पिछले हफ्ते ठिठुरा देने वाली ठंड में दिल्ली जाना पड़ गया। तीन रातें ठंड के मारे आधी सोती और आधी जागती कटीं। कार्यालय से वापस आने के बाद चुपचाप अपने कमरे में दुबक जाने के आलावा कुछ और करने की इच्छा ही नहीं होती थी। ख़ैर ना कहीं निकल सके और ना मित्रों से बातें हुई पर इस बार की हवाई यात्रा में दिल्ली के विख्यात टर्मिनल तीन को देखने का अवसर मिल गया। इससे पहले भी अपनी एक निजी यात्रा में बड़ी रोमांचक परिस्थियों में इस टर्मिनल से गुजरने का मौका मिला था पर वो किस्सा फिर कभी। आज आपको दिखाते हैं कि क्या खास है दिल्ली हवाई अड्डे के इस नए टर्मिनल में...
टर्मिनल की विशालता और भव्यता को देख कर ये यक़ीन करना मुश्किल होता है कि इसे महज तीन साल में बनाया गया होगा। चौसठ लाख वर्ग फीट में फैले इस टर्मिनल में करीब 78 एयरोब्रिज और 92 स्वचालित वॉकवे हैं यानि अब जहाज से निकल कर बस में सवारी करने की जरूरत नहीं। तो चलिए आज आपको दिखाते हैं इसी टर्मिनल की कुछ झलकियाँ मेरे कैमरे की नज़र से...
ये दृश्य दिखता है जब आप हवाईजहाज से निकल कर दिल्ली एयरपोर्ट में कदम रखते हैं। हाथों की विभिन्न भंगिमाएँ सहज ही मन को मोह लेती हैं..
चमकते फर्श, शीशे की दीवारों के बीच अचानक ही बीच बीच में हरियाली के छोटे छोटे टुकड़े मन को बेहद सुकून देते हैं...
और ये है क्रिसमस और नव वर्ष के लिए की गई विशेष सजावट...
भारत की विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत को चित्रकला के जरिए बड़ी खूबसूरती से दर्शाया गया है...
भारत में रहकर ही लीजिए इटली के मजे...
शरीर के हर अंग को ढकने के लिए अगर मँहगे जुगाड़ की तलाश में हों तो यहाँ पधारें..
धूम्रपान कक्ष और प्रार्थना कक्ष अलग अलग। कौतूहलवश मैं प्रार्थना कक्ष में गया तो देखा वहाँ सिर्फ बाइबिल और कुरान पड़ी है। बाहर वालों को प्रार्थना की सहूलियत तो हो गई पर पता नहीं 'गीता' या 'रामचरितमानस' रखने की जरूरत क्यूँ नहीं समझी गई।
एक तल्ले ऊपर चढ़ेंगे तो पहुँचेगे फूड कोर्ट में। सामने का ये गोलाकार टीवी बच्चों को बेहद आकर्षित कर रहा था..
और चलते चलते अगर गला सूख जाए तो उसे तर करने का भी इंतजाम है...
वैसे आपको ज्यादा ना चलना पड़े उसके लिए विशेष ट्रेवेलेटर की व्यवस्था है। यानि एक बार इस पर सवार हो जाइए और अपने निर्धारित गेट पर उतर जाइए।
अब सब मैं ही दिखा दूँगा कि ख़ुद से भी 'EXPLORE' करने की ज़हमत उठाएँगे आप..:)
तो कैसा लगा आपको ये सफ़र बताना ना भूलिएगा...
fabulous
जवाब देंहटाएंnice work
सुंदर ...
जवाब देंहटाएंgood work...
जवाब देंहटाएंफिर भी बहुत से मिल जाएंगे जिन्हें इसमें कमियां नज़र आएंगी :)
जवाब देंहटाएंयकीन नहीं होता ये दिल्ली का हवाई टर्मिनल है जिस से कई बार विदेश यात्राएँ की हैं...अब ये टर्मिनल दुनिया के किसी भी देश जैसा ही हो गया है...देखना पड़ेगा...शुक्रिया हमें घुमाने का..
जवाब देंहटाएंनीरज
सुना भर था. आज आपने दिखा दिया. आभार.
जवाब देंहटाएंLovely pictures. The last time I was there I just rushed through. I am going to fly again on 26th so lets see if I too get to click some pictures.
जवाब देंहटाएंअच्छी शानदार फोटो। हम भी घूम लिए।
जवाब देंहटाएंधर मे रहकर दिल्ली के एयरपोर्ट के मजे ले लिए ----सुन्दर तस्वीरे ---धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंdefinitely more beautiful than todayz many international airports ,but here announcements are not made even for flights delayed by more than an hour or so is my experience while taking an international flight.
जवाब देंहटाएंIn plain words itz beauty of bricks alone . service is pathetic still or try using land lines there.
जवाब देंहटाएंKajal bhai is on the mark. exactly :)
जवाब देंहटाएंअच्छा विश्लेषण किया है.
जवाब देंहटाएंकभी समय निकालकर हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक दृष्टी डालें .
Lovely !
जवाब देंहटाएंनमस्कार!
जवाब देंहटाएंअच्छी तस्वीरें हैं . हवाई यात्रा का अवसर कभी नहीं मिला. हवाई यात्रा उतनी सस्ती भी नहीं है. किन्तु आपके माध्यम से कुछ अनुभव मिला. धन्यवाद.
सुंदर ...
जवाब देंहटाएंjanmdin ki bahut bahut badhai
मैंने भी जिक्र किया था मगर आपने बस कमल ही कर दिया !
जवाब देंहटाएंIs one allowed to takes pictures in India? Generally I have noticed that they stop you for secirity reasons..
जवाब देंहटाएंYa ye aapke mobile phone ka kamaal hai? :)
निशा ऐसा नहीं है। कुछ एयरपोर्ट जैसे पुणे पर इस तरह का प्रतिबंध है। दिल्ली में सुरक्षा करमचारियों से पूछा था उन्होंने कहा शौक से लो। और हाँ मेरे मोबाइल में कैमरा नहीं है :)
जवाब देंहटाएंठंड तो यहां भी काफी है....अच्छी रही दृश्यों के माध्यम से सैर....आपने ठीक से ढूंढा था न..गीता और रामायण को... अगर ऐसा है तो ठीक तो नहीं कहा जा सकता....
जवाब देंहटाएंमगर यह नहीं बताया आपने कि दो घंटे पहले न पहुंचे तो दूरियां तय करते-करते कहीं फ्लाईट ही न छुट जाये. :-)
जवाब देंहटाएंविकसित भारत की झलक है ये, मगर कुछ पर्यावरणविद इसकी आलोचना भी कर रहे हैं.
एक जगह की तस्वीर लेनी आप भूल गए। मुझे वह बहुत पसंद है। डोमेस्टिक टर्मिनल में कुछ ऐसी कुर्सियाँ भी है, जहां आप बैठे बैठे भी सो सकते हैं। यह चेक इन काउंटर के बाद रेस्तरां के बाद है। लंबे सफर के बाद पाँव पसारने का सुख निराला है।
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