शनिवार, 20 अक्तूबर 2018

पंडाल परिक्रमा दुर्गा पूजा 2018 राँची : कैसे उतर आया बांग्ला स्कूल में स्वप्न लोक? Best Pandals of Durga Puja Ranchi 2018 Part - III

ज़रा सोचिए कि अचानक रातों रात आपको स्वप्न लोक में पहुँचा दिया जाए तो वो दुनिया कैसी होगी? आपका जायज़ सा सवाल होगा कि मैं तो यहाँ आपके साथ दुर्गा पूजा के इस पंडाल की झलक लेने आया था। आप मुझे स्वप्न लोक में क्यूँ ले जा रहे हैं। अब क्या बताएँ जब माँ का मंडप ही स्वप्न लोक के रास्ते में हो तो वहाँ जाना ही पड़ेगा ना।   

स्वप्न लोक का द्वार
इस बार इस स्वप्न लोक की रचना हुई थी ओसीसी क्लब द्वारा बांग्ला स्कूल में निर्मित पंडाल में। अब तक राँची के जितने पंडालों की आपको मैंने सैर कराई वो सब इंद्रषुनषी रंगों से सराबोर थे पर इस बार बिना चटख रंगों के खूबसूरती लाने की चुनौती ली थी ओसीसी क्लब के महारथियों ने। हालांकि जितनी उम्मीद थी उतना तो प्रभाव ये पंडाल नहीं छोड़ पाया पर बँधे बँधाए ढर्रे से कुछ अलग करने का उनका ये प्रयास निश्चय ही सराहनीय था।
राजहंसों का जोड़ा

भीड़ से घिरे पंडाल तक सिर्फ नीली दूधिया रौशनी फैली हुई थी। मुख्य द्वार के ऊपर फैली पतली चादर का डिजाइन ऐसा था मानो काली रात में आसमान में तारे टिमटिमा रहे हों। पंडाल के पास राजहंस का एक जोड़ा हमारा स्वागत कर रहा था। हंस को प्रेम से भरे पूरे पवित्र और विवेकी पक्षी के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये एक बार जब अपने साथी को चुन लेता है तो उसी के साथ सारा जीवन बिताता है। हंस के इन्हीं गुणों के कारण उन्हें इस पंडाल का प्रतीक बनाया गया था।
बहती नदी में तैरते फूलों का निरूपण



पंडाल को बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री में एक नवीनता ये थी कि राजहंस के पंखों को फैलाव देने के लिए यहाँ मच्छरदानी में प्रयोग होने वाले कपड़े का इस्तेमाल किया गया था।

सफेद और नीले रंग के मेल से बना पूरा पंडाल

सुंदर है ना ये राजहंस?

रहस्यमयी स्वप्नलोक का मन में भाव लाने के लिए पूरे पंडाल में सिर्फ सफेद और नीले रंग का प्रयोग हुआ था। सफेद प्लास्टिक में अलग अलग तरह के नमूने काटकर उन्हें नीली पृष्ठभूमि के ऊपर चिपका दिया गया था। बीच बीच में हर घुमावदार खंभे के साथ एक राजहंस पंडाल की आगवानी कर रहा था।
पंडाल में उमड़ी भीड़

सीप से बनी देवी की प्रतिमा
पंडाल के हल्के रंगों से मिलान के लिए दुर्गा माता की साज सज्जा गुलाबी, और सफेद रंगों से की गयी थी। माँ की प्रतिमा यहाँ सीप से बनाई गयी थी। रंगों का समावेश ऐसा था कि मन इस सुंदरता को देख शांत और निर्मल हो चला था।
देवी मंडप की सजावट
पंडाल से निकलते वक्त इस राजहंस से अपनी मुलाकात की यादें सँजो लीं और फिर हमने राह पकड़ी राँची के सबसे बड़े पंडाल बकरी बाजार की।




तो कैसा लगा आपको ये पंडाल? पंडाल परिक्रमा की चौथी और आख़िरी कड़ी  में मैं ले चलूँगा आपको  तीन अलग अलग स्थापत्य शैलियों से बने विशाल मंदिर में। अगर आपको मेरे साथ सफ़र करना पसंद है तो Facebook Page Twitter handle Instagram  पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना ना भूलें।

राँची दुर्गा पूजा पंडाल परिक्रमा 2018  

10 टिप्‍पणियां:

  1. कमाल का लेखन कमाल की तस्वीरें

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