शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2008

मेरी उड़ीसा यात्रा भाग-४ :सफ़र चिल्का ( चिलिका ) झील का और कथा सफेद नकाबपोश सैनानियों की Chilka Lake Satpada

पुरी से चिल्का ( चिलिका ) झील का जो सिरा सबसे नजदीक पड़ता है उसका नाम सतपाड़ा (Satpada) है और ये पुरी से करीब ५० किमी दूरी पर है। सतपाड़ा पहुँचने में अपनी गाड़ी में बमुश्किल सवा घंटे लगते हैं। हाँ, सामान्य बस से यही दूरी तय करनें में एक घंटा तक ज्यादा लग सकता है। सफ़र का आधा हिस्सा पतली सड़क पर गाँवों और कस्बों के कच्चे पक्के घरों , खेत खलिहानों को देखते गुजरता है। सतपाड़ा से करीब 20 किमी पहले से रास्ता झील के पार्श्व जल के समानांतर चलता जाता है।

सतपाड़ा से नौकाएँ बंगाल की खाड़ी के मुहाने तक जाती हैं जो कि वहाँ से करीब छः किमी की दूरी पर है। कहते हैं एक ज़माने में चिलका के इसी हिस्से से सुदूर पूर्व तक व्यापार होता था। ऍसे तो चिलका की विशाल झील में बोटिंग करने का अनुभव अपने आप में बेहद सुकून देने वाला है पर चिलका का सौ्दर्य तब और भी खिल उठता है जब तेज सर्दियों में इसके विशिष्ट अतिथि इसकी दूर-दूर तक फैली हल्की हरी चादर पर पनाह लेने के लिए आते हैं।

जी हाँ, मैं उन्हीं साइबेरियन क्रेन (Siberian Crane), फ्लेमिंगो (Flemingo) की बात कर रहा हूँ जो रूस और मध्य एशिया की बर्फीली सर्दियों से बचने के लिए दिसंबर से मार्च तक अपना डेरा डालते हैं। उस वक्त सारी झील सफेद सी परत लिये दिखती है। यहाँ के स्थानीय निवासी इन पक्षियों के बारे में बड़ी रोचक कथा सुनाते हैं।

कहा जाता है कि पहली बार जब ब्रिटिश फौजों ने इस रास्ते से उड़ीसा की मुख्यभूमि पर हमला बोलने की सोची तो उन्हें ऊँचे-ऊँचे सफेद वर्दी पहने सैनिकों की कतार दिखाई पड़ी और वो घबरा कर वापस चले आए। ये सफेद नकाबपोश और कोई नहीं ये दूर से आने वाले पक्षी(Migratory Birds) ही थे।:)

खैर हम ये दृश्य देखने से वंचित रह गए क्योंकि नवंबर के महिने में झील में इन पंछियों ने आना शुरु ही किया था। फिर भी दूरदराज में इनकी झलक मिलती रही। नाव के पार्श्व में जो सफेद हल्की लकीर देख रहें हैं आप, वे पक्षी ही हैं:)।

सतपाड़ा से सी-माउथ (Sea Mouth) यानि समुद्री मुहाने के रास्ते में दोनों ओर नारियल के झुंडों के बीच बसे छोटे-छोटे गाँव नज़र आ रहे थे। प्रसिद्ध भारतीय नृत्यांगना सोनल मान सिंह (Sonal Man Singh) इसी मिट्टी की उपज हैं। ज्यादातर गाँव मछुआरों के हैं।
पर्यटकों को इस यात्रा में डॉलफिन के दर्शन कराने की बात कही जाती है। पर इससे आप वैसी डॉलफिन ना समझ लीजिएगा जिसके करतबों का मुज़ाहरा आप अक्सर टीवी के पर्दों पर विदेशी फुटेज में देखते आए हैं। चिलका की डॉलफिन (Dolphin) पालतू ना होकर प्राकृतिक हैं और मछुआरों द्वारा बिछाए जालों के आस पास मछलियों का शिकार करने के लिए उछलती रहती हैं।

अब ये नज़ारा जब हमें देखने को मिला और दो-दो कैमरों से इनकी तसवीरें लेने की पुरज़ोर कोशिश की। पर इनकी छलाँग में सेकेंड के कुछ हिस्से में ही ये सतह के ऊपरी हिस्से पर दिखती हैं और उसी समय आपको कैमरे का ट्रिगर दबाना होता है। और क्या आप यकीन करेंगे की हमारे सम्मिलित पंद्रह प्रयासों में से एक में ये डॉलफिन क़ैद की जा सकी, वो भी ऍसी जिसमें सामने वाले को बताना पड़े कि ये डॉलफिन है।:)

समुद्री मुहाने पर हम करीब एक घंटे रुके। समुद्र और झील के बीच रेत का एक बड़ा हिस्सा फैला हुआ है। बारिश के समय चिलका झील जब अपने अधिकतम विस्तार पर होती है तब ये देश के सबसे बड़े मीठे पानी की झील बन जाती है जबकि बाकी समय में समुद्र की ओर से आता जल इसे नमकीन बना देते हैं।

चिलका में पाया जाने वाला झींगा बड़ा ही स्वादिष्ट होता है। अब ये मैं अपने नहीं बल्कि अपने सहयात्री के अनुभवों से बता रहा हूँ जिन्होंने वापस लौटते समय दिन के भोजन में इसका भरपूर आनंद लिया। वैसे तो अगर समय हो तो चिलका में एक रात गुजारने से यहाँ के रमणीक सूर्यास्त और सूर्योदय का दृश्य देखा जा सकता है पर हमें शाम को जगन्नाथ मंदिर के दर्शन भी करने थे इसलिए सूर्यास्त के पहले हम पुरी लौट आए।

यात्रा के अगले हिस्से में चलेंगे कोणार्क मंदिर (Konark temple) के सफ़र पर और दिखाएँगे आपको चंद्रभागा तट (Chandrabhaga Beach) की एक झांकी....

इस श्रृंखला की पिछली कड़ियाँ
  1. सफर राँची से राउरकेला होते हुए पुरी तक का
  2. पुरी का समुद्र तट क्यूँ है इतना खास ?
  3. पुरी का सूर्योदय और वो सुबह का समुद्री स्नान

12 टिप्‍पणियां:

  1. मजा आ गया पढ कर। बहुत अच्छा लिखा है आपने।

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  2. बहुत सुंदर ..बढ़िया लिखा है आपने ..पुरी सच में बहुत अच्छी जगह है

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  3. एक बार फ़िर .......फोटो का जादू ....बिखेर दिया

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  4. बहुत ही रोचक फ़ोटो के साथ ओर भी ज्यादा अच्छा लगा , धन्यवाद

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  5. चिल्का घुमाने का शुक्रिया वो भी इतनी अच्छी तरह से...मजा आ गया...इन्तेजार है कोणार्क सूर्य मन्दिर की यात्रा का...
    नीरज

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  6. thanx for a nice post. i couldn't visit chilka and i'll try visiting it in february.

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  7. thanx for a nice post. i couldn't visit chilka and i'll try visiting it in february.

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  8. क्या चिलका में ठहरनें की अच्छी व्यवस्था है..?? अगर हो तो जरुर हम यहां रुकना चाहेंगे..
    झील से होटल कितनी दूरी पे मिल सकती है ताकि सुर्योदय से पहले जल्दी से पहुंचा जा सके..?

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    1. सारे होटल झील के आस पास ही हैं पर हम होटल में नहीं रुके थे

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  9. Bahut Badhiya lekh Manish Bhai. Wahan jaane ka sabse uttam samay December se March hi hai ya kisi aur mausam mein bhi wahan aanand liya ja sakta hai ?

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    1. हाँ बिल्कुल दिसम्बर से मार्च क्यूँकि इस वक़्त पक्षियों की संख्या बढ़ जाती है। जनवरी के आस पास आप कछुए के अंडे देने की प्रक्रिया भी देख सकते हैं।

      वैसे मौसम के हिसाब से अक्टूबर और नवंबर भी सही समय है। हम इसी वक़्त गए थे।

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