बेल्जियम से फ्रांस की सीमाओं में दाखित होते ही बारिश की झड़ी लग गयी। बारिश की रिमझिम में एफिल टॉवर की पहली झलक भी मिली। पर एफिल टॉवर पर चढ़ाई करने से पहले हम पेरिस के केन्द्रीय जिले की सबसे ऊँची इमारत मोनपारनास टॉवर पर पहुँचे। ये 59 मंजिला इमारत यहाँ की दूसरी सबसे ऊँची बहुमंजिली इमारत है।
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यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी पेरिस |
केंद्रीय जिले में ये इकलौती इमारत है जो दो सौ मीटर से भी ऊँची है। आज से लगभग पैंतालीस साल पहले जब ये इमारत बनी तो लंदन की तरह ही इस कदम की व्यापक आलोचना हुई। लोगों ने इसे पेरिस शहर के चरित्र को नष्ट करने वाला भवन माना। विरोध इतना बढ़ा कि एफिल टॉवर के आस पास के केंद्रीय इलाके में सात मंजिल से ज्यादा ऊँचे भवनों पर रोक लगा दी गयी। विगत कुछ वर्षों में पेरिस शहर पर जनसंख्या के दबाव की वज़ह से ये रोक कुछ हल्की की गयी है। पर मोनपारनास टॉवर बनाने वालों पर लोगों का नज़रिया फ्रेंच ह्यूमर में झलक जाता है जब यहाँ के लोग कहते हैं कि टॉवर के ऊपर से पेरिस सबसे खूबसूरत दिखाई देता है क्यूँकि वहाँ से आप इस बदसूरत टॉवर को नहीं देख सकते 😀।
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सटे सटे भवन और खूबसूरत टेरेस गार्डन |
अब हँसी हँसी में कही हुई इस बात में कितनी सच्चाई है वो आप मेरे साथ इमारत के छप्पनवें तल्ले तक चल कर ख़ुद देख सकते हैं आज के इस फोटो फीचर में। जब हमारा समूह इस टॉवर के पास पहुँचा तो शाम के साढ़े छः बज रहे थे। बारिश
थम चुकी थी और धूप बादलों के बीच से आँख मिचौनी खेल रही थी। मन में संदेह
था कि कहीं बादलों के बीच ऊपर का नज़ारा धुँधला ना जाए। इस उहापोह के बीच
लिफ्ट पर चढ़े। क्या फर्राटा लिफ्ट थी वो। मात्र 38 सेकेंड में 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 56 वें तल्ले तक पहुँच गई।
पेरिस की पहली झलक में आड़ी तिरछी गलियों और एक जैसे लगते भवनों के बीच जो भव्य इमारत दूर से ही मेरा ध्यान खींचने में सफल हुई वो थी लेज़नवालीद जिसका नामकरण संभवतः अंग्रेजी के Invalid शब्द से हुआ हो। दरअसल सुनहरे गुंबद की वज़ह से दूर से ही नज़र आने वाला ये भवन सेवानिवृत और विकलांग जवानों के रहने के लिए बनाया गया था।
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Les Invalides लेज़नवालीद
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तब इस परिसर में एक अस्पताल भी था। बाद में सैनिकों के पूजा पाठ के लिए यहाँ चर्च और उसके ऊपर का सुनहरा गुंबद बना। फ्रांस के प्रसिद्ध योद्धा नेपोलियन की समाधि इसी गुंबद वाले हॉल में है। आज इस इलाके में चार संग्रहालय हैं। अब तक पेरिस की प्राचीन इमारतों के डिजाइन में एक साम्यता आपने महसूस कर ली होगी। वो ये कि पीले रंग की इन इमारतों की घुमावदार छतें स्याह रंग से रँगी हैं।
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पेरिस का विश्व प्रसिद्ध संग्रहालय लूवर |
संग्रहालय के सामने संत जरमेन एक चर्च है जिसके आसपास का इलाका फ्रेंच फैशन डिजाइनर्स का गढ़ माना जाता है। लूवर के काफी पीछे एक पहाड़ी के ऊपर "Sacred Heart of Jesus" को समर्पित एक सुंदर सी बज़िलका है। चित्र लेते समय वहाँ बदली छाई थी सो वो स्पष्ट आ नहीं पायी।
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एफिल टॉवर |
मोनपारनास से ऐफिल ना दिखाई दे तो फिर इस टॉवर की अहमियत ही खत्म हो जाती। टाँवर और उसके आसपास की हरियाली को यहाँ से देकने का आनंद ही कुछ और है। ऐफिल टॉवर के पीछे दूर जो अट्टालिकाएँ दिख रही हैं वो यहाँ का व्यापारिक जिला है और उसे ला डिफान्स पेरिस के नाम से जाना जाता है।
मोनपारनास से केन्दीय जिले की सड़कों का जाल स्पष्ट दिख जाता है। यहाँ की इमारतों में बॉलकोनी नाम की कोई चीज़ नहीं होती। इमारतों के सीधे सपाट चेहरे पर आपको सिर्फ खिड़कियाँ ही दिखेंगी। एक और खासियत ये कि इन भवनों के बीच ज़रा सी भी दूरी नहीं रहती। एक दूसरे से सटी इमारतों का ऐसा रूप आपको कमोबेश यूरोप के अधिकांश शहरों में दिख जाएगा। फर्क होता है तो सिर्फ रंग का। पेरिस के केंद्रीय हिस्से में ज्यादा मकान आपको हल्के पीले, क्रीम, सफेद रंग में रँगे दिखेंगे। बीच बीच में ईंट के रंग के मकान भी दिखे। छतें तिरछी इस लिए बनाई जाती हैं ताकि उन पर पसरकर सूर्य किरणें सड़क तक पहुँच सकें।
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लक्समबर्ग पैलेस और नाटर्डम चर्च |
ऊपर के चित्र को बड़ा कर के देखने पर आपको यहाँ का लक्समबर्ग पैलेस और उससे सटा बगीचा दिखेगा। उसी के ठीक पीछे यहाँ का मशहूर कैथलिक चर्च नाटर्डम है। मोनपारनास टाँवर से सटी हुई यहाँ कि सिमेट्री है और उससे थोड़ी दूर ही इलाके का रेलवे स्टेशन भी।
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मोनपारनास सिमेट्री |
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शहर के बाहरी इलाके में बनी बहुमंजिली इमारतें |
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इस चित्र के ऊपरी हिस्से में आप देख सकते हैं यहाँ के मशहूर पैनदियॉन चर्च का गुंबद |
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मोनपारनास के 59 वें तल्ले के ऊपर की छत तक जाने के लिए सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। |
यूरोप यात्रा में अब तक
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अदभुत है आपकी फोटोग्राफी। एक बात जिस भवन पर चढ़ कर पेरिस दिखाया आपने, उसी इमारत की फोटो नही दिखाई।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ! आपका प्रश्न वाजिब है। इस टावर की छवि क़ैद तो की पर बाकी फोटो की गुणवत्ता के हिसाब वो मुझे पसंद नहीं आयी। जब मैं एफिल टावर पर आपको ले चलूँगा तो ये टावर वहाँ से दिख जाएगा। :)
हटाएंटावर स्व एफिल टावर अच्छा लग रहा है
हटाएंवो तो ख़ैर विश्व प्रिय टावर है।
हटाएंबदसूरत टावर क्यों?
जवाब देंहटाएंक्यूँकि आस पास की साफ सुथरी हल्के रंग की एकरूपी कम ऊँचाई वाली इमारतों के बीच वो एक काले दानव के रूप में नज़र आता है :)
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-06-2017) को
जवाब देंहटाएं"पिता जैसा कोई नहीं" (चर्चा अंक-2647)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
हार्दिक आभार !
हटाएंपेरिस की सैर घरबैठे ही करवा दी
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण जानकारी और बेहद खुबसूरत छायांकन
धन्यवाद अमित जी। स्वागत है आपका इस ब्लॉग पर।
हटाएंआपको साथ यूरोप का सफर भी हो रहा है... पेरिस देख कर अच्छा लगा..
जवाब देंहटाएंहाँ पर आपने केरल ब्लॉग एक्सप्रेस का अनुभव साझा नहीं किया अब तक।
हटाएंBahut hi behtarin article hai ye manish Ji
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
हटाएंnice post
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
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