इतिहासकार कहते हैं कि मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने ही गोलकुंडा से अपनी राजधानी बदलकर हैदराबाद का शहर बसाया। दुर्भाग्यवश उनके शासनकाल के दौरान शहर में प्लेग की बीमारी फैल गई। सुल्तान ने दुआ माँगी की जल्द से जल्द उनके शहर से प्लेग का साया हटे। सुल्तान ने ये भी प्रण लिया कि जिस जगह उन्होंने ये प्रार्थना की है उसी जगह पर दुआ कुबूल होने पर वे एक मस्जिद बनाएँगे और इस तरह पुराने शहर के मध्य में सन 1591 में चारमीनार की बुनियाद पड़ी।
चारमीनार जैसे जैसे करीब आता है मैं उसकी उन चार मीनारों और उनसे जुड़ी चार मेहराबों पर अपनी नज़रे गड़ा हुआ पाता हूँ। ग्रेनाइट व चूने से बने चौकोर खंभों के कंधों पर खड़ी 24 मीटर ऊँची मीनारें कभी हैदराबाद शहर का विहंगम दृश्य दिखाने का काम करती थीं। पर अब ये सहूलियत सिर्फ़ गणमान्य अतिथियों को ही नसीब है। पहली मुश्किल चारमीनार की तस्वीर लेने में आती है। चारमीनार के दक्षिणपूर्वी सिरे से दृश्य तो सुंदर आता है पर आप किसी भी तरह लटकते तारों से फोटोफ्रेम को निज़ात नहीं दिला सकते।
टिकट खरीद कर अब ऊपर से मंज़र देखने की उत्सुकता है। 56 मीटर ऊँची इस इमारत पर चढ़ने के लिए बनाई गई सीढियाँ संकरी हैं। बाहर खड़ा गार्ड एक निश्चित संख्या से ज्यादा होने पर नीचे से आवाजाही बंद कर देता है। जैसा कि भारत में अमूमन हर प्राचीन धरोहरों में होता है,यहाँ भी लोगों ने दीवारों के चूने को खुरच खुरच कर अपना नाम उकेरने की क़वायद ज़ारी रखी है। सामान्य पर्यटकों को सिर्फ पहले तल तक जाने की आजादी है। ये जगह कभी मदरसे के रूप में इस्तेमाल होती थी। ऊपर के तल पर मस्जिद है जिसका गुंबद आपको ऊपर वाले चित्र में दिखाई दे रहा है।
मई के महिने में दिन के वक्त भी चारमीनार पर्यटकों से ठसा पड़ा था। नीचे का दृश्य देखने के लिए किसी तरह हमने एक खिड़की के पास जगह बनाई।पीले काले रंग के आटो , बरसातियों से ढके ठेले और खोमचे और उनसे जरूरत का सामान लेते बाशिंदों से सड़क अटी पड़ी थी। दक्षिण पूर्वी सिरे पर निज़ामिया यूनानी अस्पताल की पुरानी पर शानदार इमारत और ठीक उसके उलट मक्का मस्जिद का आहाता दिख रहा था।
चारमीनार की भीड़ भरे माहौल से निकलने का दिल हो रहा था तो मैं उतरकर मक्का मस्जिद की ओर चल पड़ा।
मक्का मस्जिद का निर्माण भी मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने 1617 में ही शुरु करवाया था। पर क्या आप मानेंगे कि इस मस्जिद को बनते बनते 77 साल लग गए । इसका निर्माण पूर्ण करने का श्रेय मुगल सम्राट औरंगजेब को दिया जाता है। मक्का मस्जिद हैदराबाद की सबसे बड़ी मस्जिद है। मस्जिद के 180 फीट लंबे और 220 फीट चौड़े इस मुख्य हाल में एक साथ दस हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं। मस्जिद के अंदर तो पहुँच गया पर अंदर तपते फर्श पर नंगे पैर चलने की हिम्मत नहीं हुई। कबूतरों ने मस्जिद की हर मुंडेर पर अपना कब्जा जमा रखा था।
बच्चे गर्मी की परवाह किए बिना कबूतरों के साथ दौड़ भाग कर अपना मनोरंजन कर रहे थे। जब ये प्यारी बच्ची मेरे सामने से गुजरी तो खु़द बा ख़ुद केमरे का शटर दब गया।
मक्का मस्जिद से चारमीनार का एक दृश्य (पहली बार किसी कोण से बिजली के तारों से मुक्ति मिली :))
चारमीनार की कोई यात्रा इसके उत्तर पश्चिमी सिरे में फैले लाड बाजार में घूमे हुए बिना खत्म नहीं होती खासकर तब जब आपके कुनबे में महिलाएँ भी हों। दरअसल कुछ लोग तो बाजार में खरीदारी करने के बहाने चारमीनार देख लेते हैं। पूरा बाजार तरह तरह की चूड़ियों और माणिकों की दुकानों से भरा पड़ा है। हैदराबाद तो वैसे भी मोतियों के बाजार लिए पूरे देश में जाना जाता है और दाम के मामले में हर तरह से आपके शहर से सस्ता ही होगा। हमारा अगला घंटा इन्हीं दुकानों में विचरते बीता।
दोपहर के बाद का हमारा अगला पड़ाव था सलारजंग म्यूजियम.. उस यात्रा का विवरण इस श्रृंखला के अगले भाग में.....
इस श्रृंखला की सारी कड़ियाँ
- मई की गर्मी और वो हैदराबादी शादी
- हैदराबाद की पहचान चारमीनार
- जब महामंत्रियों के शौक़ से वज़ूद में आया एक अद्भुत संग्रहालय!
- आइए चलें फंडूस्तान, मुगल गार्डन और हवा महल की सैर पर....
- आइए देखें रामोजी की एकदमे फिलमी दुनिया !
- रामोजी फिल्म सिटी के गुड्डे गुड़ियों की दुनिया !
- रामोजी मूवी मैजिक : जहाँ आप भी बन सकती हैं शोले की बसंती !
आपके साथ घूमने का मज़ा ही कुछ और है...बहुत दिलचस्प रिपोर्टिंग करते हैं आप...
जवाब देंहटाएंनीरज
nice pictures with beautiful description...
जवाब देंहटाएंLovely images all around!
जवाब देंहटाएंपर्यटकों की भीड़ के अलावा भी हमने सुना है बहुत भीड़ भाड़ वाला इलाका है? वैसे तस्वीर भी हालत बता रही है. बिजली के तारों की समस्या तो क्लासिक समस्या है :)
जवाब देंहटाएंहैदराबाद मुझे कभी रास नहीं आया.. ठीक से पता नहीं क्यों
जवाब देंहटाएंumda jankaree batne ke liye dhanyawad....his. mera priya subject hai ...
जवाब देंहटाएंYou are an excellent photographer
जवाब देंहटाएंtoo!! such lively pictures !!
Dr.R.K.Tandon
आप सब के विचारों और प्रतिक्रियाओं का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंइतना घूमा.. पर्ल्स नहीं लाये? हाँ, हाँ, मेरा मतलब वाही "असली" वाले..
जवाब देंहटाएंये हैदराबाद की दूसरी यात्रा थी। मोती पिछली बार भी लिए थे और इस बार भी। पर ये मामला गृह मंत्रालय का है इसलिए विस्तार से जिक़्र नहीं किया :)
हटाएंमनीष जी आपका यात्रा व्रतांत हमारे लिए बहुत लाभदायक रहा साथ ही कैमरे में कैद की गयी तस्वीरें लाजवाब है.
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