भितरकनिका उड़िया के दो शब्दों से मिलकर बना है। भितर यानि अंदरुनी और कनिका यानि बेहद रमणीक। केन्द्रपाड़ा (Kendrapada) जिले में अवस्थित ये राष्ट्रीय उद्यान अपनी दो विशेषताओं के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। एक तो सुंदरवन के बाद ये देश के सबसे बड़े मैनग्रोव के जंगलों को समेटे हुए है और दूसरी ये कि भारत में नमकीन पानी में रहने वाले मगरमच्छों की सबसे बड़ी आबादी यहीं निवास करती है।
मेरी ये यात्रा पिछली दुर्गा पूजा और दशहरा की छुट्टियों की है। मैं तब उस वक्त भुवनेश्वर गया था। वहीं से भितरकनिका जाने का कार्यक्रम बना। हमारा कुनबा करीब सवा दस बजे भुवनेश्वर से निकला। हमें भुवनेश्वर से कटक होते हुए केन्द्रपाड़ा की ओर निकलना था। भुवनेश्वर और फिर कटक की सड़्कों पर दुर्गापूजा की गहमागहमी थी पर कंधमाल की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं और हाल ही में आई बाढ़ ने माहौल अपेक्षाकृत फीका अवश्य कर दिया था।
भुवनेश्वर से केन्द्रपाड़ा करीब ७५ किमी दूरी पर है अगर आप कटक से जगतपुर वाले राज्य राजमार्ग से जाएँ। पर हमने केन्द्रपाड़ा जाने का थोड़ा लंबा रास्ता लिया।
कटक से चंडीखोल होते हुए हमने पारादीप (Paradip) की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग ५ (NH- 5) की राह पकड़ ली। चार लेनों की चौड़ाई वाले इस राजमार्ग पर आप अपनी गाड़ी बिना किसी तनाव के सरपट भगा सकते हैं।
कटक से चंडीखोल होते हुए हमने पारादीप (Paradip) की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग ५ (NH- 5) की राह पकड़ ली। चार लेनों की चौड़ाई वाले इस राजमार्ग पर आप अपनी गाड़ी बिना किसी तनाव के सरपट भगा सकते हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर के दृश्य बिल्कुल विपरीत प्रकृति के थे। एक ओर तो धान की लहलहाती फसल दिखाई दे रही थी...
तो दूसरी ओर दो महिने पहले आई बाढ़ की वज़ह से उजड़ी फसलों का मंज़र दिख रहा था।
हम लोग तो बारह बजे के करीब केन्द्रपाड़ा पहुँच गए पर हमारे समूह के ही एक और सदस्य जो दूसरे रास्ते से हमें केन्द्रपाड़ा में मिलने वाले थे, सिंगल लेन रोड और भीड़ भाड़ की वज़ह से जल्दी पहुँचने की बजाए देर से पहुँचे। लिहाज़ा दिन का भोजन और थोड़ा विश्राम करने के बाद हमें केन्द्रपाड़ा से निकलते निकलते सवा दो बज गए।
हमारा अगला पड़ाव राजनगर (Rajnagar) था जो कि भितरकनिका जाने का प्रवेशद्वार है। केन्द्रपाड़ा और राजनगर के बीच की दूरी करीब ७० किमी है। इन दोनों के बीच
पतामुन्दई (Patamundai) का छोटा सा कस्बा आता है। ये पूरी सड़क एक लेन वाली है और फिर त्योहार की गहमागहमी अलग से थी इसलिए चाहकर भी अपने गंतव्य तक जल्दी नहीं पहुँचा जा सकता था। हर पाँच छः गाँवों को पार करते ही एक मेला नज़र आ जाता था। गाँव के मेलों की रौनक कुछ और ही होती है... थोड़ी सी जगह में तरह तरह की वस्तुएँ बेचते फुटकर विक्रेता और रंग बिरंगी पोशाकों में उमड़ा जन समुदाय जो शायद एक साल से इन मेलों की प्रतीक्षा में हो।
पतामुन्दई (Patamundai) का छोटा सा कस्बा आता है। ये पूरी सड़क एक लेन वाली है और फिर त्योहार की गहमागहमी अलग से थी इसलिए चाहकर भी अपने गंतव्य तक जल्दी नहीं पहुँचा जा सकता था। हर पाँच छः गाँवों को पार करते ही एक मेला नज़र आ जाता था। गाँव के मेलों की रौनक कुछ और ही होती है... थोड़ी सी जगह में तरह तरह की वस्तुएँ बेचते फुटकर विक्रेता और रंग बिरंगी पोशाकों में उमड़ा जन समुदाय जो शायद एक साल से इन मेलों की प्रतीक्षा में हो।
राँची और कटक की दुर्गापूजा से अलग जगह जगह दुर्गा के आलावा शिव पार्वती, लक्ष्मी और हनुमान जी की भी मूर्तियाँ मंडप में सजी दिखाई पड़ीं। बाद में पता चला कि इस इलाके का ये सबसे बड़ा त्योहार है और इसे यहाँ गजलक्ष्मी पूजा (Gajlakshmi Puja) कहा जाता है।
राजनगर से आगे हमें गुप्ती तक जाना था जहाँ से रोड का रास्ता खत्म होता है और पानी का सफ़र शुरु होता है। हरे भरे धान के खेत अब भी दिखाई दे रहे थे। गुप्ती के ठीक पहले कुछ किमी मछुआरों के गाँव के बीच से गुजरना पड़ा। वहीं एक झोपड़ी में सौर उर्जा का प्रयोग करती ये झोपड़ी भी दिखाई दी तो देख कर सुखद संतोष हुआ कि इन भीतरी इलाकों पर भी सरकार की नज़र है।
ठीक वार बजे हम गुप्ती के चेक पोस्ट पर थे। और ये साइनबोर्ड हमारा चेक पोस्ट पर स्वागत कर रहा था
अगले दो घंटे का सफ़र डेल्टाई क्षेत्र की कभी संकरी तो कभी चौड़ी जलधाराओं के बीच बीता। अगली पोस्ट पर आपको मिलवाएँगे पानी और जंगल में रहने वाले कुछ बाशिंदों से और साथ ही देखना ना भूलिएगा एक दृश्य जो हमारे इस सफ़र का सबसे बेहतरीन स्मृतिचिन्ह रहा।
चित्रों ने समाँ बाँध दिया
जवाब देंहटाएंअगली पोस्ट का इंतज़ार
बी एस पाबला
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंDhanywaad kahan chahunga manish ji..
जवाब देंहटाएंjab yah post padhata hoon to lagata hai sach me aap ke sath sath main bhi prktriti ke adbhut najaro ka shair kar raha hoon..
बहुत ही बढिया लगा भुवनेश्वर और राष्ट्रिय उध्यान की सफर अतिसुन्दर ......कमाल की प्रस्तुति ....अगले पोस्ट का इंतजार रहेगा
जवाब देंहटाएंWaiting for the next post :D The first picture is quite beautiful.
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी..अगली पोस्ट का तीव्रता से इंतज़ार है...
जवाब देंहटाएंनीरज
अगली पोस्ट का जिक्र ही रोचकता बढा दे गया. इस पूजा में कहाँ का प्लान है?
जवाब देंहटाएंvery live reporting ! pleasant post !
जवाब देंहटाएंयह सैर-सपाटा भी ख़ूब रहा, आगे ज़रूर लिखें
जवाब देंहटाएं---
तकनीक दृष्टा
lekhen aur pictures dono hi bahut khub rahe...
जवाब देंहटाएंagli post kab laga rahe ho...zyada intzaar nahi karwana...
Waiting for your next post, you've narrated it well.
जवाब देंहटाएंHave added you on my reader.