हर साल गर्मियों में हम शायद ही कहीं निकलते हैं। अपनी राँची मुझे गर्मियों के लिहाज़ से सबसे अच्छी लगती रही है। पारा चालिस के ऊपर चढ़ा नहीं कि काली घटाएँ उमड़ घुमड़ कर जमीन और उस पर बने मकानों की गर्मी सोख लेती है। पर इस साल..इस साल तो मामला ही कुछ उलट हो गया। राँची में गर्मी की शुरुआत वैसी ही रही यानि थोड़ी गर्मी और फिर थोड़ी बारिश। पर जनाब दस मई के बाद से मौसम ने ऐसा मिज़ाज बदला कि हम चालिस दिनों के लिए पानी की एक बूँद को तरस गए। बादल रोज़ तफ़रीह के लिए आते और OK TATA Bye Bye कह कर चले जाते।
गर्मी की एक ऐसी ही निढ़ाल करने वाली दुपहरी में एक मेल आया कि क्या आप एक ब्लॉगर कैंप में आना चाहेंगे। बड़ी खुशी हुई कि चलो इस गर्मी से निजात मिलेगी। खुशी खुशी हामी भरी तो पता चला कि वो कैंप जून के आखिर में सिक्किम में है। मन ही मन सोचा कि गर्मियाँ तो अबकी भगवन राँची में ही कटवाएँगे। कैंप क्लब महिंद्रा वालों ने आयोजित किया था पूर्वी सिक्किम में पेलिंग के रास्ते में आने वाले अपने रिसार्ट में।
महिन्द्रा ने भारत में यात्रा से जुड़े कुछ खास हस्तियों को अपने खर्चे पर यहाँ आमंत्रित किया था। मुझे जब बाकी लोगों के नाम पता चले तो उनमें से एक तो नेट मित्र निकलीं। वहाँ भिन्न भिन्न परिवेश से जुड़े लोगों को यात्रा संबंधी अनुभवों को साझा करने के लिए क्लब महिंद्रा ने ये मंच प्रदान किया था। मैंने भी अपने लिए हिंदी में यात्रा ब्लागिंग विषय चुन रखा था। पर होनी को कुछ और मंजूर था।
आफिस में छुट्टियाँ भी मिल गई थीं कि अचानक जून के अंतिम सप्ताह में जापान जाने के लिए सरकारी आदेश आ गया। तारीखें ऐसी कि दो में से एक ही जगह जाना संभव था। सो भरे मन से क्लब महिंद्रा के प्रस्ताव को ठुकराना पड़ा। पर उन्होंने मुझे इस सम्मान के क़ाबिल समझा इसके लिए मैं उनका आभारी हूँ। साथ ही इस बात का अफ़सोस रहेगा कि मैं इस Un conference में शामिल होने वाली विभूतियों से मिलने का अवसर गँवा बैठा। अब तो शायद मृदुला से ही पता चले कि वहाँ क्या कुछ हुआ। Conclay में शामिल होने वाले सारे साथियों को मेरी तरफ से यात्रा की अग्रिम शुभकामनाएँ। आशा है ये अनौपचारिक संवाद अपने मकसद में पूर्णतः सफल होगा।
आज मैं राँची की झमाझम बारिश के बीच मैं सिक्किम जाने वाले रास्ते पर सफ़र कर रहा होता। पर इस बार जब राँची में बारिश हो रही है तो दिल्ली में एक हफ्ते से डेरा डाले बैठा हूँ। आज ही जापान के लिए रवाना होना है। पिछले कुछ दिन दिल्ली में बीतने के बाद भी यहाँ अपने मित्रों से बात करने और मिलने का वक़्त नहीं निकाल पाया। कुछ तो ये तपता झुलसाता मौसम और कुछ आफिस की भागादौड़ी इसकी वज़ह रही। नेपाल को छोड़ दें तो ये मेरी पहली विदेश यात्रा है! एक शाकाहारी जीव जापान में कैसे रह पाएगा ये भी अपने आप में एक समस्या है। ख़ैर नई जगह जाने का रोमांच भी है। देखें कैसी रहती है यात्रा ! अपने अनुभव तो इस ब्लॉग पर शेयर करूँगा ही। मुसाफिर हूँ यारों हिंदी का यात्रा ब्लॉग
We missed each other Manish. But the world is small ... next time. Enjoy Japan.
जवाब देंहटाएंCongratulations.
जवाब देंहटाएंTake it positively, Manish.... Perhaps God wanted you to see Japan more than Sikkim where you can go anytime. :-)
Looking forward to your updates on Japan.
Have a nice trip.
Congratulations.
जवाब देंहटाएंTake it positively, Manish.... Perhaps God wanted you to see Japan more than Sikkim where you can go anytime. :-)
Looking forward to your updates on Japan.
Have a nice trip.
Naaice :)
जवाब देंहटाएंशाकाहारी लोगों के लिए तो वहाँ समस्या है. एक मित्र कुछ समय पहले होकर आए हैं. उबले बीन्स और उबले चावल खाकर गुजारा करना होगा :(
जवाब देंहटाएंयात्रा की शुभकामनाएँ.
यात्रा की शुभकामनाएं :)
जवाब देंहटाएंसच में बड़ा ही रोचक अनुभव रहेगा, घुमक्कड़ों के लिये।
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