पुरी में जन्मे सुदर्शन पटनायक ने सात साल की उम्र से ही पुरी के तट पर विभिन्न देवी देवताओं की तसवीरें बनानी शुरु कर दी थीं। अपने जाल पृष्ठ पर वो लिखते हैं कि शुरु शुरु में रेत पर उकेरे इन शक्लों में वो सजीवता नहीं थी। पर किसी गुरु के ना होने के बावजूद निरंतर अभ्यास और अपनी रचनात्मकता के बल पर, अपनी बालू के ऊपर शिल्प बनाने की कला को एक पेशेवर रूप देने में वो सफल रहे। सुदर्शन आज कल देश में घूम-घूम कर इस कला के प्रचार में जुटे हैं।
यूँ तो सुदर्शन ने पहले पहल देवी देवताओं की छवियों को ही बालू पर सजीव रूप प्रदान किया। पर बाद में उन्होंने देश दुनिया में हो रही हर गतिविधि पर अपनी पैनी नज़र रखते हुए अपने विषयों को चुना। पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, रेत पर ताज महल और यहाँ तक कि वर्ष २००६ में हुई विश्व कप फुटबाल का फाइनल पर उनके बनाए रेतशिल्प की चर्चा सारी दुनिया में हुई।
(सभी चित्र साभार सुदर्शन पटनायक के जाल पृष्ठ से)
मुझे तो इनमें से माँ दुर्गा का रूप सबसे ज्यादा पसंद आया और आपको?
सुदर्शन पटनायक के ये सभी शिल्प लाजवाब हैं। आपकी यात्रा में एक और सार्थक पक्ष जुड़ गया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कला चित्र हैं।नयी जानकारी के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंमुझे तो सारे अच्छे लगे... जटिलता देख के तो रेत होगा इस बात पर भरोसा ही नहीं होता... कमाल है.
जवाब देंहटाएंमुझे तो सांता क्लाज अच्छे लगे.
जवाब देंहटाएंसभी बहुत सुंदर है ।
जवाब देंहटाएंसब एक से बढ़कर एक ।
bahut hi shaandar hai..
जवाब देंहटाएंबड़ी गजब का कलाकृतियाँ है..नाम सुना था..आभार इन्हें प्रस्तुत करने का.
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद इतनी सारी जानकरी ओर सुन्दर चित्र दिखाने के लिये
जवाब देंहटाएंवाह भाई.... बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंपटनायक जी की कलाकारी तो हम इलाहबाद के अख़बारों में भी देखते रहते है इतने सरे पोस्टर एक साथ दिखलाने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवीनस केसरी
सुन्दर! क्या चित्र बनाते हैं। बहुत बहुत धन्यवाद इनको पेश करने के लिये।
जवाब देंहटाएंअहा!! मुझे तो सांता क्लाज फ़िर दूर्गा मां फ़िर गणेश जी फ़िर गांधी जी फ़िर ताज महल! यानि कि सब के सब! शुक्रिया!
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