगढ़ की हरियाली देखी। पर जैसा मैंने पहले लिखा था कि जैसे ही अंदरुनी इलाकों से आप जापान के किसी बड़े शहर के पास पहुँचते हैं कंक्रीट के घने जंगलों से आपका सामना होता है। अन्य देशों से उलट जापान में ऐतिहासिक इमारतें बिड़ले ही दिखाई पड़ती हैं। प्राकृतिक और युद्ध से जुड़ी त्रासदियाँ इसकी मुख्य वज़ह रही हैं। जापान में आने के बाद सबसे पहला महानगर जो मेरी नज़रों के सामने से गुजरा वो था फुकुओका।
फुकुओका (Fukuoka) जापान के चार प्रमुख द्वीपों में से एक क्यूशू द्वीप का सबसे बड़ा शहर है और इसके उत्तर पश्चिम में समुद्र तट के किनारे बसा हुआ है। अगर आप मानचित्र में देखें तो आप पाएँगे कि टोक्यो से कहीं ज्यादा ये दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल के करीब है। पुरातन काल से ये शहर चीन और कोरिया की ओर से जापान का प्रवेशद्वार कहा जाता था। तेरहवीं शताब्दी में चीन पर मंगोलों का कब्जा हो गया। चीन के बाद मंगोलों की नज़र जापान पर पड़ी। मंगोलों ने तो पहले जापानी कामकूरा शासकों को धमकी भरे पत्र लिखे। जब जापानियों पर इसका असर नहीं हुआ तो मंगोलों ने 1274 ई में क्यूशू द्वीप के इसी प्रवेशद्वार से जापान पर हमला बोल दिया।
मंगोलों की विशाल सुसज्जित सेना के आगे जापानियों का जीतना मुश्किल था। पर
भाग्य जापान के साथ था। आक्रमण के कुछ समय बाद आए समुद्री तूफ़ान ने मंगोल
सेना को वापस लौटने पर विवश कर दिया। आठ साल बाद मंगोलों ने फिर क्यूशू के
रास्ते आक्रमण किया पर कुछ हफ्तों के युद्ध के बाद एक बार फिर उन्हें खराब
मौसम की वज़ह से वापस लौटना पड़ा। मंगोल उसके बाद चीन में ही इतने कमजोर पड़
गए कि जापान की ओर उन्होंने रूख नहीं किया।
सामरिक महत्त्व के इस द्वीप को मंगोलों ने तो छोड़ दिया पर द्वितीय विश्व
युद्ध में अमेरिकी सेनाओं ने इसके विभिन्न हिस्सों पर हवाई हमला कर क्यूशू
को तबाह कर दिया। नागासाकी (Nagasaki) जहाँ हिरोशिमा के बाद परमाणु बम गिराया गया वो
क्यूशू द्वीप का ही एक और प्रीफेक्चर यानि राज्य है। इस बंदरगाह शहर का नाम
हमेशा से फुकुओका नहीं रहा। इतिहास के पृष्ठों को उलटें तो पाएँगे कि
बंदरगाह का नाम पहले हकाता (Hakata) था। पर 1889 में हकाता और फुकुओका किले को मिला
कर नए शहर का निर्माण हुआ जिसका नामकरण फुकुओका कर दिया गया। आज की तारीख
में हकाता इस शहर का एक वार्ड है जिसमें यहाँ का मुख्य रेलवे स्टेशन स्थित
है।
तो चलिए आपको आज के फुकुओका शहर की एक झांकी दिखला दी जाए..
फुकुओका शहर में प्रवेश करने के पहले जापान सागर से जुड़े क्यूशू के उत्तर पश्चिमी समुद्र तट के दर्शन होते हैं। चित्र में दिख रहा है समुद्र तट के बगल में बना एक सुंदर स्टेडियम
जापान में हर जगह कूड़े को अलग अलग हिस्सों में विभक्त किया जाता है और उसका इस्तेमाल फिर उद्योगों में ईंधन के रूप में होता है। नीचे चित्र में आप देखें कि किस तरह कचड़े को आगे की प्रक्रिया के लिए एक जगह संचित किया जा रहा है।
फुकुओका मुख्यतः एक औद्योगिक इलाका है। ज्यादातर उद्योगों को कच्चा माल दूसरे देशों से यहाँ के बंदरगाह के माध्यम से समुद्री जहाजों द्वारा मुहैय्या कराया जाता है।
औद्योगिक इलाकों को छोड़ते हुए अब हम आ पहुँचे हैं फुकुओका के रिहाइशी इलाकों की तरफ़। देखिए कोई हिस्सा खाली दिख रहा है?
ऊँची ऊंची अट्टालिकाओं के बीच में आपको छोटे छोटे घर भी दिखाई दे जाएँगे। ज़रा गौर कीजिए स्वतंत्र घरों के बीच में आपको कोई जगह छूटी दिख रही है? जापान में शहरों में ज़मीन के छोटे से टुकड़े के लिए बहुत मारामारी है।
पूरे जापान भ्रमण में मैंने सैकड़ों एपार्टमेंट देखें। पर कहीं बालकोनी चार फीट से ज्यादा चौड़ी नहीं दिखी। दो बालकोनियों के बीच की दीवार ऐसी कि शायद ही इधर की आवाज़ उधर ना सुनाई पड़े। हालांकि रहने के लिए एपार्टमेंट का एक अच्छा स्वरूप और भी है जिसे मैन्शन कहा जाता है जहाँ थोड़ी प्राइवेसी है पर उसके लिए काफी जेब ढीली करनी पड़ती है जो कि आम व्यक्ति के बस के बाहर की बात है।
रेल और सड़कों की आधारभूत संरचना पर जापान ने जितना खर्च किया है वो मेरे जैसे भारतीयों के लिए कल्पना के परे था।
अगली पोस्ट में ले चलेंगे आपको अपने शहर कीटाक्यूशू (Kitakyushu) जो जापान में एक महिने तक हमारा घर बना रहा। आप फेसबुक पर भी इस ब्लॉग के यात्रा पृष्ठ (Facebook Travel Page) पर इस मुसाफ़िर के साथ सफ़र का आनंद उठा सकते हैं।
मुसाफिर हूँ यारों हिंदी का एक यात्रा ब्लॉग
वाह.. जापान तो ऊपर से देखने पर बिलकुल एक कंप्यूटर के मदरबोर्ड की तरह दिखता है..
जवाब देंहटाएंहा हा सही नज़र गई तुम्हारी !
हटाएंकॉम्क्रीट के जंगलों में जीते धड़कते हृदय
जवाब देंहटाएंआप तो काव्यात्मक हो गए प्रवीण !
हटाएंअलग ही तस्वीर सामने आई यह तो जापान की ...शुक्रिया इस से रूबरू करवाने के लिए
जवाब देंहटाएंजी हाँ जापान के इस रूप के बारे में और विस्तार से चर्चा होगी टोक्यो से जुड़े आलेखों में !
हटाएंjo chije aapne dikha di h wah sayd kahi dekhi ja sake.
जवाब देंहटाएंramu singh
शु्क्रिया रामू अगर आप इस सफ़र में साथ रहे तो जापान के कई और नज़ारे भी आपके सामने होंगे।
हटाएंLooks like a very big city Manish!
जवाब देंहटाएंYeah you are right Mridula !The population of the city is approximately 1.4 million people, making it the 8th largest city in Japan.
हटाएंशहरों के नाम न याद होने :)
जवाब देंहटाएंआगे फुकुओका से कहीं ज्यादा आसान नाम मिलेंगे भाई !
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