ये रहा न्यूयार्क..
और ये सटैच्यू आफ लिबर्टी
इटली का सभागार
राजा व उनकी मलिकाएँ
सैनिक तरह तरह की वेशभूषा में
मेले का एक झूला
यूरोपीयों का प्रिय शगल : घुड़दौड़
कहता है जोकर सारा ज़माना...
वाह ताज !
इस श्रृंखला की सारी कड़ियाँ
- मई की गर्मी और वो हैदराबादी शादी
- हैदराबाद की पहचान चारमीनार
- जब महामंत्रियों के शौक़ से वज़ूद में आया एक अद्भुत संग्रहालय!
- आइए चलें फंडूस्तान, मुगल गार्डन और हवा महल की सैर पर....
- आइए देखें रामोजी की एकदमे फिलमी दुनिया !
- रामोजी फिल्म सिटी के गुड्डे गुड़ियों की दुनिया !
- रामोजी मूवी मैजिक : जहाँ आप भी बन सकती हैं शोले की बसंती !
बढिया चल रहा है वृतांत .. हम भी आपके सहयात्री हैं !!
जवाब देंहटाएंदरअसल जिन्दगी की हकीकत भी यही है... सीमेंट के मकान भी ज्यादा से ज्यादा 40 बरस चलते हैं पर लोग तो मकानों दुकानों और जिन्दगी पर ऐसे खर्च करते हैं जैसे अमर होने का वरदान लेकर आये हों।
जवाब देंहटाएंसमझते ही नहीं की दुनियां भी एक स्टूडियो सेट ही है
जवाब देंहटाएंहैदराबाद तो गयी थी मैं एक सोलो ट्रिप में पर रामोजी फिल्म सिटी जाना नहीं हो पाया |
जवाब देंहटाएंखैर अगली बार के लिए भी तो कुछ छोड़ना था | :)
दृश्य बहुत सुन्दर हैं |
संगीता जी साथ बने रहने के लिए शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंराजे शा हाँ आपकी बात पढ़कर आनंद फिल्म का वो लोकप्रिय डॉयलाग याद आ रहा है कि हम सब रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ में है।
निशा जानकर खुशी हुई कि आपको चित्र अच्छे लगे।