पिछले महीने आपको अपने ब्लॉग पर मैंने पेरिस की यात्रा करवाई और वहाँ से निकलते वक़्त मैंने लिखा था कि अब आपकी मुलाकात कराऊँगा यूरोप के एक ऐसे देश से जो निहायत ही खूबसूरत है। ये देश है स्विट्ज़रलैंड का। 40000 वर्ग किमी से कुछ ही ज्यादा ही इस देश का क्षेत्रफल, पर इसके ज़र्रे ज़र्रे में खूबसूरती बिखरी पड़ी है। कहने का मतलब ये कि ये एक ऐसा देश है जहाँ आँखों को तृप्त करने के लिए बिना किसी मंजिल के निकल पड़ना ही काफ़ी है ।
पेरिस से स्विट्ज़रलैंड की सीमा करीब 600 किमी की दूरी पर है। पेरिस के खेत खलिहानों और मैदानों से उलट स्विट्ज़रलैंड में घुसते ही पहाड़ियों, झीलों, चारागाहों और उनमें बसे छोटे छोटे गाँव का जो सिलसिला शुरु होता है वो थमने का नाम नहीं लेता। आठ घंटों की इस सड़क यात्रा में चलते चलते जो नज़ारे बस की खिड़की से दिखे उनमें से कुछ को क़ैद कर आपके सामने लाने की कोशिश है मेरी ये पोस्ट..
फ्रांस स्विट्ज़रलैंड की सीमा पर एक प्राचीन महल |
गोरी तेरा गाँव प्यारा मैं तो गया मारा आ के यहाँ रे.. |
जुते और बोए हुए खेतों के बीच से निकलती सड़क मन को हर गयी |
बड़ा सामान्य सा दृश्य है ये इस देश का कि आपको पहाड़, जंगल और मैदानों में... |
...बस एक अकेला छोटा सा घर सारी मिल्कियत सँभाले मिल जाएगा।. |
हमारे होटल के पास के मोहल्ले में बना प्यारा सा घर |
स्विस रेल बड़ी मशहूर है यूरोप में ! स्विट्ज़रलैंड को देखना हो तो इसका रेल पास लीजिए और फिर जितनी मर्जी जहाँ जाइए। पर भारत जैसी सस्ती रेल यात्रा की उम्मीद मत रखियेगा यहाँ पे। |
ऐल्प्स पर्वतमाला का एक बड़ा हिस्सा पड़ता है स्विट्ज़रलैंड में। वैसा सारा देश ही चोटी बड़ी पहाड़ियों से घिरा है। |
अब ऍसी वादियों के बीच अपना भी घर हो तो क्या कहने ! |
स्विट्ज़रलैंड की खूबसूरती में चार चाँद लगाती हैं यहाँ की झीलें। यहाँ के अधिकांश शहर व कस्बे इन झीलों के किनारे ही बसे हैं। |
पीछे हरी भरी पहाड़ियाँ और आगे झील का ये गहरा नीला शांत स्वच्छ जल.. इससे ज्यादा रूमानियत भरी जगह क्या हो सकती है? |
हरियाली प्यारी वाली |
ये तो बस इस देश में प्रवेश करते हुए बस की खिड़की से दिखती एक झांकी थी। स्विट्ज़रलैंड के दो शहरों के आलावा मुझे अपनी इस रोमांचक यात्रा में पर्वत की दो चोटियों तक पहुँचने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ले चलेंगे आपको वहाँ भी साथ बनाए रखिए.. और हाँ अगर आपको ये ब्लॉग पसंद है तो यहाँ अपनी राय दीजिएगा।
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आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया इस फोटो फीचर को ब्लॉग बुलेटिन में जगह देने के लिए।
हटाएंअगली कड़ी का इन्तजार है।
जवाब देंहटाएंदुर्गा पूजा से जुड़ी पोस्ट के साथ साथ स्विट्ज़रलैड की यात्रा ज़ारी रहेगी।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (29-09-2017) को
जवाब देंहटाएं"अब सौंप दिया है" (चर्चा अंक 2742)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार !
हटाएंवाह बढ़िया फोटो घुमक्कड़ी..स्विस alps की अगली कड़ी का इंतज़ार
जवाब देंहटाएंहाँ एल्पस पर्वत शिखर से दिखते नज़ारे आप तक लेकर आने का इरादा है। पर अगली दो तीन पोस्ट दुर्गा पूजा पंडाल परिक्रमा से जुड़ी होंगी।
हटाएंस्विटजरलैंड के प्रवेश द्वार तो अत्यन्त लुभावने हैं। किन्तु भारत क्या इससे कुछ कम है??
जवाब देंहटाएंहर जगह की अपनी विशिष्टताएँ होती हैं। मेरी समझ से दुनिया की कोई भी जगह एक दूसरे से पूरी नहीं मिल सकती। मैं इसलिए दो जगहों के बीच अच्छे बुरे की तुलना पर किसी टिप्पणी से बचता हूँ।
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