पिछली पोस्ट में आप से वायदा किया था कि पंडालों की सैर कराने के बाद आपको दिखाऊँगा देवी दुर्गा की प्रतिमाओं के
देशज और विदेशज रूप..। कोलकाता के कारीगर पंडालों की प्रारूप चुनने में तो मशक्कत करते ही हैं पर साथ ही देवी दुर्गा को भिन्न रूपों में सजाने पर भी पूरा ध्यान देते हैं। वैसे तो मैं बिहार, झारखंड और उड़ीसा मे दुर्गा पूजा के दौरान घूम चुका हूँ पर बंगाल में देवी की प्रतिमा में सबसे भिन्न उनकी आँखों का स्वरूप होता है जिससे आप शीघ्र ही समझ जाते हैं कि ये किसी बंगाली मूर्तिकार का काम है। तो आज इस मूर्ति परिक्रमा की शुरुआत ऍसी ही एक छवि से...
और यहाँ माता हैं अपने क्रुद्ध अवतार में..
और जब भगवान शिव और माँ दुर्गा एक साथ आ जाएँ फिर महिसासुर तो क्या किसी भी तामसिक शक्तियों का नाश तो निश्चित ही है।
यहाँ माँ दुर्गे बंगाल की धरती छोड़ कर जा पहुँची है एक तमिल मंदिर में। लिहाज़ा आप देख रहे हैं उन्हें एक अलग रूप में..
माता ने यहाँ वेशभूषा धरी है एक
आदिवासी महिला की..
अब कलाकारों की कल्पना देखिए ..देशी परिधानों और वेशभूषा से आगे बढ़कर यहाँ आप देख रहे हैं बर्मा के मंदिर के प्रारूप में स्थापित यह प्रतिमा.. कितनी सहजता से माता के नैन नक़्शों को बदल डाला है परिवेश के मुताबिक कलाकारों ने..
और यहाँ की सफेद मूर्तियों पर असर साफ दिख रहा है फ्रांसिसी मूर्ति कला का..
और आखिर में चलें थाइलैंड यानि एक थाई मंदिर में..
(ऊपर के सभी चित्रों के छायाकार हैं मेरे सहकर्मी प्रताप कुमार गुहा) तो कोलकाता की दुर्गा पूजा के पंडालों और प्रतिमाओं की कलात्मकता को आप तक पहुँचाने की कोशिश के रूप में ये थी तीन कड़ियों की श्रृंखला की आखिरी कड़ी। आशा है आपको ये प्रयास पसंद आया होगा।
vakai kamal hai...kai jagaho ki murtikala ke baare mai apne bata bhi diya aur dikha bhi diya...
जवाब देंहटाएंvery nice...
सचमुच कमाल का कलेक्शन है मनीष जी। भाई वाह।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
घूम आये कोलकाता. अब किसी का कम्प्लेन आया कि क्यों नहीं आ रहे हो पूजा में तो बोल दूंगा मनीष भाई घर बैठे ही घुमा देते हैं :)
जवाब देंहटाएंमूर्तियों की विभिन्न शैलियों के बारे में नहीं पता था. लगा पंडाल ही अलग अलग तरह के बनते है. बढ़िया पोस्ट.
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार।
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ये तो बहुत ही आसान पहेली है?
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।
बहुत ही उम्दा सचित्र प्रस्तुति . काफी कुछ जानने का मौका मिला .....
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
जवाब देंहटाएंआँखों पर विश्वास ही नहीं होता...कमाल की कला कारी...अद्भुत...वाह...
जवाब देंहटाएंनीरज
जानकर खुशी हुई कि बंगाल की इस कला को आप सब ने भी पसंद किया।
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