पेरिस शहर से जुड़ी पिछली कड़ियों में आपने इस शहर को मोनपारनास टॉवर और एफिल टॉवर की ऊँचाइयों से देखा। इस शहर में तमाम ऐतिहासिक इमारते हैं जो फ्रांस के गौरवशाली अतीत से हमें रूबरू कराती हैं। साथ ही वे इस बात की भी गवाही देती हैं कि ये शहर ग्रीक और रोमन स्थापत्य से कितना प्रभावित था। पेरिस शहर की खूबी ये है कि अगर आप एफिल टॉवर के आस पास ठहरते हैं तो इसके तमाम आकर्षण पैदल ही घूम सकते हैं बशर्ते 5 -6 किमी चलने का आपको अभ्यास हो। वैसे यहाँ मेट्रो, बस व यहाँ तक कि रिक्शे की भी अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
मैं पेरिस में दो दिन रुका था और इस दौरान मैंने बस और पैदल दोनों तरह से सफ़र करने का अनुभव लिया। सबसे पहले आपको लिए चलता हूँ लेज़नवालीद के सामने जिसका सुनहरा गुंबद और पूरे परिसर को आपने मोनपारनास टॉवर से देखा था। लेज़नवालीद एक काफी लंबा चौड़ा अहाता है जिसमें तमाम संग्रहालय हैं। एफिल टॉवर से सीन नदी के किनारे चलते हुए अगर आप Alexandre III के खूबसूरत पुल के पास पहुँचेगे तो पुल की दूसरी तरफ थोड़ी दूर पर ये विशाल इमारत दिखाई देगी। इसकि दाहिने सिरे पर जो संग्रहालय है उसके बाहरी चौहद्दी पर उद्यान के सामने थोड़े थोड़े अंतराल पर छोटी छोटी तोपें भी रखी गयी हैं।
लेज़नवालीद Les Invalides Paris |
पेरिस की संस्कृति में ओपेरा (Opera ) यानि वहाँ की विशिष्ट नृत्य नाटिका का कितना महत्त्व है ये तो सर्वविदित है। आपको जान कर ताज्जुब होगा कि नृत्य की ये विशिष्ट शैली करीब साढ़े चार सौ वर्ष पुरानी है। ओपेरा के जनक के रूप में Pierre Perrin का नाम लिया जाता है। सत्रहवीं शताब्दी में आम लोगों की ये मान्यता थी कि फ्रेंच भाषा कुछ ऐसी है कि उसका संगीत से जुड़ाव बड़ा मुश्किल है। पेरिन इस धारणा में बदलाव लाना चाहते थे और इसी कारण वे तत्कालीन सम्राट लुईस XIV से इस तरह की संस्था बनाने की अनुमति लेने गए। राजा की सहमति के अनुसार उन्हें बारह साल तक एक थियेटर चलाने की अनुमति दी गयी जिसमें ओपेरा के तौर तरीकों की शिक्षा के आलावा आम जनता के समक्ष उसके प्रदर्शन का भी प्रावधान रखा गया।
पहले ओपेरा के प्रदर्शन का अधिकार सिर्फ पेरिन को मिला पर वक़्त के साथ फ्रांस के अन्य शहरों में भी इस तरह के संस्थानों की नींव रखी गयी। राजकीय
संरक्षण की वजह से शुरुवात में इसका नाम रॉयल एकाडमी था जो फ्रांसिसी क्रांति
के बाद नेशनल एकाडमी रखा गया। आज की तारीख में ओपेरा का प्रदर्शन तो नए बने
थिएटर में होने लगा है पर फ्रांस के नृत्य बैले को यहाँ देखा जा सकता है।
नेशनल एकाडमी दि म्यूजिक Academic Musique Paris |
समयाभाव के कारण हम इस संस्थान के अंदर तो नहीं जा सके पर हमें बताया गया कि यहाँ दो हजार के करीब लोगों के बैठने की व्यवस्था है और मुख्य हॉल तक पहुँचाने वाला गलियारा अंदर से काफी भव्यता लिए हुए है। बाहर लगी प्रतिमाएँ जो ताम्बे और अन्य धातुओं के मिश्रण से बनी हैं यहाँ के कवियों और संगीतज्ञों को समर्पित हैं।
द्वितीय विस्व युद्ध की याद में बना एक शिल्प Memorial on walls of Passy Cemetry |
सीन नदी पर क्रूज |
अब सीन नदी की बात हो रही है तो उसके ऊपर बने सबसे खूबसूरत सेतु Alexandre III का जिक्र कैसे छूट सकता है। इसका ये नामाकरण रूस के तत्कालीन शासक के नाम पर रखा गया जिसने फ्रांस के साथ मैत्री संधि की थी। इस पुल को सन 1900 ई में विश्व मेले के दौरान पेरिस में बनवाया गया था। इन मेलों की परंपरा यूरोप में काफी पुरानी थी। ये मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ ऐसे ही एक मेले के आयोजन को आकर्षक बनाने के ख्याल से एफिल टॉवर का निर्माण किया गया था।
सीन नदी के ऊपर बना सबसे खूबसूरत सेतु Alexandre III |
मुझे अपनी पेरिस यात्रा के दौरान दो बार इस पुल के पास से गुजरने का मौका मिला। पुल के एक ओर तो Les Invalides है तो दूसरी ओर Champs Elysees का मशहूर राजमार्ग। इस पुल के निर्माण का समय फ्रांस के सांस्कृतिक और औद्यिगिक उत्थान का समय था। पुल पर आपको शेर, समुद्री जीव, मछलियों , प्रेम दूतों व योद्धाओं के कदम कदम पर शिल्प मिलेंगे। इन शिल्पों की सबसे खास बात मानवीय आकृतियों और भावों का हूबहू निरूपण है। इस मेहराबनुमा पुल के दोनों ओर दो दो स्तंभ हैं जो पुल के भार को वहन करते हैं।
Alexandre III पर बना एक स्तंभ |
फ्रांस के लिए Champs Elysees वही हैसियत रखता है जो भारत के लिए दिल्ली का राजपथ। इस सड़क का एक सिरा यहाँ के विजय स्मारक आर्क दी ट्रंप की ओर जाता है तो दूसरा मिश्र से लाए गए पुराने स्मारक की ओर। फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर लगभग दो किमी लंबी इस सड़क पर मिलिट्री परेड भी होती है। फ्रांस की मशहूर साइकिल रैली Tour de France का समाप्ति स्थल भी यही है।
पेरिस का राजपथ Champs Elysees |
आर्क दी ट्रंप पर 1814 के फ्रांससी प्रतिरोध को चित्रित करता शिल्प La Résistance |
आर्क दी ट्रंप से चलकर पेरिस के सबसे बड़े चौराहे Place de la Concorde तक पहुँचा जा सकता है। बीस एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र में फैले इस चौराहे का ऐतिहासिक महत्त्व है। एक ज़माने में यहाँ घोड़े पर सवार सम्राट लुइस XV की मूर्ति हुआ करती थी 1789 की फ्रांसिसी क्रांति के बाद लोगों ने इस मूर्ति को चौराहे पर लगी अन्य शाही मूर्तियों के साथ तोड़ डाला। तभी से इस लुइस चौक का पहली बार Place de la Concorde के रूप में नामाकरण किया गया। ये नाम क्रांति के बाद आपसी बातचीत के बाद एक समझौते के होने का प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल हुआ। आज इस चौराहे पर पुरानी इमारतों के आलावा फ़व्वारे और पत्थर से बना शंकुनुमा स्मारक है।
पेरिस का सबसे बड़े चौराहा : Place de la Concorde (चित्र को बड़ा कर के देखें ) |
चौराहे के उत्तरी सिरे पर सड़क पर सीधे चलते ही यहाँ का पुराना संत मेरी को समर्पित रोमन कैथालिक चर्च मिल जाता है इस इमारत का निर्माण दक्षिणी फ्रांस में स्थिन प्राचीन रोमन मंदिर की तर्ज पर हुआ। इस चर्च के चारों ओर 52 स्तंभ हैं जो बीस मीटर ऊँचे हैं।
रोमन कैथलिक चर्च : La Madeleine |
इस चौराहे से पेरिस घुमाने वाली खुली बस भी आपको मिल जाएगी। इसके रंग रूप को देखकर मेरा मन तो इसमें बैठने का तुरंत करने लगा पर हमारी बस तो अलग थी। सो मन मसोस कर रह गए। पेरिस में अगले दिन हमने एफिल टॉवर देखने के बाद वहीं से पैदल भ्रमण शुरु कर लूवर संग्रहालय की ओर रुख किया। कैसी रही वो यात्रा जानिएगा इस श्रंखला की अगली कड़ी में।
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ओपेरा नृत्य के बारे में जानकार अच्छा लगा..सारे हेरिटेज बिल्डिंग के फोटो अच्छे है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रतीक !
हटाएंपेरिस जैसे शहर का मोह छोड़ पाना मुश्किल लगता है। विदेशी शहरों के प्रतीक चिन्ह देखने मे बहुत आकर्षक लगता है।
जवाब देंहटाएंहाँ सही कह रही हो :)
हटाएंParis में घुमने के लिये सबसे अच्छा option day ticket है जो 7 euro में मिलती है और इसका उपयोग आप metro या bus में पूरे दिन इस्तेमाल कर सकते है . अगर आप group में है तो आप 10 ticket 14 euro में ले सकते है जो अलग लेने पर 19 euro लगेंगे . Metro बहुत ही सुविधाजनक है. इसके लिये आप metro app download कर लीजये और PARIS की सैर कीजिये .
जवाब देंहटाएंThanks for the info Sir. Now you can be called "Paris Expert"
हटाएंThis time we used all means of travel . We missed river cruise which is for 15 euros and it is for 1 hr and is worth it. The university area is a must place to visit and enjoy which is shown in many movies. It was very hot this time.
हटाएंCome to think of it the same Paris greeted us with chilling winds and rains. I still remember the coldest day we spent on top of Eiffel tower.
हटाएंI loved Paris so much.....nice article Manish ji
जवाब देंहटाएंHmmm I think I needed more time to appreciate the beauty and culture of this city. I skipped the Disneyland trip and was on my own on roads of Paris. The journey on foot from Eiffel to Louvre was tiring but still the chance to see Monalisa kept us going. More about that interesting part in my next article
हटाएंBahut Shaandaar !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंअच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंचौराहा और Alexandre सेतु की तस्वीर खूबसूरत लगी।
जवाब देंहटाएंजानकर प्रसन्नता हुई। :)
हटाएंपंद्रह वर्ष पुरानी यादों को जीवंत कर दिया। चूँकि तब मनीष फ्रांस में ही कार्यरत थे तो बड़ी फुरसतों से घुमा था। इन्ही दूर दिगंत के अनजाने स्थानों से परिचित होते होते ही आपसी परिचय भी घनिष्ठ समबन्धों की ओर बढ़ा था। तब जाना कि जैसे घुमक्कड़ी स्थानों के साथ अपनी भी खोज है, वैसे ही अपरिचित को परिचित और फिर स्नेहमय रिश्ता बनाना भी सिर्फ दुसरे को नहीं किन्तु अपने आपको जानना भी है।
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने। किसी जगह रहते हुए घूमने का आनंद ही अलग है। आप एक नए संसार, एक नयी संस्कृति व रहन सहन को समझते हैं महसूस करते हैं और बहुत कुछ सीखते भी हैं।
हटाएंमुझे ऐसा एक छोटा सा अवसर जापान में मिला था और इसीलिए वो देश आज भी यादों में गाहे बगाहे बार बार चला आता है।
Incredible pictures. Great blog shared. Thanks.
जवाब देंहटाएंThanks Nisha !
हटाएंghar baithe paris ki yatra karwa di apne waah bahut khoob
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपका।
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