शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2008

आइए देखें कितने आकर्षक थे इस साल राँची के दुर्गा पूजा पंडाल !

दुर्गा पूजा, पूर्वी भारत यानि बंगाल, बिहार, झारखंड एवमं उड़ीसा में सोल्लास मनाया जाने वाला त्योहार है। दिन क्या रात के दो बजे तक, मेरे शहर राँची में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ी पड़ती है। हर साल इस अवसर मैं आपको राँची की सड़्कों पर ले चलता हूँ , पर इस बार मैं पाँच अक्टूबर को ही राँची से भुवनेश्वर चला आया। पर ट्रेन पर चढ़ने के पहले राँची में बन रहे पंडालों का चक्कर मारने से खुद को रोक नही पाया।

राँची में पंडालों (Puja Pandals of Ranchi) को अक्सर देश के प्रसिद्ध मंदिरों की तर्ज़ पर बनाया जाता है। पंडालों की दीवारों पर अलग अलग तरीकों से मनमोहक कलाकृतियों को उकेरा जाता है।
तो आइए चलें थोड़ी देर से ही सही इस मुसाफ़िर के साथ पंडालों की सैर पर..



राजस्थान मित्र मंडल (Rajasthan Chitra Mandal) का पंडाल



पंडाल के अंदर की दीवारों पर अक्सर हमारी पौराणिक कथाओं से जुड़े चित्र को बनाया जाता है


और यहाँ देखें बाहरी दीवारों को मूँगफली के छिलके कैसी सुंदरता प्रदान कर रहे हैं......साथ ही प्रयोग किया गया है नारियल के रेशे का


और ये है हरमू रोड (Harmu Road) के पंडाल का नज़ारा, इस रोड की खासियत ये है कि हमारे धोनी साहब अपना नया मकान यहीं बना रहे हैं



और ये रहा सत्य अमर लोक का पंडाल जो मुझे सबसे खूबसूरत लगा। इस पंडाल को थाईलैंड (Thailand) के प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर का रूप दिया गया है।


पंडाल की दीवारें जूट के रेशों से की गई नक्काशियों से अटी पड़ीं थीं। आप भी देखिए...




और ये है राँची का सबसे बड़ा बकरी बाजार का पंडाल जहाँ इस साल पहाड़ं पर खड़े इस तिरुपति के बालाजी मंदिर की झांकी प्रस्तुत की गई थी..




और बँगला स्कूल में तो हर बार की तरह बच्चों का मन मोहने वाले आकर्षक पुतले बनाए जा रहे थे।


पर ये तो था दिन का दृश्य। समय की कमी की वज़ह से रातू रोड (Ratu Road) और कोकर (Kokar) के इलाकों में जाना नहीं हो पाया।अगर राँची की सड़कों पर रात में जगमगाते पंडालों और उस वक़्त के माहौल का अनुभव करना चाहते हों तो इन प्रविष्टियों पर क्लिक करें

मेरा दशहरा तो इस बार उड़ीसा के आंतरिक इलाकों की सैर करते बीता। आशा है आप सबने भी इस दशहरे और दुर्गा पूजा का सपरिवार आनंद उठाया होगा...

15 टिप्‍पणियां:

  1. वाह गुरु, पुराने दिन याद दिला दिए जब bike पर रात भर रांची घूमा जाता था.

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  2. बनाने वालों की मेहनत को सलाम! आपको धन्यवाद यहाँ चित्र दिखाने के लिए।
    - प्रेमलता पांडे

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  3. ab bataa rahey hain aap??..pehley chitr lagaaney the...hum bhi ghuum jaatey aakar...vaisey ek baargi khayaal aaya thaa..ki astami ko ranchi jaayaa jaye..

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  4. wow...बहुत खूब, बहुत शानदार, लेकिन हमारे कोलकाता से ज़्यादा शानदार नही हो सकते, यकीन नही आता ना , एक बार देख आईये....मान जायेंगे...दशहरा मुबारक

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  5. बढ़िया थे ...पर अपने गांगुली बाबु नाराज लग रहे है भाई ?

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  6. राँची पर बंग-प्रभाव काशी की तुलना में अधिक है और इसलिए मण्डप बेहतर-बेहतरीन हैं ।

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  7. इतना पेसा कर्च करते है हम लोग उस भगवान को खुश करने के लिये, अच्छा लगा, लेकिन अगर यही पेसा उस के भुखे बच्चो को पेट भरने के लिये दे दिया जाये तो वह ओर भी ज्यादा खुश होगा, मुझे इन सजावट मे श्राद्ध नही दिखती, बस एक दुकान दारी है...
    धन्यवाद

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  8. बड़े ही भव्य पंडाल लगे हैं भई..आपने दर्शन करा दिये, बहुत आभार.

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  9. हर साल बकरी बाजार का पंडाल देखने की सबसे ज्यादा इच्छा होती थी. इस साल आपने दिखा दिया धुक्रिया.

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  10. रख्शंदा जी वो तो मुझे भी मालूम है। ये कोलकाता के ही कारीगरों का ही कमाल है । कोलकाता तो इस पूजा का उद्गम श्रोत ही है।

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  11. बेहतरीन फोटो फीचर। जूट से बना पंडाल बेहद आकर्षक है। उन कलाकारों को प्रणाम।
    लेकिन राज भाई की बात अपनी जगह सही है।

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  12. Bhai yaad taza ho gayee. Hum to Vikas Vidyalay se raat ko School bus se ghoomne aate the. Raat bhr goom goom ke, Gol gappe khate huye pandal dekha karte the. aapne to beete huve din yaad dila diye. Bahut Bahut Dhanyavaad....

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