दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के T3 टर्मिनल में पहले भी जाना होता रहा है और इसके घरेलू टर्मिनल की झलकें मैं पिछले साल आपको दिखा ही चुका हूँ। पर पिछले महिने जापान जाने के दौरान T3 के अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल को देखने का मौका मिला। वैसे अगर आपके मन में ये भ्रांति हो कि अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल दिखने में घरेलू टर्मिनल से बहुत अलग होगा, तो उसे दूर कर लें। दिखने में टर्मिनल के दोनों हिस्से एक से ही हैं। हाँ अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल होने की वज़ह से कुछ बातें आपको नयी जरूर लगेंगी। मसलन सुरक्षा जाँच के पहले Immigration Check काउंटर से गुजरना। खरीददारी के लिए ढेर सारी ड्यूटी फ्री दुकानें और भारत से वापस लौटने वाले विदेशियों के लिए सोवेनियर शॉप्स।
जापान की इस यात्रा में मुझे टोकियो (तोक्यो) का नारिटा (Narita Terminal, Tokyo) और बैंकाक का स्वर्णभूमि हवाई अड्डा (Swarnabhoomi Airport, Banglok) भी देखने को मिला। पर उनके मुकाबले हमारा T3 कहीं ज्यादा सुंदर और विस्तृत है। यानि आप गर्व से ये कह सकते हैं कि हमारी राजधानी का हवाई अड्डा विश्वस्तरीय है। तो चलिए आपको दिल्ली के हवाईअड्डे के इस हिस्से के कुछ दृश्य दिखाता चलूँ।
अंतरराष्ट्रीय प्रस्थान के ठीक सामने एक प्रतिमा लगी है जो इस हिस्से की खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है। दूर से इसे देखने पर गौतम बुद्ध की मूर्ति सा आभास होता है। पर पास आने से पता लगता है कि ये प्रतिमा भगवान बुद्ध की ना होकर भगवान सूर्य की है। इसे बनाने वाले शिल्पी का नाम है सुरेश गुप्ता। सुरेश गुप्ता ने इस शिल्प को गढ़ने में ग्यारह वीं सदी में दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य की कांस्य प्रतिमाओं से प्रेरणा ली है।
दिल्ली विमानपत्तन में शहर वाले अपनी क्रिकेट टीम को कैसे भूल सकते हैं तो एक पूरी दुकान ही दिल्ली डेयरडेविल्स (Delhi Daredevils) की जर्सी से लेकर अन्य जुड़े उत्पादों को बेचने में लगी है।
चमड़े के डिजाइनर बैगों के लिए विख्यात दा मिलानो (Da Milano)। अब नाम से तो आपको इस ब्रांड के इटली से संबंधित (Milan) होने का पता चल गया होगा। वैसे दिल्ली की ये कंपनी इटली से चमड़े का निर्यात करती है। इन बैगों का डिजॉइन इटली में तैयार होता है और बनते हैं ये भारत के हिमाचल प्रदेश में ।
एयरपोर्ट बाजार के एक हिस्से को दिल्ली बाजार का नाम दिया गया है
और ये है छोटे बच्चों के खेलने की जगह जो दूसरे तल परबने फूड कोर्ट के साथ ही लगी है।
नयनाभिराम लाल नारंगी आटो जिसे भारतीय यात्रा के प्रतीक चिन्ह के रूप में यहाँ एक दुल्हन की तरह सजा कर रखा गया है।
भारत की यादों को ताजा रखने के लिए विशुद्ध भारतीय वस्तुएँ। वैसे इन जनाब की वेश भूषा और यूँ फैल कर बैठने का अंदाज़ कैसा लगा आपको..
हम तो एक रुपये की कलमों को घिसते घिसते बड़े हुए पर यहाँ आप हजार से बाईस हजार (और शायद इससे ज्यादा भी) की कलम को देखने का लुत्फ़ उठा सकते हैं। वैसे खरीदना चाहें तो मर्जी आपकी :)
अगली कड़ी में आपको कराएँगे जापान एयरलाइंस से तोक्यो तक की यात्रा.. मुसाफिर हूँ यारों हिंदी का यात्रा ब्लॉग
जी, २-३ बार मुझे भी यहाँ उतरने का सौभाग्य मिल चुका है... आँखे चुंधिया जाती है, ऐसा लगता है गलती से जहाज वाले ने किसी और विकसित देश में उतार दिया.... परन्तु बाहर निकलते ही टेक्सी वालों से किलकिल करने से पता चलता है अरे यार अपनी दिल्ली ही है. :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा ये भी खूब कही आपने..
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जवाब देंहटाएंमेरे ख़्याल से, ये मूर्ति सबसे ज़्यादा फ़ोटोग्राफ़्ड ऑब्जेक्ट होनी चाहिए क्योंकि सभी गेट यहीं से शुरू होते हैं /:-)
जवाब देंहटाएंसुन्दर भी है और आकर्षक भी..
जवाब देंहटाएंya i too like my Indian international Airport :)
जवाब देंहटाएंवाह .. बहुत ही खूबसूरती सेर कैद किया है आपने दिल्ली के हवाई अड्डे को ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन फोटोग्राफ्स....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
जवाब देंहटाएंnice capture
जवाब देंहटाएंचित्रों को पसंद करने के लिए आप सभी का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंजापान चार या पांच बार गया हूँ...खाने की समस्या तो है लेकिन टोक्यो में भारतीय खाना मिला जाता है वो भी शुद्ध शाकाहारी भारतीय...आपकी यात्रा वृतांत पढ़ कर अपनी यात्रायें याद आ गयीं...मैंने बहुत पहले जापान यात्रा पर एक पोस्ट लिखी थी...अगली पोस्ट का इंतज़ार है
जवाब देंहटाएंनीरज