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यानि क्या चित्र में दिखने वाले क्या ये सचमुच के काले ऊँट हैं या माज़रा कुछ और है ? मुझे यकीं है कि अगर आप चित्र को ध्यान से देखेंगे तो सही उत्तर के पास पहुँच जाएँगे। हमेशा की तरह आपके जवाब और टिप्पणियाँ माडरेशन में रखे जाएँगे ताकि आप बिना किसी पूर्वाग्रह के अपना मत व्यक्त कर सकें। पहेली का सही उत्तर २१ मई की सुबह इसी पोस्ट में बताया जाएगा।
21.05.09
इस चित्र के छायाकार हैं जार्ज स्टीनमेत्ज (George Steinmetz)। कॉलेज के समय ही जार्ज को फोटोग्राफी का चस्का लग गया था। विभिन्न दूर दराज़ के इलाकों से गुजरने के बाद इनके मन में एक सपना रूप लेने लगा..सुनसान बियाबान प्रदेशों का ऊपर से चित्र लेने का। कई सालों बाद उन्होंने अपना ये स्वप्न साकार किया जब उनके पास मोटर चालित पाराग्लॉइडर आ गया। तबसे वो सहारा, अंटार्कटिका और दक्षिणी अमेरिका के दूर दराज़ के भू खंडों को अपनी पारा ग्लाइडिंग फोटोग्राफी का हिस्सा बना चुके हैं।
रही इस चित्र की बात तो कविता जी का उत्तर खुद बा खुद स्थिति को पूर्णतः स्पष्ट कर देता है...
जिन्हें आप काले ऊँट कह रहे हैं, वस्तुत: ऊँटों की छाया है। और असली ऊँट वे हैं, जो काली छायाओं के पैरों के नीचे नन्हें नन्हें सफ़ेद-से चिह्न सरीखे (बाल-पशु -से) प्रतीत होते दीख रहे हैं.कोई छेड़छाड़ नहीं की गई. केवल सूर्य की अफ़्रीका में ब्रह्मांडीय स्थिति और धरातल से छूते हुए, प्रकाश का एक समकोणीय दिशा से आना इतनी दीर्घाकार छायाओं के निर्माण का कारण बनता है।.....और चित्र एकदम ऊँटों के ऊपर ९०* से सीधे लिया गया है, जिसके कारण उनका नाप कतई नहीं दिखाई दे रहा परन्तु साईड में पड़ती छाया का आकार धरती पर फैला हुआ होने के कारण विस्तीर्ण दिखाई पड़ रहा है।
आप सब में से अधिकांश पाठक सही उत्तर दे पाए हैं या उसके करीब पहुँच पाएँ हैं। सबसे पहले चित्र की वस्तुस्थिति और कारणों के साथ उत्तर बताने के लिए प्रयास और बेहतरीन ढ़ंग से विश्लेषित करने के लिए कविता जी को हार्दिक बधाई।