गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017

दुर्गा पूजा पंडाल परिक्रमा : राँची के शानदार पंडाल Top Durga Puja Pandals of Ranchi Part II

पंडाल परिक्रमा का पहला चरण तो यहाँ आपने देख ही लिया होगा।  दुर्गा पूजा पंडाल परिक्रमा के अगले चरण में आपको लिए चलते हैं राँची रेलवे स्टेशन क पंडाल में। रांची रेलवे स्टेशन का पंडाल हर साल एक नए राज्य की संस्कृति पेश करता है। पिछले साल राजस्थान के बाद इस बार बारी थी ओड़ीसा व वहाँ के जगन्नाथ मंदिर की। 

ओड़ीसा की धार्मिक पहचान : बलराम, सुभद्रा और जगन्नाथ की तिकड़ी
कम ही लोगों को पता है कि उड़ीसा में आनेक ऐतिहासिक बौद्ध स्थल हैं जिनमें उदयगिरि, ललितगिरि और रत्नागिरि प्रमुख हैं। भुवनेश्वर के धौलागिरी से तो आपका परिचय होगा ही। प्राचीन वौद्ध संस्कृति से ओड़ीसा के जुड़ाव को व्यक्त करने के लिए पंडाल के सामने गौतम बुद्ध की प्रतिमा बनाई गयी थी।

उड़ीसा की बौद्ध विरासत को दर्शाती बुद्ध की प्रतिमा
पंडाल के मुख्य गलियारे में उड़ीसा के हस्तशिल्प और चित्रकला का प्रदर्शन किया गया था। मुख्य द्वार के ठीक पहले माँ दुर्गा की बालू पर एक छवि बनाई गयी थी। आपको पता ही होगा बालू पर चित्र उकेरने की कला को ओड़ीसा के नामी कलाकार सुर्दशन पटनायक ने देश विदेश में प्रसिद्धि दिलाई थी।
पंडाल का प्रवेश द्वार

मंदिर परिसर रुपी पंडाल में घुसते ही नज़र जाती है इस चमकते सिंह पर
सिंहद्वार की परिकल्पना को जीवित करता हुआ शेर मंदिर के प्रांगण के बीचो बीच बनाया गया था। एक ओर उड़िया लोगों के इष्ट देव जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को पुरी के उनके रूप में प्रतिष्ठित किया गया था तो दूसरी ओर कोणार्क के सूर्य मंदिर के रथचक्र का प्रदर्शन था।
कोणार्क का प्रतीक : रथ चक्र और नृत्यंगनाएँ
विद्युत सज्जा ऐसी थी कि प्रकाश सिर्फ देवी और उनके सहचरों के चेहरे पर पड़ रहा था। देवी को इस रूप में देख मन में स्वतः शांति का भाव आ जा रहा था।
माँ दुर्गा का भव्य रूप और निखर आया इस खूबसूरत प्रकाश सज्जा की वज़ह से
राजस्थान मित्र मंडल का पंडाल बकरी बाजार के पास झील से सट कर बनाया जाता है। कम जगह में होने के बावजूद यहाँ कोशिश होती है कि पंडाल के निर्माण में कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन हो। इस बार यहाँ पंडाल निर्माण में चटाई का प्रमुखता से उपयोग हुआ था। दुर्गा अपने नौ रूपों में पंडाल की दीवारों पर सजी थीं।

राजस्थान मित्र मंडल के पंडाल की छत पर बेहतरीन नक्काशी

चटाई से बनाया गया यहाँ का पंडाल



मूर्ति बनाने में यहाँ मोतियों का इस्तेमाल हुआ था। रात्रि में इन पंडालों को देखने के बावजूद कुछ पंडाल रह गए जहाँ अष्टमी के दिन मैं पहुँच पाया।

काँटाटोली का पंडाल
राँची के बस अड्डे के पास ही पड़ता है यहाँ का काँटाटोली चौक। इस चौक से पुरुलिया की ओर जाने वाली सड़क पर सजता है यहाँ का पंडाल जो कि छोटा भीम और मोटू पतलू के किरदारों को प्रदर्शित करने की वज़ह से बच्चों में खासा लोकप्रिय हुआ।
कार्टून और कलाकारी का अद्भुत संगम

 मोटू पतलू और छोटा भीम के किरदारों से सजी थीं यहाँ की दीवारें
बाँधगाड़ी का इलाका है राँची के नवनिर्मित खेलगाँव के पास। यहाँ बंगाल के बिष्णुपुर से आए किरदारों ने अपनी कलाकारी का कमाल दिखाया था। बिष्णुपुर के टेराकोटा मंदिरों की हाल ही में आपको यात्रा करा चका हूँ। उसी दोरान आपको वहाँ बने मिट्टी के खिलौनों और बांकुरा के घोड़ों से भी आपका परिचय कराया था। यहाँ मिट्टी के बने इन्हीं पुतलों को बाँस, जूट और भूसे से निर्मित पंडाल के साथ सजाया गया था।
बाँधगाड़ी में बिष्णुपुर के कारीगरों का कमाल देखते ही बनता था

यहाँ ऊँट की सवारी कर रहे थे मिट्टी के पुतले

बाँस, जूट और भूसे को मिलाकर बनाए गए विशाल पुतले

हाथी मेरे साथी


टेराकोटा की बनी देवी


संग्राम क्लब का ध्यान था इस बार घटती हरियाली की ओर

लकड़ी पर आकृतियाँ उकेरी गयी थीं यहाँ...
कचहरी के पास का संग्राम क्लब प्रकृति को नष्ट करने पर तुले मानवों को गिरते पेड़ों की व्यथा कथा सुना रहा था। पेड़ों पर मुँह की आकृति इतने बेहतरीन तरीके से बनी थी मानों पेड़ सचमुच रो रहे हों और अपनी मदद के लिए इंसानों को पुकार रहे हों।

जो कटते पेड़ों की व्यथा को प्रकट कर रही थीं।
तो ये थी इस साल राँची के दुर्गा पूजा पंडालों की सैर। पर मेरी पंडाल परिक्रमा अभी पूरी नहीं हुई है। अष्टमी की रात मैं राँची से दुर्गापुर पहुँच चुका था बंगाल की पूजा का स्वाद चखने। इस श्रंखला की अगली कड़ी में मेरा साथ करिएगा दुर्गापुर के पूजा पंडालों की परिक्रमा...

अगर आपको मेरे साथ सफ़र करना पसंद है तो फेसबुक पर मुसाफ़िर हूँ यारों के ब्लॉग पेज पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना ना भूलें। मेरे यात्रा वृत्तांतों से जुड़े स्थानों से संबंधित जानकारी या सवाल आप वहाँ रख सकते हैं।

दुर्गा पूजा पंडाल परिक्रमा Top Durga Puja pandals of 2017 

राँची के बेहतरीन पूजा पंडाल भाग 1
राँची के बेहतरीन पूजा पंडाल भाग 2
दुर्गापुर, बंगाल के बेहतरीन पूजा पंडाल

13 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया पंडाल की घुमक्कड़ी...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सालाना उत्सव है पूर्वी भारत का। नवरात्रों में पूरा शहर पंडाल परिक्रमा करता हुआ घुमक्कड़ बन जाता है।

      हटाएं
  2. खूब पंडाल घुमा देते हैं आप हर साल

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हाँ इस बार राँची के साथ साथ दुर्गापुर जो बंगाल का शहर है के पंडाल की भी खूबसूरती आपके समक्ध लाऊँगा।

      हटाएं
  3. बहुत खूबसूरत तसवीरें। इन्होने मुझे भी इन्हें देखने के लिए लालायित किया है। कोशिश रहेगी अगले साल ऐसी घुमक्कड़ी करने की। अगली कड़ी का इतंजार।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अवश्य पधारें। बंगाल और झारखंड में इस समय का माहौल देखने लायक होता है।

      हटाएं
  4. राजस्थान मित्र मण्डल का चटाई का पंडाल और छत की नक्काशी विशेष रूप से पसंद आयी..दुर्गापुर की सैर का इंतज़ार रहेगा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बिल्कुल पंडाल की अंदर की कारीगिरी वहाँ पंडाल के बाहरी स्वरूप से ज्यादा आकर्षक थी। बस अगले हफ्ते आपको दुर्गापुर ले चलूँगा।

      हटाएं
  5. A good deal of Pandal hopping Manish ji. Best was Vishnupur Pandal.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Hmm Ranchi always attracts artist from neighbouring parts of Bengal in generating new ideas for Pandal. After Ranchi I will take you to Durgapur in Bengal to complete my pandal parikrama.

      हटाएं
  6. बहुत कलात्मक और मनोरम कारीगरी - दर्शन कराने हेतु आभार !

    जवाब देंहटाएं