पर आजकल ज़माना बदल गया है। कम से कम इस चित्र से तो यही लगता है जिसमें कछुए आपस में एक दूसरे से आगे बढ़ने के लिए दौड़ लगा रहे हैं।
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आज की इस चित्र पहेली में आपको बताना बस इतना है कि ये माज़रा क्या है और ये दृश्य भारत के किस समुद्री तट पर देखा जा सकता है? हमेशा की तरह आपके कमेंट मॉडरेशन में रखे जाएँगे। सही जवाब नहीं आने की सूरत में इसी पोस्ट पर संकेत दिए जाएँगे।
तो आइए विस्तार से समझा जाए इस दौड़ के पीछे की कहानी को
भितरकनिका के अपने यात्रा विवरण के आखिरी भाग में मैंने जिक्र किया था इकाकुला (Ekakula) के समुद्र तट का और ये भी कहा था कि सुबह सुबह अगर आप इकाकुला के तट से चहलक़दमी करना शुरु करें तो करीब एक सवा घंटा के बाद वैसे ही एक सुंदर समुद्री तट तक पहुँच जाएँगे। ये समुद्र तट कोई और नहीं गाहिरमाथा का समुद्र तट है जो कि विलुप्तप्राय ओलाइव रिडले प्रजाति के कछुओं द्वारा अंडा देने की एक प्रमुख जगह है। कहते हैं कि इस प्रजाति के कछुए यहाँ हजारों वर्षों से अंडे देते आ रहे हैं पर कुछ दशकों पहले ही इसके संरक्षण में लगे लोगों की इस पर नज़र पड़ी। १९९७ में गाहिरमाथा के इस इलाके को मेरीन शरण स्थल का नाम दिया गया।
अचरज की बात ये है कि ये कछुए श्रीलंका के तटीय इलाकों से लगभग हजार किमी की दूरी उत्तर दिशा में तय कर, अपने पूरे समूह के साथ गाहिरमाथा पहुँचते हैं। इनके गाहिरमाथा में आगमन नवंबर से शुरु हो जाता है और तीन चार महिने चलता है। गाहिरमाथा समुद्री तट तक पहुँचने के कुछ पूर्व ही सहवास की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। तट पर पहुँचते ही मादा कछुओं द्वारा अंडे देने की इच्छा इतनी तीव्र होती है कि हजारों की संख्या में तट पर सही स्थान ढूँढने के लिए समु्द्र से निकलकर तेजी से बढ़ती हैं। अक्सर ये समय रात्रि का होता है जैसा कि आप इस पहेली में पूछे गए चित्र में देख सकते हैं..
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एक बार में एक मादा कछुआ 100 से 180 अंडे तक देती हैं। समु्द्र तट के बालू में करीब 45 cm का गढ़्ढा बनाने और अंडा दे कर वापस समुद्र में जाने में ये एक घंटे से भी कम का समय लेती हैं। कभी कभी जगह के लिए इतनी मारामारी होती है की खुदाई में दूसरी मादा के अंडे बाहर निकल जाते हैं और बिना निषेचित हुए ही रह जाते हैं। अंग्रेजी में इन्हें Doomed Eggs कहा जाता है।
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सूर्य की गर्मी से तपते इन अंडों को निषेचित होने में करीब दो महिनों का समय लगता है। अंडों के कवच से निकलते बच्चे तेजी से समुद्र की धाराओं की और रुख करते हैं। समुद्र की ओर जाने की तेजी का ये दृश्य भी भगदड़ वाला ही होता है। और तो और समुद्र में रहने वाले इनके शिकारी घात लगाकर इनका इंतजार करते हैं। नतीजन मात्र हजार बच्चों में एक ही बच्चा नई जिंदगी का सफ़र शुरु कर पाता है।
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गाहिरमाथा के पास ही धामरा में उड़ीसा को दूसरा बंदरगाह बनाया जा रहा है। इन सभी चित्रों को आप तक मैं ला पाया हूँ धामरा पोर्ट कंपनी लिमिटेड (DPCL) के सौजन्य से। इनके जालपृष्ठ पर आप ओलाइव रिडले (Olive Ridley) कछुओं की गाहिरमाथा समुद्रतट पर खींची गई अन्य तसवीरें भी देख सकते हैं।
किसने दिया सही जवाब ?
इस बार की पहेली का सबसे पहले सही जवाब दिया संजय व्यास ने। पर जगह का सही नाम बताने में सिर्फ अरविंद मिश्रा जी ही सफल रहे। संजय और अरविंद मिश्रा जी को हार्दिक बधाइयाँ । बाकी लोगों का अनुमान लगाने और अपनी प्रतिक्रियाएँ देने के लिए हार्दिक आभार।