राजस्थान से जुड़े पिछले आलेख में मैं आपको चित्तौड़गढ़ के किले की यात्रा पर ले गया था। मीरा की भक्ति और राणा कुंभ की शौर्य गाथाएँ तो आपने पढ़ लीं। पर कुंभ और मीरा के एक शताब्दी पहले इस गढ़ में एक और महागाथा का सृजन हो रहा था ..
बात चौदहवीं शताब्दी की है। दिल्ली का सुल्तान तब अलाउद्दीन खिलजी हुआ करता था। सन 1303 में अलाउद्दिन ने किले के चारों ओर फैले मैदान में अपनी सेनाओं के साथ धावा बोल दिया। पहाड़ी पर बसे चित्तौड़गढ़ को उस समय तक अभेद्य दुर्ग माना जाता था। कहते हैं कि अलाउद्दीन के आक्रमण का मुख्य उद्देश्य राणा रतन सिंह की खूबसूरत पत्नी महारानी पद्मिनी को हासिल करना था। राणा ने युद्ध को टालने के लिए अलाउद्दीन खिलजी को रानी की झलक दिखलाने का प्रस्ताव मान भी लिया। रानी उस वक़्त अपने तिमंजले जल महल में रहा करती थीं।
बात चौदहवीं शताब्दी की है। दिल्ली का सुल्तान तब अलाउद्दीन खिलजी हुआ करता था। सन 1303 में अलाउद्दिन ने किले के चारों ओर फैले मैदान में अपनी सेनाओं के साथ धावा बोल दिया। पहाड़ी पर बसे चित्तौड़गढ़ को उस समय तक अभेद्य दुर्ग माना जाता था। कहते हैं कि अलाउद्दीन के आक्रमण का मुख्य उद्देश्य राणा रतन सिंह की खूबसूरत पत्नी महारानी पद्मिनी को हासिल करना था। राणा ने युद्ध को टालने के लिए अलाउद्दीन खिलजी को रानी की झलक दिखलाने का प्रस्ताव मान भी लिया। रानी उस वक़्त अपने तिमंजले जल महल में रहा करती थीं।
रानी के महल के ठीक सामने की इमारत में अलग अलग कोणों पर शीशे लगवाए गए। शीशों का कोण ऐसा रखा गया कि शीशे में महल की सीढ़ियों पर बैठी रानी का चेहरा दिख सके पर अगर सुलतान पीछे पलटे तो भी रानी ना दिखाई पड़े।
पर अलाउद्दिन ने मौके का फ़ायदा उठाते हुए किले के ठीक बाहर साथ आए राणा को छल से बंदी बना लिया। रानी ने भी छल का जवाब छल से देने का निश्चय किया। रानी ने कहा कि अगर राजसी तौर तरीकों के अनुसार उन्हें अपने काफ़िले के साथ चलने की अनुमति मिले तो वो खिलजी की शर्त मानने को तैयार हैं। रानी ने पालकियों में सात सौ लड़ाकू राजपूत भेजे जिनका नेतृत्व सैनिक गोरा और बादल कर रहे थे। अपनी जान पर खेलकर वे राजा को तो छुड़ा लाए पर पीछा करती खिलजी की सेनाओं के साथ युद्ध में किले के बाहरी द्वार के पास राणा मारे गए।
पद्मिनी ने ये ख़बर सुनी तो सारी स्त्रियों के साथ मिलकर उसने आत्मदाह कर लिया जिसे राजपूतों की परंपरा में ज़ौहर कहते हैं।
दुर्ग में आज भी रानी पद्मिनी का एक मंदिर है जिसमें रानी की पत्थर की प्रतिमा लगी हुई है। पास ही एक सरोवर भी है जिसमें पहाड़ों से निथर कर पानी आता है।
अलाउद्दीन तो जीता हुआ दुर्ग अपने बेटे खिज़र खाँ के नाम करके वापस दिल्ली चला गया पर दस पन्द्रह सालों के बाद ही दुर्ग राजपूत राजाओं के पास वापस आ गया। पर चित्तौड़गढ़ के इतिहास में ज़ौहर की ये घटना आख़िरी नहीं थी। ये चित्तौड़ का दुर्भाग्य था कि ऐसे काले अध्याय और रचे गए। राणा कुंभ और उसके बाद राणा सांगा के शासनकाल में चित्तौड़ ने अपने सबसे अच्छे दिन देखे। पर 1527 में खनवा के युद्ध में मिली पराजय और कुछ ही दिनों बाद राणा सांगा की मृत्यु ने चित्तौड़ को फिर कमजोर कर दिया। मौके का फ़ायदा उठाकर गुजरात के सुलतान बहादुर शाह ने 1535 ई में चित्तौड़ पर हमला कर दिया। सांगा की पत्नी रानी कर्णावती ने सारे राजपूत सरदारों को इकठ्ठा कर चित्तौड़ की इज़्जत बचाने की कोशिश की। यहाँ तक कि मदद के लिए मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भी भेजी। पर हुमाँयू को आने में देर हो गई और युद्ध में हारने के साथ ही रानी ने तेरह हजार महिलाओं के साथ ज़ौहर कर लिया।
33 साल बाद 1568 ई में मुगल सम्राट अकबर ने मेवाड़ पर हमला किया। राणा उदय सिंह तो जान बचा कर उदयपुर की पहाड़ियों में चले गए। किले की कमान मात्र सोलह वर्षीय दो सेनापतियों जयमल और पत्ता के हाथ आ गई। चार महिने तक अकबर ने किले को घेरे रखा। अंततः वो किले की दीवार तोड़ने में कामयाब रहा। जयमल ने जब दीवार को मरम्मत करने की कोशिश की तो उसे अकबर की तोपों का निशाना बनना पड़ा। टूटी टाँग के बावज़ूद जयमल ने पत्ता के साथ मिलकर मात्र आठ हजार सैनिको् से अकबर को जमकर टक्कर दी। कहते हैं युद्ध में तीस हजार जवान शहीद हुए और हमेशा की तरह किले में बची राजपूत स्त्रियों ने ज़ौहर किया।
33 साल बाद 1568 ई में मुगल सम्राट अकबर ने मेवाड़ पर हमला किया। राणा उदय सिंह तो जान बचा कर उदयपुर की पहाड़ियों में चले गए। किले की कमान मात्र सोलह वर्षीय दो सेनापतियों जयमल और पत्ता के हाथ आ गई। चार महिने तक अकबर ने किले को घेरे रखा। अंततः वो किले की दीवार तोड़ने में कामयाब रहा। जयमल ने जब दीवार को मरम्मत करने की कोशिश की तो उसे अकबर की तोपों का निशाना बनना पड़ा। टूटी टाँग के बावज़ूद जयमल ने पत्ता के साथ मिलकर मात्र आठ हजार सैनिको् से अकबर को जमकर टक्कर दी। कहते हैं युद्ध में तीस हजार जवान शहीद हुए और हमेशा की तरह किले में बची राजपूत स्त्रियों ने ज़ौहर किया।
नीचे चित्र में दिख रहा है सूरजपोल के पास बना विशाल दरवाज़ा
किले में घूमते और इन गाथाओं को सुनते हम अपने आख़िरी पड़ाव कीर्ति स्तंभ तक पहुँच गए। बाइस मीटर ऊँचा ये स्तंभ जैन व्यापारी जीजाजी राठौड़ ने बनाया था। स्तंभ के बगल में ही जैन तीर्थांकर आदिनाथ का मंदिर है।
ये है वो मैदान जो गवाह रहा राजपूतों के शौर्य गाथाओं से लेकर उनके रक्तरंजित इतिहास का । इसी मैदान में खिलजी से लेकर अकबर की सेनाओं ने घेराबंदी की और अंततः राजपूतों ने बार बार होने वाली इस क़ैद से रिहाई पाने के लिए चित्तौड़गढ़ को छोड दिया और उदयपुर को अपनी नई राजधानी चुना।
हमारी खुशमिज़ाज गाइड मैम। अक्सर गाइड किले का चक्कर लगवा के बाहर की दुकानों में ले जाते हैं जिनमें से कुछ किले के ट्रस्ट द्वारा चलाई जाती हैं। वैसे चित्तौड़ से लोग मिश्र धातु के बर्तन या खुशबू देने वाली साड़ियाँ लेते हैं।
किले से नीचे दिखता चित्तौड़ शहर भारत के किसी आम शहर जैसा ही है।
राजपूतों की आन माने जाने वाले इस किले की स्मृतियाँ लेकर हम वापस उदयपुर की ओर चल पड़े। अगली सुबह पहाड़ियों की गोद में बसा एक और किला हमारा इंतज़ार कर रहा था। कौन था वो किला ये जानेंगे इस श्रृंखला की अगली कड़ी में।
मेरे ख्याल से यही कीर्ति स्तंभ राजस्थान पुलिस के लोगो में हैं..
जवाब देंहटाएंEnjoyed your account and pictures. I am heading to Jaisalmer tomorrow, my first time there.
जवाब देंहटाएंदीपक जी यह कीर्ति स्तम्भ है जो जैन मतावलम्बियों ने बनवाया था। चित्तौड का प्रतीक विजय स्तम्भ है जो महाराणा कुम्भा की विजय के बाद बना था।
जवाब देंहटाएंचित्तौड की जानकारी देकर पुराने अध्याय वापस नवीन हो गए। यहाँ जयमल और पत्ता थे ना कि पट्टा।
वाह...बेजोड़ चित्र ...बेजोड़ प्रस्तुति ...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
nice post ! thx for details
जवाब देंहटाएंअजित गुप्ता जी भूल की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद। नाम दुरुस्त कर दिया है।
जवाब देंहटाएंदीपक जी चित्तौड़गढ़ का प्रतीक विजय स्तंभ है जिसकी छवि पिछली पोस्ट में आप देख सकते हें।
जवाब देंहटाएंमृदुला जैसलमेर राजस्थान की सबसे खूबसूरत शहरों में है। बतौर फोटोग्राफर यहाँ आपके पास ample photo opportunities होगीं।
नीरज व अन्नपूर्णा जी पोस्ट पसंद करने के लिए शुक्रिया !
बहुत बढिया पोस्ट। आन पर जान लुटा देने वाले कैसे वीर लोग थे फिर भी देश दासता में जकड़ा गया।
जवाब देंहटाएंNice pics. made me nostalgic :-)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन जानकारी ।
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