समुद्र तट तो कई देखे हैं पर कुछ तट अपनी विशिष्टता के कारण स्मृतियों से कभी ज्यादा दूर नहीं जा पाते। आज से करीब दस-बारह साल पहले की बात है। हम सड़क मार्ग से जमशेदपुर से भुवनेश्वर जा रहे थे। जमशेदपुर से भुवनेश्वर करीब ४०० किमी दूरी पर है। हम दिन में चार बजे के आस पास जमशेदपुर से निकले थे। जब घाटशिला से झारखंड की सीमा पार कर ओड़ीसा के मयूरभंज जिले के मुख्यालय बारीपदा को पार करते हुए बालेश्वर (Baleshwar) या बालासोर (Balasore) तक पहुँचे तब तक रात्रि के आठ बज चुके थे।
बालासोर से १४ किमी दूर ही चाँदीपुर का समुद्र तट (Chandipur Sea Beach) है। तब तक चाँदीपुर के बारे में मैं यही जानता था कि यहाँ एक मिसाइल टेस्ट रेंज है। हम लोग जब रात को गेस्ट हाउस में भोजन कर रहे थे तो बगल से समुद्री लहरों की आती गर्जना स्पष्ट सुनाई पड़ रही थी। पर सफ़र की थकान की वज़ह से हम तुरंत ही समुद्र तट को नहीं देख पाए।
सुबह साढ़े छः पौने सात बजे के बीच जब समुद्र की ओर निकले तो दूर-दूर तक समुद्र का कोई सुराग ना था। वहाँ जाने पर ये तो लोगों ने बताया था कि समुद्र भाटे यानि लो टाइड (Low Tide) होने के समय दूर चला जाता है पर यहाँ तो जितनी दूर तक नज़र जाती थी, पानी का नामो निशान ही नहीं दिखता था।
(इस चित्र के छायाकार हैं : टोटन )
पर हमने भी ठान लिया कि समुद्र देख कर ही आगे की यात्रा शुरु करेंगे। सो समुद्र के अंदर ही सुबह की सैर (Morning Walk) शुरु कर दी। क्या आप यकीन करेंगे कि करीब २० मिनट समुद्र के अंदर चलने के बाद हमें समुद्र के दर्शन हुए ? समुद्र की धारा अभी भी 50-100 मीटर और दूर थी। हम थोड़ी देर वहीं खड़े रहे तो ऐसा लगा कि समुद्र हमारी तरफ चला आ रहा है। पास खड़े स्थानीय निवासी से पूछा तो उसने कहा कि आधे घंटे में आप लोग जहाँ से चले थे लहरें वहाँ तक पहुँच जाएँगी।
ये सुनकर हमें लगा कि अब ज्यादा देर किए बिना तेजी से वापस लौटना चाहिए। हम चलते रहे और समुद्र करीब 100 मीटर की दूरी पर पीछे-पीछे आता रहा और सचमुच आधे घंटे में वो वापस किनारे पर आ गया। लेकिन उसके दस मिनट पहले ही हम वापस किनारे का दामन थाम चुके थे।
बाद में पता चला कि समुद्र लो टाइड के समय तट से लहभग ५ किमी. तक पीछे चला जाता है। छिछले समुद्र तट पर घूमने में आपको तरह तरह के समुदी जीवों को देखने का अवसर मिलता है और फिर पाँच किमी के दायरे में घूमते वक़्त कुछ नए जीव आपके कदमों के इर्द गिर्द अपने घरों से झांकते नज़र ना आएँ ऍसा हो नहीं सकता। बंगाल की खाड़ी में होते सूर्योदय और सूर्यास्त को यहाँ से देखना भी एक अविस्मरणीय अनुभव है जिसका आनंद हमारा समूह नहीं ले पाया क्योंकि हमें आगे भुवनेश्वर की ओर जाना था। तो जब कभी उड़ीसा की ओर घूमने का मन बनाए चाँदीपुर का भी चक्कर लगाएँ। यहाँ रहने के लिए उड़ीसा पर्यटन के पंथनिवास से संपर्क कर सकते हैं।
ये सुनकर हमें लगा कि अब ज्यादा देर किए बिना तेजी से वापस लौटना चाहिए। हम चलते रहे और समुद्र करीब 100 मीटर की दूरी पर पीछे-पीछे आता रहा और सचमुच आधे घंटे में वो वापस किनारे पर आ गया। लेकिन उसके दस मिनट पहले ही हम वापस किनारे का दामन थाम चुके थे।
बाद में पता चला कि समुद्र लो टाइड के समय तट से लहभग ५ किमी. तक पीछे चला जाता है। छिछले समुद्र तट पर घूमने में आपको तरह तरह के समुदी जीवों को देखने का अवसर मिलता है और फिर पाँच किमी के दायरे में घूमते वक़्त कुछ नए जीव आपके कदमों के इर्द गिर्द अपने घरों से झांकते नज़र ना आएँ ऍसा हो नहीं सकता। बंगाल की खाड़ी में होते सूर्योदय और सूर्यास्त को यहाँ से देखना भी एक अविस्मरणीय अनुभव है जिसका आनंद हमारा समूह नहीं ले पाया क्योंकि हमें आगे भुवनेश्वर की ओर जाना था। तो जब कभी उड़ीसा की ओर घूमने का मन बनाए चाँदीपुर का भी चक्कर लगाएँ। यहाँ रहने के लिए उड़ीसा पर्यटन के पंथनिवास से संपर्क कर सकते हैं।
पुनःश्च : इस यात्रा के पश्चात चाँदीपुर दोबारा भी जाना हुआ। इस यात्रा में इस समुद्र तट को बेहद करीब और तबियत से खींचने का मौका मिला। समुद्र तट के कई दिलकश मंज़र मेरे कैमरे में क़ैद हुए। पूरे विवरण के लिए इन लिंकों को देखें..
bahut sahas bhari romanchkari yatra..
जवाब देंहटाएंhame to padh kar hi bahut achcha laga aapne dekha hoga wo sabhi scene..kitana badhiya laga hoga..
Bahut Achha yatra vritant...aur utni hi sunder pictures...
जवाब देंहटाएंWhat a quaint phenomenon!
जवाब देंहटाएंमजा आ गया. आपने लिखा है की (छोटी इ की मात्रा) आप ८ बजे बालेश्वर पहुंचे थे. चांदीपुर पहुँचने का कोई उल्लेख नहीं है. आप जिस रेस्ट हाउस में रुके थे वह कहाँ था?
जवाब देंहटाएंवाकई दिलचस्प नजारा है ...ऐसे नजारे में फोटो खीचना याद रहना भी बड़ा मुश्किल है...आपको साधुवाद !
जवाब देंहटाएंसुब्रमनियन जी चाँदीपुर बालेश्वर या बालासोर से मात्र १४ किमी की दूरी पर है और वहाँ से आप चांदीपुर २० २५ मिनट में ही पहुँच जाते हैं। हम एक गेस्ट हाउस में रुके थे जो किसी ज़माने में मयूरभंज के राजा ने अपने लिए चाँदीपुर में बनाया था। पर उस गेस्ट हाउस की बाकी यादें अब धुंधली हो गई हैं।
जवाब देंहटाएंअनुराग इस पोस्ट में जो चित्र खींचे गए हैं उन्हें मैंने नहीं खींचा पर जिन्होंने भी इसे खींचा है वे वास्तव में बधाई के पात्र हैं।
बहुत रोचक है यह तो ..
जवाब देंहटाएंmanish ji,
जवाब देंहटाएंghoome to ham bhi bahut, maidan ke maidan dekhe, ufanati nadiyan dekhi, sookhe ilake bhi dekhe, hare-bhare or barfeele pahaad bhi dekhe lekin aaj tak samudr nahin dekha.
orrisa ka samudr kafi famous mana jata hai, kabhi lagana hi padega hi padega tour.
very interesting indeed!
जवाब देंहटाएंThanks Manish,
जवाब देंहटाएंI also got time to read , but reallising I am just back from Chandipur tat...
keep me taking along this way.....
An amazing beauty of nature- a jewel in the crown of Baleswar, a GOD made testing ground for military hardware, a paradise of pride for Odissa that boasts for being a singular base for missileS evaluation. The ebb and tide of the sea overwhelm the poetic imagination of the visitors and render them spellbound.This happens at Chandipore sea shore only. K.C.WALJEE
जवाब देंहटाएंYou are absolutely correct K C Waljee.
जवाब देंहटाएंintersting nazara he jab bhi kabhi jaayenge to jarur es ka luft uthayenge
जवाब देंहटाएंमें चांदीपुर से बहुत अच्छे से परिचित हूँ ,मेरे पति अग्नि मिसाइल प्रेक्षक गृह में श्री अब्दुल कलाम पूर्व राष्ट्र पति की सिक्यूरिटी के कारण वहां थे और Ito की जिम्मेवारी भी उनकी थी। बहुत सुन्दर जगह है समुन्द्र २ किलोमीटर तक पीछे चला जाता है ,पर उस इलाके में बहुत गरीबी है यह देख कर मन को दुःख था। मंजुल भटनागर
जवाब देंहटाएंमंजुल जी मैं दो बार चाँदीपुर गया हूँ। दूसरी बार DRDO के विश्रामगृह में ठहरा था। कमरे की बालकोनी से समुद्र के आगे और पीछे जाने का मंज़र देखा और फिर समुद्र में जाकर महसूस किया था। उस यात्रा के बारे में मैंने यहाँ लिखा था।
हटाएंhttp://travelwithmanish.blogspot.in/2011/08/1.html
रही गरीबी की बात तो उड़ीसा, झारखंड, और बिहार जैसे राज्यों विकास और वार्षिक आय जैसे मानकों में शेष भारत से पीछे हैं ही। पर स्थिति में धीरे धीरे सुधार आ रहा है।