मोनपारनास टॉवर की ऊँचाइयों को छू लेने के अगले दिन जब हम एफिल टॉवर की ओर बढ़े तो मन में ऐसा कोई उत्साह नहीं था। वैसे भी हम शहर में घुसते ही ट्रोकाडीरो और फिर मोनपारनास टॉवर से इस की झलक पा ही चुके थे। उत्साह की कमी की एक वज़ह यहाँ लगने वाली लोगों की लंबी कतारें थीं। इतनी दूर आकर अपना कीमती समय पंक्ति में लग कर बर्बाद करना मुझे ऐसी जगहो से दूर खींचता है। पर एफिल टॉवर ना जाना तो ऐसा ही है जैसे कोई आगरे जा कर भी ताज महल करीब से निहारे बिना चला जाए। वैसे तो हमारी टिकटें पहले ही ली जा चुकी थीं फिर भी संसार के विभिन्न देशों
से आए पर्यटकों के मेले के बीच पौन घंटे से ऊपर मुझे प्रतीक्षा में गुजारने पड़े।
एफिल टॉवर |
पेरिस भारत के कोलकाता की तरह एक सांस्कृतिक नगरी तो है ही साथ ही यहाँ अन्य यूरोपीय देशों के आलावा, अफ्रीकी मूल के लोग भी बसते हैं। हमारे टूर मैनेजर ने ऐसी भीड़ भाड़ वाली जगहों पर सचेत रहने की सलाह दे रखी थी। पेरिस में पासपोर्ट और पैसों की चोरी से जुड़ी कई घटनाओं के बारे में मैं पहले भी सुन चुका था।
हमारा समूह जहाँ कतार में लगा था वहीं एक युवा यूरोपीय युवती अपनी माँ की उम्र की महिला के साथ खड़ी थी। वे लोग ना पंक्ति में थे और ना ही वहाँ से जा रहे थे। मैंने अपने समूह को उसके बारे में बता दिया पर उन पर निगाह बनाए रखी। सैकड़ों मीटर लंबी लाइन के बढ़ते ही मैंने देखा कि वे दोनों चुपके से पंक्ति के बीचो बीच घुस गयीं। भारतीय प्रवृति की यूरोप के इस आलीशान शहर में पुनरावृति होते देख मन ही मन हँसी आई।
हमारा समूह जहाँ कतार में लगा था वहीं एक युवा यूरोपीय युवती अपनी माँ की उम्र की महिला के साथ खड़ी थी। वे लोग ना पंक्ति में थे और ना ही वहाँ से जा रहे थे। मैंने अपने समूह को उसके बारे में बता दिया पर उन पर निगाह बनाए रखी। सैकड़ों मीटर लंबी लाइन के बढ़ते ही मैंने देखा कि वे दोनों चुपके से पंक्ति के बीचो बीच घुस गयीं। भारतीय प्रवृति की यूरोप के इस आलीशान शहर में पुनरावृति होते देख मन ही मन हँसी आई।
अब कतार में अपनी जगह तो समूह के अन्य सदस्य सँभाल ही रहे थे तो मैंने सोचा क्यूँ ना तब तक लोहे के इस बेमिसाल ढाँचे को करीब से देख लिया जाए। एफिल टॉवर का इलाका चैम्प डे मार्स के हरे भरे इलाके के बीच बना है। एफिल टॉवर बनने के पहले ये क्षेत्र मैदान की शक़्ल में था जिसे बाद में फ़्रांसिसी फौज़ की परेड और अन्य सैन्य गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। मोनपारनास से लिए गए इस चित्र में चैम्प डे मार्स का हरा भरा इलाका देख सकते हैं।
जब मैंने आपको मोनपारनास टॉवर से एफिल की छवि दिखाई थी तो एक सवाल उठा था कि सारी पोस्ट तो मोनपारनास टॉवर से जुड़ी थी पर आपने तो उसे दिखाया ही नहीं? दरअसल टॉवर की दूर से ली हुई फोटो मैंने इस आलेख के लिए सँभाल कर रखी हुई थी। जब हम एफिल पर चढ़े तो हमें सामने ही मोनपारनास टॉवर अपना सीना ताने दिखाई पड़ा। अब आप भी बताइए एक सा स्थापत्य और रंग रोगन लिए पेरिस के केंद्रीय जिले की इमारतों के बीच इस टॉवर को यहाँ के लोग व्यंग्य से ही सही काले दानव के रूप में पुकारें तो क्या गलत है?
एफिल से दिखता चैम्प डे मार्स , Ecole Militaire,और मोनपारनास टॉवर |
टॉवर के पीछे इस उद्यान का फैलाव यहाँ की एक और मशहूर इमारत Ecole Militaire से लेकर सीन नदी तक है। Ecole Militaire एक सैन्य प्रशिक्षण संस्थान है जिसके आहाते के अंदर कई इमारते हैं। इसका इतिहास कितना पुराना है वो आप इसी बात से समझ सकते हैं कि नेपोलियन बोनापार्ट जैसे शूरवीर योद्धा ने इसी संस्थान में अपनी सैन्य शिक्षा ली थी।
नदी के दूसरी ओर एफिल टॉवर की सीध में ट्रोकाडीरो और उससे सटा एक दूसरा उद्यान है। पेरिस में अगर रात को जगमगाती रोशनी के बीच एफिल टॉवर को देखना हो तो ट्रोकाडीरो से अच्छी जगह कोई नहीं है। एक ज़माने में यहाँ पहाड़ी के ऊपर ट्रोकाडीरो का महल था जिसे आज से आठ दशक पहले तोड़ दिया गया। इसके बदले जो महल बना उसे फ़्रांसिसी जुबान में पली डे शायो कहते हैं। यह अर्धचंद्राकार भवन दो अलग अलग हिस्सों में बँटा है और इसके बीच का खुला हिस्सा सैलानियों के लिए एफिल टॉवर को निहारने का मौका देता है। आज इस महल के अंदर कई संग्रहालय हैं। वैसे अगर कोई पेरिस के सारे संग्रहालयों को तबियत से देखने की ठान ले तो एक साल का समय भी कम होगा।
सीन नदी और उससे सटा ट्रोकाडीरो उद्यान व महल |
चहलकदमी करता मैं टॉवर के बिल्कुल करीब पहुँच चुका था। 324 मीटर ऊँचे इस टॉवर को इसके एकदम पास पहुँच कर कैमरे में क़ैद करना एक टेढ़ी खीर है।
टॉवर में तीन तल है । नीचे से पहले और पहले से दूसरे तक पहुँचने के लिए तीन सौ सीढ़ियाँ तय करने पड़ती हैं। इसके ऊपर एक तीसरा तल भी हैं जहाँ केवल लिफ्ट से पहुँचा जा सकता है। फोटोग्राफी के लिए दूसरा तल सबसे बेहतरीन माना जाता है जबकि तीसरे तल तक पहुँच कर आप पेरिस की चौहद्दियों को भली भांति देखने का रोमांच पा सकते हैं बशर्ते इसके लिए आपकी जेब में मोटी रकम हो। आज एफिल टावर पेरिस की शान है पर क्या आप जानते हैं कि इसके जनक गुस्ताव एफिल ने जब पहली बार इस ऊँचे टावर के निर्माण का प्रारूप बनाया था तो समाज के बुद्धिजीवी वर्ग ने किन शब्दों में इसकी आलोचना की थी
"हम लेखक, चित्रकार, शिल्पकार, वास्तुकार और पेरिस की अनछुई सुंदरता के पुजारी अपनी पूरी ताकत से फ्रांसवासियों की रुचियों के साथ अनादर करते इस बेकार से दैत्याकार एफिल टॉवर का विरोध करते हैं। हमारी बात समझने के लिए ज़रा कल्पना कर देखिए। क्या आप चाहेंगे कि एक असंतुलित सा वाहियात टॉवर पेरिस के आकाश को काली चिमनी की तरह अपने विशालकाय स्वरूप से इस तरह ढक ले जिससे नाटर्डम, लेज़नवालीद का गुंबद, आर्क डे ट्रंप और लूवर जैसे भवन अपने को अपमानित सा महसूस करते हुए एक भयावह सपने की तरह खो से जाएँ और फिर बीस सालों तक स्याही के धब्बे की तरह लोहे के टुकड़ों से बोल्ट किए गए इस घृणास्पद ढाँचे को हम बढ़ता देखें ?"
कभी कभी बुद्धिजीवियों की सोच भी एक सीमित बँधे बँधाये दायरे में सिमट कर
रह जाती है। एफिल टॉवर का इतने कड़े शब्दों में किया विरोध ऐसी ही सोच का
उदहारण है।
इतने विरोध के बाद भी 1889 के पेरिस में आयोजित विश्व मेले के मुख्य गेट के
रूप में ये टॉवर बना और आज ये पेरिस का प्रतीक है।
एफिल टॉवर के ठीक नीचे At the base of the Eiffel Tower |
एफिल का आधार 125 मीटर के वर्ग में फैला हुआ है। एफिल टॉवर बनाते वक़्त एक बड़ी चुनौती इसके संकरे हिस्से से ऊपर के तल तक लिफ्ट ले जाने की थी जिसे मशहूर लिफ्ट कंपनी ओटिस की मदद से पार किया गया।
एफिल टॉवर पर तीन पीढ़ियाँ |
एफिल टॉवर पर जब हम लिफ्ट से ऊपर आए तो आसमान में बादल छा चुके थे। तेज़ ठंडी हवा ने हालात ऐसे कर दिए कि कनटोप के बिना वहाँ खड़े रहना भी मुश्किल हो गया। मेरी यूरोप यात्रा का ये सबसे ठंडा दिन था।
नदी की ओर जाता टॉवर के नीचे का चौराहा |
सीन नदी River Seine |
एफिल टॉवर से दिखते दृश्य इसके बगल में बहती सीन नदी की वजह से और खूबसूरत
हो जाते हैं। पेरिस में इस नदी के ऊपर करीब तीन दर्जन पुल बने हैं। पेरिस
के ज्यादातर आकर्षण इस नदी पर चलते क्रूज से देखे जा सकते हैं और अगर क्रूज
रात का हो तब तो रोशनी से नहाए एफिल टॉवर को देखने का अलग ही आनंद है।
वैसे सीन इस ऐतिहासिक नगर को एक रूमानी रंग जरूर देती है पर जब जब बारिश की
वज़ह से इस नदी में बाढ़ के हालात बनते हैं तो ये शहर सहम सा जाता है। ऐसा
इसलिए है कि पेरिस के संग्रहालयों के तहखानों में तमाम कलाकृतियाँ इस बाढ़
का पहला निशाना बन जाती हैं। कई बार ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होने से पहले
इन्हें शहर से बाहर पहुँचाया गया है।
तो ये था मेरी एफिल टॉवर यात्रा का लेखा जोखा। पेरिस दर्शन की अगली कड़ी में आपको ले चलेंगे एफिल से लूवर तक की पैदल यात्रा पर और बताएँगे कि इतनी मेहनत के बाद भी क्या हम मोनालिसा से मिल पाए?
यूरोप यात्रा में अब तक
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- वो पहला अनुभव वियना का ! Senses of Austria
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- कैसा दिखता है पेरिस मोनपारनास टॉवर से ? : An evening in Paris from top of Tour Montparnasse
- एफिल टॉवर : बुद्धिजीवियों के अनुसार जो थी बेकार सी दैत्याकार संरचना ! Eiffel Tower
इस नदी की चौड़ाई लगभग कितनी होगी? ये तो ऐसी ही लग रही है जैसे हरिद्वार से कानपुर तक, निकलने वाली गँग नहर।
जवाब देंहटाएंपेरिस शहर में इसकी अधिकतम चौड़ाई 150 मीटर है। वैसे पेरिस से निकलने के बाद जब ये इंग्लिश चैनल की ओर बहती है इसकी चौड़ाई बढ़ती चली जाती है।
हटाएंबहुत उम्दा लिखते है
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
हटाएंबहुत सुन्दर वर्णन सर जी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनीष !
हटाएंभारतीय है जगह है....एफिल टावर के फोटो अच्छे है
जवाब देंहटाएंयह देशी प्रवृति यूरोपीय लोगों में देख थोड़ा विस्मय जरूर हुआ क्यूँकि वहाँ अनुशासन का स्तर हमारे यहाँ से काफी बेहतर है। चित्र पसंद करने का शुक्रिया।
हटाएंबहुत अच्छा विषलेशण...।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया :)
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