बेल्जियम से हमारी डगर जाती थी फ्रांस की ओर। यूरोप के खेत खलिहानों को पास से निहारने का पहला मौका तो क्यूकेनहॉफ से एमस्टर्डम आते वक़्त मिला था पर ब्रसल्स से पेरिस जाते वक्त यूरोप के भीतरी इलाकों से गुजरना आँखों के साथ मन को भी सुकून दे गया। जैसे जैसे फ्रांस की धरती पास आने लगी वैसे वैसे मौसम भी करवट लेने लगा। नीले आसमान को स्याह बादलों ने ढक लिया। हवा का शोर एकदम से बढ़ गया और तापमान तेजी से कम होने लगा। हमारी सरपट भागती बस ने इस बदलती फ़िज़ा में जो अनूठे रंग दिखाए वही सँजों के लाया हूँ मैं आपके लिए आज की इस पोस्ट में..
मिट्टी है ये या सोना है, इक दिन इसमें ख़ुद खोना है... |
सकल वन फूल रही सरसों, आवन कह गए आशिक रंग..और बीत गए बरसों। |
हरी भरी इस धरती पर चलने को मचलते पाँव हैं , ओ साथ चलते पथिक बता क्या इसी डगर तेरा गाँव है? |
वृक्ष की कतार में, मौसमी बयार में..दिल मेरा खो गया किसके इंतज़ार में |
पवन का आता शोर है, बादल भी घनघोर हैं.. अब ये तो बता बरखा रानी तू आख़िर किस ओर है? |
बारिश की ये बूँदें तो बस तेरी याद दिलाती हैं.. तू नाच रही होगी ऐसा कानों में कह जाती हैं |
बना पवन को छैला.. तूने किया गगन मटमैला |
हरी हरी वसुंधरा पे नीला नीला ये गगन के जिस पे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन |
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Bahut sunder..chitr bhi aur aapki likhi lines bhi
जवाब देंहटाएंशुक्रिया..ये सब देखने को मिलेगा तुम्हें बस कुछ दिनों की बात है :)
हटाएंमैं भी सोच रहा हूँ किसी प्रकार बेल्जियम हो आऊँ...
जवाब देंहटाएंपश्चिमी यूरोप के लगभग सभी देशों में शहरों से दूर के अंदरुनी इलाके ऍसे ही हरे भरे हैं :)
हटाएंजी...आबादी कम होना इसका एक महत्वपूर्ण कारक है..
हटाएंबेल्जियम में जनसंख्या घनत्व 370 व्यक्ति प्रति किमी है जो भारत से थोड़ा ही कम है।
हटाएंकितना सुंदर है :)
जवाब देंहटाएंहाँ वो तो है :)
हटाएंमन खुश हो गया मनीष जी बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया :)
हटाएंवाह जी वाह ,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
हटाएंलाजवाब दृश्य..
जवाब देंहटाएंसराहने का शुक्रिया !
हटाएंतस्वीर में खेत तो जो है वो है, पर मकान के छतों को देखकर ऐसा लगा, मानों दीवाली के दिनों में किसी पुरानी गाँव की तस्वीर हो, वो भी बिहार की. बहुत दिनों से आपका ब्लॉग पढ़ता रहा हूँ. आप कैमरा कौन सा यूज़ करते हैं?
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.. साथ बने रहने के लिए. मैं सोनी का RX 100 इस्तेमाल करता हूँ।
हटाएंशानदार तस्वीरें, उससे भी शानदार कैप्शन।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया, प्रकृति कभी अपनी सुंदरता इस तरीके से उभारती है कि मन में वो भाव स्वतः जाग उठते हैं।
हटाएंबहुत सुंदर वर्णन है प्रकृति के सौंदर्य का। अपने अनुभव साझा करने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया यहाँ पधारने और अपने विचारों से अवगत कराने का।:)
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