सोमवार, 2 मार्च 2009

चलिए ले चलें आपको राष्ट्रीय खेल के लिए बन रहे रांची के मनोहारी स्टेडियमों की सैर पर

क्रिकेट और बैडमिंटन के आलावा जिंदगी में कोई आउटडोर गेम कभी गंभीरता से नहीं खेला। पर बचपन से सभी खेलों को उत्सुकता पूर्वक देखने या फिर सिर्फ रेडिओ से उसकी कमेंट्री सुनने का शौक अवश्य रहा है। १९८२ के एशियाड को देखने के लिए तो पड़ोसियों के घर टीवी के सामने घंटों दरीचों पर आसन जमाया करते थे। करीब उसी वक्त की बात हे कि पिताजी हमें दिल्ली घुमाने ले गए थे। शाम को घूमते घामते जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (Jawahar Lal Nehru Stadium) के बाहर से गुजरे तो फ्लडलाइट की दूधिया रोशनी की जगमगाहट अंदर से देखने की जिद पकड़ ली। उस वक्त वहाँ उद्घाटन समारोह की रिहर्सल चल रही थी।

गेट पर तैनात संतरी बिहार के किसी इलाके से था। तो ये बताने पर कि हम सब पटना से आए हैं, उसने अंदर जाने की इज़ाजत दे दी। सीढ़ियों से चढ़कर देखा गया स्टेडियम के अंदर का पहला दृश्य आज तक पूरे मन को रोमांच से भर देता है। बड़ा जगमगाता स्टेडियम, ऊपर से बौनौं की भांति दिखते कलाकार और पार्श्व से बजती पंडित रविशंकर की कोई धुन ...आज भी वो छवि दिल से निकलती नहीं है।

इसलिए जब रांची में राष्ट्रीय खेलों (National Games, Ranchi) की घोषणा हुई तो लगा कि वैसी आधारभूत संरचना को शायद अपने शहर में देखने का भी मौका मिले। पर झारखंड की सरकारी अकर्मण्यता का हाल ये है कि सरकारे बदलती गईं, नई नई तिथियों की घोषणा होती रही पर निर्माण कार्य बेहद मंथर गति से चलता रहा। आज हालात ये है कि फरवरी २००९ की डेडलाइन भी खत्म हो गई है और फिलहाल ये तिथि जून २००९ तक बढ़ा दी गई है। पर फिर भी जो कुछ बन पाया है आज उसकी सैर करने मैं रविवार की सुबह को निकल पड़ा और जो कैमरे में कैद हुआ वो आपके सामने है...


ये है नेशनल गेम्स के लिए बन रहा विशाल इनडोर स्टेडियम। ऊपरवाले की नीली छतरी के नीचे गहरे नीले रंग की स्टेडियम की छत आंखों को बेहद सुकून दे रही है ना ?


टेनिस स्टेडियम तो बनकर तैयार है पर क्या लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्जा जैसे खिलाड़ी इस कोर्ट की शोभा बढ़ाएँगे ?


और ये है यहाँ का तरणताल यानि स्विमिंग पूल, साथ में डाइविंग का भी अलग ताल बना है यहाँ


पर क्या आपने कभी सोचा है कि एक इनडोर स्टेडियम के बनने में कितने स्टकचरल मेमबर्स यानि ट्रस (Structural Members or Truss) की जरूरत पड़ती होगी ? अगर नहीं सोचा तो इस स्टेडियम की बनती हुई छत में ट्रसों के जाल को देखिए। हैरान रह गए ना !



और चलते चलते उसी जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम की तरह बनता राष्ट्रीय खेलों का ये मुख्य स्टेडियम। है ना खूबसूरत ?


6 टिप्‍पणियां:

  1. Aap lambe samay ke baad ghumane le jate hai... par jub bhi le jaate hai to bus maza hi aa jata hai...

    bahut achha...

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  2. बेनामीमार्च 02, 2009

    बहुत ही सुन्दर लग रहा है. आभार.

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  3. बेनामीमार्च 02, 2009

    वाह ! यह जानकारी तो अच्छी है | सरकार कोई भी हो, इन कार्यों में कभी बाधा नहीं आनी चाहिए |

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  4. आभार इस जानकारी एवं तस्वीरों के लिए.

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  5. इन चित्रो के लिये आप का धन्यवाद

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