राँची के तीन सबसे सुंदर पंडालों को दिखाने के बाद पंडाल परिक्रमा की इस आख़िरी कड़ी में आज बारी है बकरी बाजार और शेष उल्लेखनीय पंडालों की। राँची के सबसे बड़े पंडाल होने का गौरव बकरी बाजार के पंडाल को प्राप्त है। हालांकि मैंने अक्सर देखा है कि यहाँ पंडाल बाहर से जितना भव्य होता है अंदर से उतना कलात्मक नहीं होता।
इस बार यहाँ का पंडाल तीन मंदिरों को मिलाकर बनाया गया था। पहला मंदिर द्रविड़ शैली में गोपुरम के साथ था। जबकि दूसरा और तीसरा मंदिर गोथिक और नागर शैली में बनाया गया था।
सफेद रंग के पूरे मंदिर को अगर दिन में देखा जाए तो कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ता पर रात में जिस तरह से प्रकाश की सहायता से इसके रंगों को बदला जा रहा था वो वृंदावान के प्रेम मंदिर वाले माहौल तक पहुँचाने के लिए काफी था।
हरा, नीला, आसमानी, सुनहरा, गुलाबी, दूधिया मिनटों में ये मंदिर इस सतरंगी आभा से दर्शकों को लुभाता रहा।
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द्रविड़ शैली में बने पहले मंदिर का द्वार |
पंडाल केअंदर की साज सज्जा इस्कान के किसी मंदिर से ली गयी थी यानि इस बार यहाँ माँ दुर्गा कृष्ण के रंगों में रँगी हुई थीं।
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कृष्ण के रंग में डूबा माता का मंडप |
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दीवारों पर महाभारत और कृष्ण के जीवन प्रसंगों का चित्रण |
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पंडाल के मुख्य मंडप की छत |
तो इससे पहले कि मैं इस पंडाल परिक्रमा को समाप्त करूँ चलते चलते शहर के कुछ और नामी पंडालों की झलकें आपको दिखलाता चलूँ।
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सत्य अमर लोक का भूटानी मंदिर |
जब हम सत्य अमर लोक पहुँचे तो देखकर खुशी हुई कि पंडाल का उद्घाटन भारतीय हाकी खिलाड़ी असुंता लकड़ा और एशियाई खेलों में रजत पदक विजेता तीरंदाज मधुमिता कुमारी से कराया जा रहा है।
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चटाई, बांस और पुआल से बना हरमू पंच मंदिर का पंडाल |
वहीं राजस्थान मित्र मंडल के पंडाल में सुबोध कांत सहाय पूजा करते नज़र आए।
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राजस्थान मित्र मंडल का पंडाल |
ये रहा हमारी कालोनी का पंडाल तानि घर बिठाए बद्रीनाथ के दर्शन
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सेल टाउनशिप में बना बद्रीनाथ मंदिर |
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संग्राम क्लब में गंगा के मैली होने पर चिंता जताई गयी थी |
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अपर बाजार में कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाए जाने का प्रसंग दिखाया गया था। |
आशा है राँची की दुर्गा पूजा की ये झाँकी आपको पसंद आई होगी। अगले साल फिर इस पंडाल यात्रा में शामिल होना याद रखियेगा । अगर आपको मेरे साथ सफ़र करना पसंद है तो Facebook Page Twitter handle Instagram पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना ना भूलें।
राँची दुर्गा पूजा पंडाल परिक्रमा 2018
खूबसूरत। इस बार दुर्गा पूजा के लिए कोलकता गया था। अब अगली बार राँची आना पड़ेगा।
जवाब देंहटाएंदुर्गापूजा में एक बार कोलकाता और एक बार दुर्गापुर हो आया हूँ। नई नई सोच को फलीभूत करने में कोलकाता का जवाब नहीं। राँची की खासियत है कि छोटा शहर होने के लिए कम समय में यहाँ के सारे अच्छे पंडालों को देखा जा सकता है।
हटाएंदक्षिणी से उत्तरी कोलकाता तक पहुँचने जैसी घंटों की जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती़।
Beautiful ranchi... I love the decoration. sure next year i will visit there.
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